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Rangbhari Ekadashi: वाराणसी में रंगभरी एकादशी पर निकली भगवान शिव और मां गौरा की पालकी

काशी में मान्यता है कि रंगभरी एकादशी (Rangbhari Ekadashi) के दिन भगवान विश्वनाथ काशीवसियों को होली खेलने की अनुमति देते हैं. पहले भक्त काशी विश्वनाथ और माता पार्वती के साथ होली खेलते हैं. फिर बाबा की नगरी में होली का हुड़दंग शुरू हो जाता है.

By Amit Yadav | March 21, 2024 10:29 AM

वाराणसी: रंगभरी एकादशी (Rangbhari Ekadashi) पर वाराणसी की गलियां हर हर महादेव के जयकारों से गूंज रही थी. हर तरफ रंग बिरंगा गुलाल उड़ रहा था. कांजीवरम साड़ी पहने मां गौरा और बाबा विश्वनाथ खादी परिधान में सजे हुए थे. शिव व गौरा के शीश पर बंगीय देवकिरीट भी था. भोलेनाथ के भक्त कंधे पर चांदी की पालकी में माता पार्वती और शिव को लेकर काशी विश्वनाथ धाम (Kashi Vishwanath Dham) पहुंचे. भक्तों ने बाबा को ग़ुलाल अर्पित करके होली खेलने की अनुमति मांगी. इसके बाद काशी की गलियों में होली शुरू हो गई.

बाबा को अर्पित किया गया गुलाल व अबीर
रंगभरी एकादशी (Rangbhari Ekadashi) से काशी होली के रंग में रंग जाती है. बाबा विश्वनाथ व माता पार्वती के गौना से इसकी शुरुआत होती है. मथुरा जेल के कैदियों द्वारा तैयार हर्बल गुलाल बाबा को अर्पित किया गया. इससे पहले टेढ़ीनीम स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Dham) के पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी के आवास पर माता गौरी और भगवान शिव का पंचगव्य और पंचामृत स्नान के बाद दुग्धाभिषेक किया गया. 11 वैदिक ब्राह्मणों ने पूजा की. भोग लगाया और महाआरती की. इसके बाद बाबा की पालकी निकली.

पद्मश्री सोमा घोष ने दी प्रस्तुति
रंगभरी एकादशी (Rangbhari Ekadashi) पर श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास ने महादेव और मां गौरा की शोभायात्रा मंदिर परिसर में धूमधाम से निकाली गई. काशी विश्वनाथ धाम में भी शहनाई बजी. पद्मश्री सोमा घोष ने सहित अन्य कलाकारों ने सांस्कृतिक संध्या में शिवार्चनम किया. बाबा की शयन आरती तक भजन, गीत, संगीत का दौरा चला.

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