लखनऊ: यूपी में 9 सितंबर को सभी 75 जिलों में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जाएगा. इसमें वैवाहिक विवाद का समाधान, ट्रैफिक चालान, अपराधिक मामले, दीवानी और राजस्व मामलों का सुलह समझौतों के आधार पर निस्तारण किया जाएगा. यदि किसी भी आलंबित विवाद को राष्ट्रीय लोक अदालत में सुलह-समझौते के आधार पर निस्तारित करना चाहते हैं तो संबंधित न्यायालय के पीठासीन अधिकारी या अपने जनपद के जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यालय से संपर्क करके अपने वाद को राष्ट्रीय लोक अदालत में नियत करा सकते हैं.
उत्तर प्रदेश में लोक अदालतें भी जनता को जटिल कानूनी प्रक्रियाओं के पेंच से निकालकर लंबित मामलों के त्वरित निस्तारण का मार्ग प्रशस्त कर रही हैं. जटिल न्यायिक प्रक्रिया में सरलीकरण की यह मुहिम रंग ला रही है और यूपी स्टेट लीगल सर्विसेस अथॉरिटी की रिपोर्ट ने इस बात पर मुहर भी लगा दी है. रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में वर्ष 2022-23 व 2023-24 के बीच अब तक कुल 6 चरणों में लोक अदालतें लगाई गईं. जिसमें कुल मिलाकर रिकॉर्ड 3.30 करोड़ मामलों का निस्तारण हुआ.
यूपी स्टेट लीगल सर्विसेस अथॉरिटी की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2022-23 व वर्ष 2023-24 के बीच अब तक 6 चरणों में प्रदेश भर में लोक अदालतें लगाई गईं. इनमें पारिवारिक विवादों के निस्तारण के साथ ही दांपत्व विवादों के मामलों में त्वरित समाधान व निस्तारण उपलब्ध कराने की प्रक्रिया पर जोर दिया गया है. प्रदेश में इन विवादों को सुलझाने के लिए प्री लिटिगेशन स्टेज में ही सुलह कराए जाने और दोनों पक्षों के बीच आम सहमति बनाने के लिए प्रयास किए जाते हैं.
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दांपत्य व पारिवारिक विवादों से जुड़े मामलों के अलग से निस्तारण के लिए स्पेशल लोक अदालतें भी लगाई जाती हैं. इसी क्रम में प्रदेश भर के सिविल कोर्ट में लोक अदालत संबंधी हेल्प डेस्क की स्थापना की गई है. रिपोर्ट के अनुसार 12 मार्च 2022 को हुई लोक अदालत में पारिवारिक व दांपत्य विवाद से जुडे कुल 635 मामलों का निस्तारण किया गया. जबकि 14 मई 2022 को लगाई गई लोक अदालत में 849, 13 अगस्त 2022 को लगाई गई लोक अदालत में 936, 12 नवंबर 2022 को लगाई गई लोक अदालत में 1244, 11 फरवरी 2023 को लगाई गई लोक अदालत में 1154 व 21 मई 2023 को आयोजित लोक अदालत में 814 मामलों का निस्तारण हुआ है. इस प्रकार वर्ष 2022 से मई 2023 तक कुल मिलाकर 5632 मामलों के निस्तारण में सफलता मिली है.
यूपी स्टेट लीगल सर्विसेस अथॉरिटी (यूपीएसएलएसए) के पेट्रन इन चीफ व एग्जीक्यूटिव चेयरपर्सन की सलाह पर प्रदेश में बैंक रिकवरी के बढ़ते मामलों को देखते हुए एक विशेष लोक अदालती सत्र का आयोजन इस वर्ष 17 व 18 मार्च को किया गया था. इसमें भी व्यापक सफलता प्राप्त करते हुए कुल 27782 मामलों के निस्तारण व त्वरित समाधान उपलब्ध कराए जाने की प्रक्रिया को पूर्ण कर लिया गया. रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख है कि प्रदेश में आयोजित होने वाली सभी लोक अदालतों के बारे में लोगों को जागरूक करने, उनके आयोजन तिथि की जानकारी उपलब्ध कराने और प्रासंगिकता के बारे में लोगों को अवगत कराने के लिए भी राज्य सरकार व न्यायिक विभाग द्वारा व्यापक प्रयास किए जा रहे हैं.
यूपी में 9 सितंबर को सभी 75 जिलों में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जाएगा. इसमें वैवाहिक विवाद का समाधान, ट्रैफिक चालान, अपराधिक मामले, दीवानी और राजस्व मामलों का सुलह समझौतों के आधार पर निस्तारण किया जाएगा. यदि किसी भी आलंबित विवाद को राष्ट्रीय लोक अदालत में सुलह-समझौते के आधार पर निस्तारित करना चाहते हैं तो संबंधित न्यायालय के पीठासीन अधिकारी या अपने जनपद के जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यालय से संपर्क करके अपने वाद को राष्ट्रीय लोक अदालत में नियत करा सकते हैं.
उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव संजय सिंह प्रथम ने बताया कि राष्ट्रीय लोक अदालत में दीवानी, फौजदारी एवं राजस्व न्यायालयों में लंबित मुकदमों के साथ-साथ प्री-लिटिगेशन (मुकदमा दायर करने से पूर्व) वैवाहिक विवादों का समाधान भी सुलह-समझौते के माध्यम से कराया जाएगा. इसमे समस्त प्रकार के शमनीय आपराधिक मामले, बिजली एवं जल के बिल से संबंधित शमनीय दंड वाद, चेक बाउंस से संबंधित धारा-138 एनआई एक्ट एवं बैंक रिकवरी, राजस्व वाद, मोटर दुर्घटना प्रतिकर वाद और अन्य सिविल वाद के निस्तारण के लिए संबंधित जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में संपर्क कर सकते हैं.
