लखनऊ: यूपी में 9 सितंबर को सभी 75 जिलों में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जाएगा. इसमें सभी प्रकार के दीवानी, अपराधिक एवं राजस्व वादों का अधिक से अधिक संख्या में सुलह समझौतों के आधार पर निस्तारण किया जाएगा. यदि किसी भी आलंबित विवाद को राष्ट्रीय लोक अदालत में सुलह-समझौते के आधार पर निस्तारित करना चाहते हैं तो संबंधित न्यायालय के पीठासीन अधिकारी या अपने जनपद के जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यालय से संपर्क करके अपने वाद को राष्ट्रीय लोक अदालत में नियत करा सकते हैं. ट्रोल फ्री नंबर 1800 4190234 पर अधिक जानकारी की जा सकती है.
उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव संजय सिंह प्रथम ने बताया कि राष्ट्रीय लोक अदालत में दीवानी, फौजदारी एवं राजस्व न्यायालयों में लंबित मुकदमों के साथ-साथ प्री-लिटिगेशन (मुकदमा दायर करने से पूर्व) वैवाहिक विवादों का समाधान भी सुलह-समझौते के माध्यम से कराया जाएगा. इसमे समस्त प्रकार के शमनीय आपराधिक मामले, बिजली एवं जल के बिल से संबंधित शमनीय दंड वाद, चेक बाउंस से संबंधित धारा-138 एनआई एक्ट एवं बैंक रिकवरी, राजस्व वाद, मोटर दुर्घटना प्रतिकर वाद और अन्य सिविल वाद के निस्तारण के लिए संबंधित जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में संपर्क कर सकते हैं.
लोक अदालत में मामलों के निस्तारण के कई लाभ होते हैं. जैसे लोक अदालत में निर्णित मुकदमे की किसी अन्य न्यायालय में अपील नहीं की जा सकती है. लोक अदालत के निर्णय को अंतिम माना जाएगा. लोक अदालत का निर्णय सिविल न्यायालय के निर्णय के समान बाध्यकारी होता है. पक्षों के बीच सौहार्द बना रहता है. संबंधित पक्षकारों के समय व धन की बचत होती है. अदा की गई कोर्ट फीस पक्षकारों को वापस हो जाती है.
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यातायात संबंधी चालानों को वेबसाइट vcourts.gov.in से ई-पेमेंट के माध्यम से भुगतान कर घर बैठे ही निस्तारण करा सकते हैं. आलंबित वाद को राष्ट्रीय लोक अदालत में सुलह-समझौते के आधार पर निस्तारित कराने के लिए संबंधित न्यायालय के पीठासीन अधिकारी अथवा अपने जनपद के जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यालय से संपर्क कर अपने वाद को राष्ट्रीय लोक अदालत में नियत करा सकते हैं.
प्री-लिटिगेशन वैवाहिक विवाद वह विवाद हैं जो पति-पत्नी के मध्य विभिन्न कारणों से उत्पन्न होते हैं. इसके समाधान के लिए पति अथवा पत्नी के द्वारा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में विवाद का संक्षिप्त विवरण लिखते हुए प्रार्थना पत्र दिया जाएगा. इसके बाद विपक्षी को नोटिस भेज कर बुलाया जाएगा. पारिवारिक न्यायालय के न्यायाधीश एवं मध्यस्थ अधिवक्ता की बेंच गठित की जाएगी.
बेंच के द्वारा दोनों पक्षों की बैठक करवाकर सुलह-समझौते के माध्यम से विवाद का समाधान कराया जाएगा. बेंच के द्वारा पक्षों के मध्य समझौते के आधार पर लोक अदालत में निर्णय पारित किया जाएगा, जो अंतिम माना जाएगा और निर्णय के विरुद्ध किसी अन्य न्यायालय में अपील दायर नहीं की जा सकती है. जिससे परिवार टूटने से बच जाएगा एवं पारिवारिक सद्भाव बना रहेगा.
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समस्त प्रकार के शमनीय आपराधिक मामले
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चैक बाउंस से सम्बन्धित धारा-138 एनआई एक्ट एवं बैंक रिकवरी
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मोटर दुर्घटना प्रतिकर वाद
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बिजली एवं जल के बिल से सम्बन्धित शमनीय दण्ड
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राजस्व वाद
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अन्य सिविल वाद
राष्ट्रीय लोक अदालत के प्रचार प्रसार के लिये जनपद न्यायाधीश लखनऊ अश्विनी कुमार त्रिपाठी ने पुराना उच्च न्यायालय परिसर कैसरबाग से सहरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया. जनपद न्यायाधीश ने बताया कि यह वाहन विभिन्न तहसीलों व ग्रामीण क्षेत्रों में भ्रमण कर लोक अदालत का प्रचार प्रसार करेगा. आम जनमानस को आपसी सुलह समझौते के लिये इसके माध्यम से प्रेरित करेगा.
लोक अदालत का आयोजन जिला न्यायालय, पारिवारिक न्यायालय, मोटर दुर्घटना दावा अधिकरणों, वाणिज्यिक न्यायालयों व समस्त तहसीलों में किया जायेगा, जिसमें बैंक वसूली वाद, किरायेदारी वाद, बैंक व अन्य वित्तीय संस्थाओं से सम्बन्धित प्रकरण, ऐसे प्रकरण जिनमें पक्षकार पारस्परिक सद्भावना के लिये आपसी सुलह समझौते से निपटाना चाहें, दीवानी वाद , उत्तराधिकार वाद, दांपत्य संबंधी वाद, प्रीलिटिगेशन स्तर के वाद, चेक बाउंस के मामले, जनोपयोगी सेवाओं से संबंधित प्रकरण, आरबीट्रेशन संबंधी वादों का निस्तारण किया जाएगा.
प्रचार वाहन को हरी झंडी दिखाने के मौके पर प्रफुल्ल कमल अपर जिला न्यायाधीश, प्रथम राहुल मिश्रा अपर जिला न्यायाधीश /नोडल अधिकारी, लोक अदालत में गौरव कुमारअपर जिला जज, अजय विक्रम अपर जिला जज व सत्येंद्र सिंह अपर जिला जज /सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मौजूद थे.