लखनऊ : नाभिकुंड पियूष बस याकें, नाथ जिअत रावनु बल ताकें….विभीषण के वचन सुनते ही कृपालु श्री रघुनाथजी ने हर्षित होकर हाथ में विकराल बाण ले लिए हैं. नेपथ्य से नाना प्रकार के अपशकुन होने की आवाजें आने लगी हैं. ऐसा लग रहा है मानो जगत के दुःख (अशुभ) को सूचित करने के लिए पक्षी बोल रहे हो. मूर्तियाँ रोने लगीं हों. श्री रघुनाथजी की भूमिका निभा रहे तापस कानों तक धनुष को खींचकर जैसे ही बाण छोड़ते हैं डॉ. अनूप (रावण) इस अदा के साथ गिरते है मानो वास्तव में रावण के गिरने से पृथ्वी हिल गई है. रामलीला की इस जीवंतता को देखकर खचाखच भरे लखनऊ के पीजीआई प्रेक्षागृह में मौजूद हर दर्शक रामायण के उसी काल खंड में पहुंच गया हो. मंच पर जो देखा वह कृतिम न होकर वास्तविक घटित हुआ हो. ओटीटी और बड़े पर्दे पर अपने अभिनय का लोहा मनवा चुके संदीप यादव की अवधारणा लेखन व निर्देशन का ही कमाल था कि कोई भी दर्शक यह भरोसा नहीं कर पा रहा था कि अभी जिस रामलीला को देखकर वे रोमाचिंत हो रहे थे, उसमें अभिनय करने वाले पेशेवर कलाकार नहीं थे. लोगों का इलाज कर जिंदगी बचाने वाले डॉक्टर्स हैं.
दशहरे के मौक़े पर पीजीआई फैकल्टी क्लब व परफार्मिंग आर्ट्स एंड सुपर स्किल्स स्कूल (पीएस३) की संयुक्त प्रस्तुति द्वारा रामलीला का मंचन किया गया था. मंच पर रामायण के विभिन्न किरदार डॉक्टर्स ने निभाए थे. पहली बार अभिनय करने वाले इन डॉक्टरों ने एक महीने से भी कम समय की तैयारी के भीतर ही सभी में अपने अपने किरदारों को तैयार किया था. तुलसीदास कृत रामायणपर आधारित इस रामलीला की अवधारणा संवाद व लेखन संदीप यादव का था. सह निर्देशन प्रीति चौहान ने किया. डॉ चेतना और डॉ ब्रजेश डॉ अनंत ने रामलीला मंचन के विचार को मूर्त रूप दिया.
अधिकांश डॉक्टर्स का कहना था कि उनको शुरू में लग रहा था कि वह मंच पर अभिनय कैसे कर पायेंगे लेकिन लोग जुड़ते गये कारवां बनता गया. इस रामलीला में बच्चों ने भी किरदार निभाया. पीजीआई के निदेशक भी उन सैकड़ों दर्शकों में से एक थे जो बिना विराम दिये तीन घंटे चली इस रामलीला को अपलक देखते रहे.
संदीप यादव ने ‘प्रभात खबर ‘ को बताया कि “मुझे रामलीला करना शुरू में बहुत मुश्किल लग रहा था, क्योंकि ये सभी लोग ऐक्टर्स नहीं होकर डॉक्टर्स थे. एक ही सवाल बार- बार आ रहा था कि इनसे रामलीला कैसे कराऊंगा. यह प्रभु राम की ही कृपा थी कि सभी के अंदर के भक्ति भाव देखकर लगा कि समर्पण तो है. रामलीला का किरदार निभाने वाले डॉक्टर्स ने रिहर्सल के लिए समय कैसे निकाला यह भी कम रोचक नहीं है.
‘ आश्रम ‘ फेम संदीप यादव बताते हैं कि सभी डॉक्टर्स कभी ऑपरेशन में तो कभी कहीं व्यस्त हो जाते थे, हालांकि मौक़ा मिलते ही वह रिहर्सल में आते थे. अपना सीन करके फिर चले जाते थे. सबका सहयोग मिला सभी ने मुझे (संदीप यादव) एक टीचर की तरफ़ सम्मान दिया. मुझे सुना मेरी डांट भी खाई . अंततः सिर्फ़ 25 दिन की रिहर्सल में हमने संगीतमय रामलीला तैयार की. पूरी रामलीला हमने तीन घंटे में करके दिखाई. इसमें संगीत गायन सब कुछ था. यूट्यूब के माध्यम से इस रामलीला का प्रसारण दुनिया के कई देशों में भी किया गया
मुझे रामलीला करना शुरू में बहुत मुश्किल लग रहा था, क्योंकि ये सभी लोग ऐक्टर्स नहीं होकर डॉक्टर्स थे. एक ही सवाल बार- बार आ रहा था कि इनसे रामलीला कैसे कराऊंगा.संदीप यादव, अभिनेता एवं रामलीला अवधारणा संवाद व लेखन
जहँ तहँ थकित करि कीस। गर्जेउ बहुरि दससीस॥
लछिमन कपीस समेत। भए सकल बीर अचेत॥
राम- तापस,
लक्ष्मण- सुमित
सीता- शिल्पी
रावण – अनूप
हनुमान- अमित
मेघनाथ- रघु
शबरी – रचना
अहिल्या -ऋतु
मंदोदरी- अंजू
दशरथ- अतुल
सुग्रीव- संदीप
तारा- तापसी
कैकई- दिव्या
मंथरा- आरती
जनक- आदित्य कपूर
वशिष्ठ – एस के अग्रवाल
विभीषण- अनंत
परशुराम- विजय
आदि डॉक्टर्स ने विभिन्न किरदार निभाए.