Lucknow: उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने की तैयारी है. अभी प्रदेश में चिकित्सक 62 वर्ष में सेवानिवृत्त होते हैं, जिसे बढ़ाकर अब 65 वर्ष किया जाएगा.
इसके साथ ही चिकित्सकों की कमी को पूरा करने के लिए पुनर्नियोजित करने के नियमों में भी बदलाव किया जाएगा. इन्हें पहले की अपेक्षा शिथिल और आकर्षक बनाया जाएगा, जिससे रिटायरमेंट के बाद भी चिकित्सकों से आसानी से सेवाएं ली जा सकें.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसके लिए शासन के वरिष्ठ अफसरों को जल्द कदम उठाने को कहा है. उन्होंने कहा कि अस्पतालों में डॉक्टरों के सभी रिक्त पद भरे जाएं. इसके साथ ही अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी को भी दूर करने के लिए ठोस नीति तैयार की जाए, जिससे सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीजों को इसका लाभ मिले सके.
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उत्तर प्रदेश में वर्तमान में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी दूर करने के लिए सीधी भर्ती और एमबीबीएस डॉक्टरों को विशेष प्रशिक्षण दिया भी जा रहा है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि भविष्य के मद्देनजर अन्य विकल्पों पर भी गंभीरता से विचार किया जाए.
इसके साथ ही अब उत्तर प्रदेश सरकार डॉक्टरों को परिवीक्षा अवधि में भी उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए अनुमति देगी. उन्हें असाधारण अवकाश दिया जाएगा. इस पूरी कवायद का मकसद है कि प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में किसी भी स्तर पर चिकित्सकों की कमी नहीं हो और उनकी सेवाओं का लाभ आम मरीजों को मिल सके.
इसके साथ ही प्रदेश के आठ आकांक्षात्मक जनपदों व 100 ब्लॉकों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए मानकों के अनुसार सुधार किया जाएगा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसके लिए अफसरों को निर्देश दिए हैं.
आकांक्षात्मक जनपदों व ब्लॉकों में कई बड़े चिकित्सा संस्थानों ने निवेश करने की इच्छा जताई है. पहले 50-50 बेड के निजी अस्पताल खोलने पर जोर दिया जाए. प्रदेश के जो आठ आकांक्षात्मक जनपदों में बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, सोनभद्र, चंदौली, फतेहपुर, चित्रकूट, बहराइच और श्रावस्ती शामिल हैं.