UP Election 2022: पिता को ‘चौधरी जी’ पुकारने वाले RLD प्रमुख जयंत चौधरी जाटलैंड की राजनीति में क्यों हैं खास?

अब वही काम उनके बेटे जयंत चौधरी कर रहे हैं. वेस्ट यूपी के युवाओं में खासे चर्चित जयंत ने अपने पिता को खोने के बाद पार्टी को बिखरने से बचाते हुए उसके वजूद को जिंदा कर दिया है.

By Prabhat Khabar News Desk | December 27, 2021 2:38 PM

Lucknow News: पश्चिमी उत्तर प्रदेश को जाटलैंड कहते हैं. इस जाटलैंड ने प्रदेश में चुनावी समीकरणों को बनाने और बिगाड़ने में हमेशा से ही अहम योगदान दिया है. इस क्षेत्र में जाटों की राजनीति करने का दावा करने वाले राष्ट्रीय लोकदल (रालोद/RLD) के लिए सोमवार यानी 27 दिसंबर का दिन काफी महत्वपूर्ण है. कारण, पार्टी के मुखिया जयंत चौधरी का जन्मदिन (Jayant Chaudhary Birthday) है. यूं भी सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव से हाथ मिलाने के बाद तो वे प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर चर्चा का केंद्र बन गए हैं.

जाटलैंड में वोटर्स का रूझान काफी एकजुटता वाला रहा है. ऐसे में रालोद का गठन करके जाट वोटर्स के मन को जीतते और टटोलते आए पूर्व पार्टी प्रमुख अजित चौधरी को भी इस वर्ग विशेष की राजनीति के के लिए जाना जाता था. अब वही काम उनके बेटे जयंत चौधरी कर रहे हैं. वेस्ट यूपी के युवाओं में खासे चर्चित जयंत ने अपने पिता को खोने के बाद पार्टी को बिखरने से बचाते हुए उसके वजूद को जिंदा कर दिया है.

सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के साथ हाथ मिलाने के बाद उन्होंने पश्चिमी यूपी जिस तरह से जनसभाओं का आयोजन करवाया वह उनकी लोकप्रियता को दर्शाने के लिए काफी है. जयंत अपने पिता को हमेशा से ही ‘चौधरी साहब’ कहते आए हैं. उन्होंने सोमवार को अपने आधिकारिक ट्वीटर अकाउंट से ट्वीट करते हुए लिखा, ‘किसान आंदोलन में क़ुर्बानी देने वाले सभी परिवार के प्रति गहरी संवेदना है. जन्मदिवस पर चौधरी साहब की याद भी आ रही है. मैं आज का दिन विशेष नहीं मना रहा लेकिन बहुत सारी शुभकामनाएं मिल रही हैं. आपको धन्यवाद, मेरी प्रार्थना है आप स्वस्थ रहें, सामाजिक कार्यों में योगदान देते रहें!’

यूपी में विधानसभा की कुल 403 सीटें हैं. राष्ट्रीय लोकदल का प्रभाव पूरे सूबे में नहीं है. मगर वेस्ट यूपी इनकी पकड़ कही जाती है. एसपी-आरएलडी गठबंधन के निशाने पर जाट-मुस्लिम समीकरण है. यूपी में जाट वोटर्स की तादाद करीब 7 प्रतिशत है जो ज्यादातर पश्चिमी यूपी में हैं. पश्चिमी यूपी में 25 विधानसभा सीट ऐसी हैं जिन पर जाट वोटर्स को निर्णायक माना जाता है. पश्चिमी यूपी में 29 प्रतिशत मुस्लिम वोटर्स हैं.

हालांकि, आरएलडी को साल 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में शिकस्त मिली थी. पार्टी बिना किसी गठबंधन के चुनावी मैदान में उतरी थी. 277 सीटों पर उम्मीदवार उतारे लेकिन जीती एक सीट. बाद में उस विधायक ने भी बीजेपी का दामन थाम लिया था. 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में आरएलडी खाता तक नहीं खुला था. ऐसे में पार्टी को दोबारा जिंदा करने में जयंत चौधरी की मेहनत साफ दिख रही है. 15वीं लोकसभा में सांसद बनने वाले जयंत चौधरी मथुरा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से सांसद चुने गए थे.

वहीं, उनके पिता चौधरी अजीत सिंह पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के पुत्र थे. वे भारत के कृषि मंत्री रहे और वो 2011 से केंद्र की यूपीए सरकार में नागरिक उड्डयन मंत्री रहे. वे राष्ट्रीय लोक दल के लंबे समय तक अध्यक्ष रहे थे. उत्तर प्रदेश के बागपत से निर्वाचित सांसद भी रहे थे. 6 मई, 2021 को गुरुग्राम में कोविड-19 से उनकी मृत्यु हो गई थी.

Also Read: UP Election 2022:सपा-रालोद की रैली में अखिलेश यादव के न आने से सपाई मायूस, विपक्ष पर गरजे रालोद चीफ जयंत चौधरी

Next Article

Exit mobile version