लखनऊ की रितु कराएंगी चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग, जानें कौन है रितु करिधाल जिन्हें मिली बड़ी जिम्मेदारी

चंद्रमा पर चंद्रयान-3 की सही सलामत सॉफ्ट लैंडिंग कराने की जिम्मेदारी जिसके कंधों पर दी गई है, वह लखनऊ की रितु करिधाल हैं. 'रॉकेट वुमेन' रितु करिधाल का जन्म लखनऊ के राजाजीपुरम में हुआ था. रितु करिधाल की शुरुआती पढ़ाई सेंट ऐगनिस पब्लिक स्कूल व नवयुग कन्या विद्यालय से की.

By Radheshyam Kushwaha | July 14, 2023 12:52 PM
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लखनऊ. आज चंद्रयान-3 दोपहर ढाई बजे श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा. 23-24 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग कराई जाएगी. इसरो द्वारा शुक्रवार को चंद्रयान-3 को लांच किया जाएगा. पूरे देश को इसका बेसब्री से इंतजार है. इसे सही सलामत चंद्रमा पर लैंडिंग कराने की जिम्मेदारी जिसके कंधों पर दी गई है, वह और कोई नहीं ‘रॉकेट वुमेन’ लखनऊ की रितु करिधाल हैं. ‘रॉकेट वुमेन’ रितु करिधाल का जन्म लखनऊ के राजाजीपुरम में हुआ था. शुरुआती पढ़ाई सेंट ऐगनिस पब्लिक स्कूल व नवयुग कन्या विद्यालय से की.

अमीनाबाद स्थित महिला विद्यालय डिग्री कॉलेज से बीएससी और लखनऊ विश्वविद्यालय से भौतिक विज्ञान में एमएससी और एलयू से भौतिक विज्ञान में एमएससी और एलयू से भौतिक विज्ञान में पीएचडी करना शुरू किया. छह महिने में अपना पेपर पब्लिश भी करवा लिया. रितु ने एयरो साइंस इंजीनियरिंग में एमटेक किया. रितु करिधाल ने मंगलयान-1 में डिप्टी ऑपरेशन डायरेक्टर और चंद्रयान-2 में मिशन डायरेक्टर की जिम्मेदारी निभाई है. इसकी वजह से ही उन्हें चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग कराने की जिम्मेदारी दी गई है.

लखनऊ की बेटी हैं रितु कारिधाल

रितु कारिधाल लखनऊ की हैं. लखनऊ स्थित राजाजीपुरम् में उनका आवास है. रितु की शुरुआती पढ़ाई लखनऊ के सेंट एगनिस स्कूल में हुई थी. इसके बाद उन्होंने नवयुग कन्या विद्यालय से पढ़ाई की. लखनऊ विश्वविद्यालय में भौतिकी से एमएससी करने के बाद वह रितु ने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग से एमटेक करने के लिए इंडियन इंस्टीट्यूज ऑफ साइंस बैंगलौर का रुख किया. बता दें कि रितु करिधाल ने वर्ष 1997 में इसरो जॉइन किया था. रितु करिधाल की पहली पोस्टिंग इसरों के यूआर राव सैटेलाइट सेंटर में दी गई.

रितु करिधाल ने इसरो के लिए छोड़ दी थी PHD

MTech करने के बाद रितु कारिधाल ने PHD करनी शुरू की और एक कॉलेज में पार्टटाइम प्रोफेसर के तौर पर पढ़ाने लगीं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इसी बीच 1997 में उन्होंने इसरो में जॉब के लिए अप्लाई किया. वहां उनकी नियुक्ति हो गई. मुश्किल ये थी कि जॉब के लिए उन्हें PHD छोड़नी थी, जिसके लिए वह राजी नहीं थी. जिन प्रोफेसर मनीषा गुप्ता की गाइडेंस वे PHD कर रहीं थीं, जब उन्हें ये पता चला तो उन्होंने रितु को इसरो ज्वॉइन करने के लिए प्रोत्साहित किया.

