Lucknow: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जिस दिन इस देश के नेता ना कहना सीख जाएंगे और ब्यूरोक्रेट्स हां कहना सीख जाएंगे, उस दिन इस देश का कल्याण हो जाएगा. राजनीतिज्ञ हर बात के लिए हां कह रहे हैं, यहां तक कि उन चीजों के लिए भी जो वे नहीं कर सकते हैं.
राजनाथ सिंह अपने तीन दिवसीय लखनऊ दौरे के आखिरी दिन सिविल सेवा के सफल अभ्यर्थियों को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि राजनेताओं के व्यवहार से जनता का उनसे विश्वास उठ रहा है. इससे भारत की राजनीति में विश्वसनीयता का संकट पैदा हो रहा है. कथनी और करनी में फर्क नहीं होना चाहिए.
राजनाथ सिंह ने कहा कि आईएस अफसर होने का कभी अहंकार मन में नहीं आना चाहिए. यह बात कहने का साहस मैं इसलिए कर पा रहा हूं क्योंकि राजनीतिक क्षेत्र में कोई ऐसा पद नहीं बचा है, जिसे मैंने अपनी जिंदगी में हासिल नहीं किया.
इस दौरान उन्होंने कहा कि वह प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के पद को छोड़कर ये बात कह रहे हैं, क्योंकि इन पदों पर तो कोई एक ही होगा, जो बनता है, वह हमारे लिए आदर्श है. राजनाथ सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति व्यक्ति नहीं संस्था होते हैं.
उन्होंने कहा कि जिंदगी में कभी अहंकार मत पालना, क्योंकि जिस दिन अहंकार मन में आ गया तो ज्यादा सोचने समझने की जरूरत नहीं है आप की वैल्यू, आप की कीमत जनसामान्य की नजर में उसी दिन से कम होना प्रारंभ हो जाएगी.
रक्षा मंत्री ने कहा कि चयनित अभ्यर्थियों से कहा कि वह राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका का निर्वाह कर सकते हैं. सिविल सेवा हमारे देश के नौजवानों के लिए आकर्षण का केंद्र है. राजनाथ सिंह ने कहा कि वह पढ़ाई के दौरान स्वयं भी आईएएस की तैयारी कर रहे थे. लेकिन, उनके तेवर कड़े थे. किसी के कुछ गड़बड़ करने पर वह लड़ जाते थे, यहां तक की हाथ भी उठा देते थे.