प्री-लिटिगेशन वैवाहिक विवाद वह विवाद हैं जो पति-पत्नी के मध्य विभिन्न कारणों से उत्पन्न होते हैं. इसके समाधान के लिए पति अथवा पत्नी के द्वारा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में विवाद का संक्षिप्त विवरण लिखते हुए प्रार्थना पत्र दिया जाएगा. इसके बाद विपक्षी को नोटिस भेज कर बुलाया जाएगा. पारिवारिक न्यायालय के न्यायाधीश एवं मध्यस्थ अधिवक्ता की बेंच गठित की जाएगी.
लोक अदालत में मामलों के निस्तारण के कई लाभ होते हैं. जैसे लोक अदालत में निर्णित मुकदमे की किसी अन्य न्यायालय में अपील नहीं की जा सकती है. लोक अदालत के निर्णय को अंतिम माना जाएगा. लोक अदालत का निर्णय सिविल न्यायालय के निर्णय के समान बाध्यकारी होता है. पक्षों के बीच सौहार्द बना रहता है. संबंधित पक्षकारों के समय व धन की बचत होती है. अदा की गई कोर्ट फीस पक्षकारों को वापस हो जाती है.
यातायात संबंधी चालानों को वेबसाइट vcourts.gov.in से ई-पेमेंट के माध्यम से भुगतान कर घर बैठे ही निस्तारण करा सकते हैं. आलंबित वाद को राष्ट्रीय लोक अदालत में सुलह-समझौते के आधार पर निस्तारित कराने के लिए संबंधित न्यायालय के पीठासीन अधिकारी अथवा अपने जनपद के जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यालय से संपर्क कर अपने वाद को राष्ट्रीय लोक अदालत में नियत करा सकते हैं.
बेंच के द्वारा दोनों पक्षों की बैठक करवाकर सुलह-समझौते के माध्यम से विवाद का समाधान कराया जाएगा. बेंच के द्वारा पक्षों के मध्य समझौते के आधार पर लोक अदालत में निर्णय पारित किया जाएगा, जो अंतिम माना जाएगा और निर्णय के विरुद्ध किसी अन्य न्यायालय में अपील दायर नहीं की जा सकती है. जिससे परिवार टूटने से बच जाएगा एवं पारिवारिक सद्भाव बना रहेगा.
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समस्त प्रकार के शमनीय आपराधिक मामले
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चैक बाउंस से सम्बन्धित धारा-138 एनआई एक्ट एवं बैंक रिकवरी
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मोटर दुर्घटना प्रतिकर वाद
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बिजली एवं जल के बिल से सम्बन्धित शमनीय दण्ड
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राजस्व वाद
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अन्य सिविल वाद
राष्ट्रीय लोक अदालत के प्रचार प्रसार के लिये जनपद न्यायाधीश लखनऊ अश्विनी कुमार त्रिपाठी ने पुराना उच्च न्यायालय परिसर कैसरबाग से सहरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया. जनपद न्यायाधीश ने बताया कि यह वाहन विभिन्न तहसीलों व ग्रामीण क्षेत्रों में भ्रमण कर लोक अदालत का प्रचार प्रसार करेगा. आम जनमानस को आपसी सुलह समझौते के लिये इसके माध्यम से प्रेरित करेगा.
लोक अदालत का आयोजन जिला न्यायालय , पारिवारिक न्यायालय , मोटर दुर्घटना दावा अधिकरणों, वाणिज्यिक न्यायालयों व समस्त तहसीलों में किया जायेगा, जिसमें बैंक वसूली वाद, किरायेदारी वाद, बैंक व अन्य वित्तीय संस्थाओं से सम्बन्धित प्रकरण, ऐसे प्रकरण जिनमें पक्षकार पारस्परिक सद्भावना के लिये आपसी सुलह समझौते से निपटाना चाहें, दीवानी वाद, उत्तराधिकार वाद, दांपत्य संबंधी वाद, प्रीलिटिगेशन स्तर के वाद, चेक बाउंस के मामले , जनोपयोगी सेवाओं से सम्बन्धित प्रकरण, आरबीट्रेशन संबंधी वादों का निस्तारण किया जाएगा.
प्रचार वाहन को हरी झंडी दिखाने के मौके पर प्रफुल्ल कमल अपर जिला न्यायाधीश, प्रथम राहुल मिश्रा अपर जिला न्यायाधीश /नोडल अधिकारी, लोक अदालत में गौरव कुमारअपर जिला जज, अजय विक्रम अपर जिला जज व सत्येंद्र सिंह अपर जिला जज /सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मौजूद थे.
दांपत्य व पारिवारिक विवाद के मामलों को सुलझाने में भी उत्तर प्रदेश में लगाई गई लोक अदालतों को व्यापक सफलता मिली है. यही कारण है कि बात चाहें अपराधिक मामलों में न्याय की हो, पारिवारिक व दांपत्व विवाद सुलझाने की हो या फिर बैंक रिकवरी के केस में त्वरित समाधान उपलब्ध कराने की हो, उत्तर प्रदेश एक मिसाल बनकर उभरा है. उत्तर प्रदेश देश में उन राज्यों में शुमार है जो लगातार मिसाल कायम कर रहे हैं. लोक अदालतों के जरिए जटिल न्यायिक प्रक्रिया के सरलीकरण व त्वरित समाधान उप्लब्ध कराने की दिशा में योगी सरकार के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश देश के अन्य राज्यों के लिए रोल मॉडल सरीखा साबित हो रहा है.