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ऐसे मिली चंद्रयान-3 की जिम्मेदारी

रितु कारिधाल चंद्रयान-2 की मिशन डायरेक्टर थीं. उनके अनुभव को देखते हुए 2020 में ही इसरो ने ये तय कर दिया था कि चंद्रयान-3 का मिशन भी रितु के ही हाथों में होगा. इस मिशन के प्रोजेक्ट डायरेक्टर पी वीरामुथुवेल हैं. इसके अलावा चंद्रयान-2 मिशन की प्रोजेक्ट डायरेक्टर रहीं एम वनिता को इस मिशन में डिप्टी डायरेक्टर की जिम्मेदारी दी गई है जो पेलॉड, डाटा मैनेजमेंट का काम संभाल रही हैं.

फतेहपुर के सुमित चंद्रयान लैंडर-रोवर तकनीकी टीम में

श्री हरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से शुक्रवार को चंद्रयान-3 की लॉचिंग पूरी दुनिया देखेगी. लेकिन खागा नगर के लोगों के लिए यह क्षण बेहद खास होगा. इस क्षण में खाग के ‘लाल’ का भी योगदान है. अंतरिक्ष विज्ञानी सुमित कुमार चंद्रयान-3 के लैंडर, रोवर के कैमरों की तकनीकी व डिजाइन टीम का अहम हिस्सा हैं. चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर लगे पांच कैमरे चंद्रमा की इमेजिग यानि तस्वीरें खीचेंगे. पेलोड में लगे कैमरे यानि की लैडिंग के दौरान चंद्रमा की सतह की तस्वीरें लेंगे.

जानें चांद पर कब पहुंचेगा चंद्रयान-3

लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान चंद्रमा की सतह पर एक दिन में 14 पृथ्वी दिवस के बराबर अपना काम व परीक्षण करेंगे. यह समय चंद्रमा के एक दिन के बराबर होगा. 14 जुलाई को लॉन्चिंग के बाद Chandrayaan-3 करीब 45 दिन का समय अंतरिक्ष में गुजारेगा, जो LVM-3 रॉकेट से अंतरिक्ष में सफर करेगा. चंद्रयान-3 में इस बार ऑर्बिटर नहीं भेजा जा रहा है. चंद्रयान-3 के साथ इस बार देश में तैयार किए गए प्रोपल्शन मॉड्यूल भेजे जा रहे हैं, जो लैंडर और रोवर को चंद्रमा की कक्षा तक लेकर जाएगा. चंद्रयान-3 अपने साथ कुल वजन 2145.01 किलोग्राम वजन लेकर जा रहा है, जिसमें 1696.39 किलोग्राम फ्यूल है. मिशन में हुए परीक्षण न केवल चंद्रमा की सतह, बल्कि पृथ्वी की उत्पत्ति के बारे में भी वैज्ञानिक जानकारियां बढ़ाएंगे.

चंद्रयान-3 में इस बार नहीं भेजा जा रहा ऑर्बिटर

चंद्रयान-3 मिशन साल 2019 में भेजे गए चंद्रयान-2 मिशन का फॉलोअप मिशन माना जा रहा है. इसमें लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग और रोवर को सतह पर चलाकर देखा जाएगा. हालांकि लैंडर को चांद की सतह पर उतारना सबसे कठिन काम है. 2019 में चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर की हार्ड लैंडिंग की वजह से मिशन खराब हो गया था. चंद्रयान-3 के लैंडर के थ्रस्टर्स में बदलाव किया गया है. सेंसर्स ज्यादा संवेदनशील लगाए गए हैं. लैंडिंग के समय वैज्ञानिकों की सांसें थमी रहेंगी. जानकारी के अनुसार, चंद्रयान-3 में इस बार ऑर्बिटर नहीं भेजा जा रहा है. इस बार स्वदेशी प्रोपल्शन मॉड्यूल भेज रहे हैं. यह लैंडर और रोवर को चंद्रमा की कक्षा तक लेकर जाएगा. इसके बाद यह चंद्रमा के चारों तरफ 100 किलोमीटर की गोलाकार कक्षा में चक्कर लगाता रहेगा.

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