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डेविस कप में भारत की जीत, विदा लेने के साथ रोहन बोपन्ना बोले- नई प्रतिभाएं इस वजह से नहीं आ रहीं सामने

रोहन बोपन्ना ने बड़े खिलाड़ियों की कमी को लेकर कहा कि सबसे बड़ा कारण प्रतियोगिताओं की कमी है. इटली, फ्रांस, अमेरिका जैसे देशों में बहुत प्रतियोगिताएं होती हैं. लेकिन हमारे देश में ऐसा नहीं है. पेशेवर और बड़े टूर्नामेंट तो एक या दो ही होते हैं. यहां के खिलाडि़यों की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं है.

Davis Cup 2023: राजधानी लखनऊ में 23 साल बाद हुए डेविस कप के मुकाबले में भारत ने जीत हासिल कर खेल प्रेमियों का दिल जीत लिया. भारतीय स्टार टेनिस खिलाड़ी रोहन बोपन्ना ने विश्व ग्रुप-2 के युगल मुकाबले में युकी भांबरी के साथ मिलकर इलियट बेनचेट्रिट-यूनुस लालामी लारौसी की मोरक्कन जोड़ी को 6-2, 6-1 से ​शिकस्त दी. इस जीत के साथ स्टेडियम में भारतीय दर्शक झूम उठे. वहीं रोहन बोपन्ना ने डेविस कप से विजयी नोट पर विदाई ले ली है.

प्ले ऑफ तक पहुंचा भारत, 2024 में इस टूर्नामेंट में खेलेगा

गोमतीनगर के विजयंत खंड मिनी स्टेडियम में हुए मुकाबले में सुमित नागल ने यासीन डिलीमी को 6-3, 6-3 से हरा दिया. इसके साथ भारत ने 4-1 की अजेय बढ़त ले ली. इसके बाद दिग्विजय प्रताप सिंह ने डेड रबर में वालिद अहौदा के खिलाफ 6-1, 5-7, 10-6 से जीत हासिल कर 4-1 के अंतर से भारत की जीत पर मुहर लगा दी. इसी के साथ भारत ने विश्व ग्रुप-1 प्ले ऑफ का टिकट कटा लिया. भारत अब 2024 में इस टूर्नामेंट में खेलेगा.

बोपन्ना-भांबरी की जोड़ी पूरे मैच में रही हावी

कोर्ट पर रोहन बोपन्ना और युकी भांबरी की जोड़ी के बीच बेहतरीन तालमेल दिखाई दिया. उन्होंने मोरक्को की जोड़ी को आसानी से मात दे दी. बोपन्ना के शक्तिशाली फोरहैंड का विपक्षी टीम के खिलाड़ियों के पास कोई जवाब नहीं था. पहला सेट 6-2 से जीतने के बाद भारतीय जोड़ी को अच्छी तरह पता चल गया था कि रबर उनकी टीम की पकड़ में है. बेनचेट्रिट और लारौसी दूसरे सेट में केवल पहला गेम ही जीत पाए. बोपन्ना ने वॉली को अच्छी तरह से उठाया, जबकि भांबरी ने भी अच्छी सर्विस की. इससे प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ियों के पास मुकाबला करने के लिए बहुत कम विकल्प बचे थे.

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बोपन्ना ने दर्शकों के साथ मनाया जश्न

जीत हासिल करने के बाद रोहन बोपन्ना ने अपना मुकाबला देखने आए दर्शकों की ओर हाथ हिलाया. भारतीय टीम के प्रत्येक सदस्य से उन्होंने हाथ मिलाया. वह भारतीय झंडे में लिपटे हुए, हाथ हिलाते हुए, हर स्टैंड में फैंस को फ्लाइंग किस देते हुए कोर्ट के चारों ओर घूमे. यह नजारा वहां मौजूद सभी ने अपने कैमरे में कैद किया. दूसरी ओर नागल ने अपनी विजयी फॉर्म जारी रखते हुए डिलिमी को 6-3, 6-3 से हराया. नागल बड़ी सर्विस कर रहे थे और कल की तुलना में कहीं बेहतर सर्विस कर रहा था.

मोरक्को के खिलाड़ियों ने की अच्छी कोशिश

मोरक्को के खिलाड़ियों की बात करें तो पहले सेट में, पहला गेम जीतने के बाद, नागल के 40-0 से आगे होने के बावजूद डिलिमी ने वापसी की कोशिश दी. इस वजह से मुकाबला ड्यूस तक खिंच गया, लेकिन भारतीय खिलाड़ी स्थिति से बाहर निकलने में सफल रहे और स्कोर 1-1 से बराबर कर लिया. इसके बाद नागल ने तीसरे गेम में डिलीमी की सर्विस तोड़कर 2-1 की बढ़त ले ली. नौवें गेम में उन्होंने एक बार फिर डिलिमी की सर्विस तोड़कर सेट 6-3 से अपने नाम कर लिया. दूसरे सेट के दूसरे गेम में नागल ने एक बार फिर उनकी सर्विस तोड़कर 2-0 से बढ़त बना ली. मुकाबले के दौरान भारतीय खिलाड़ी आत्मविश्वास से लबरेज दिखाई दिए.

डेविस कप के साथ शुरू हुआ था रोहन बोपन्ना का सफर

लखनऊ में आयोजित डेविस कप रोहन बोपन्ना के आखिरी मुकाबले के कारण भी याद रखा जाएगा. इस मैच के साथ उन्होंने डेविस कप को अलविदा कह दिया है. खास बात है कि रोहन बोपन्ना ने वर्ष 2002 के सितंबर में आस्ट्रेलिया के विरुद्ध डेविस कप से करियर शुरू किया और इस वर्ष सितंबर में ही डेविस कप को अलविदा कह दिया. इस वर्ष यूएस ओपन में उपविजेता और अब डेविस कप में विजेता बने बोपन्ना ने यह साबित कर दिया कि उम्र केवल एक संख्या है. रोहन ने जीत के बाद कहा कि इससे बेहतर विदाई क्या हो सकती है.

जीत के साथ मिली विदाई से खुश

उन्होंने कहा कि आमतौर पर एक खिलाड़ी के लिए सन्यास शब्द अच्छा नहीं लगता. लेकिन, सभी की एक समय-सीमा है. मैं चाहता हूं कि अब मेरी जगह कोई और ले. मैंने डेविस कप से ही अपने करियर की शुरुआत की. वर्ष 2002 में आस्ट्रेलिया के विरुद्ध पहली बार डेविस कप टीम के लिए मेरा चयन किया गया. इसके बाद केवल अपने खेल पर ध्यान दिया और कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन्होंने कहा कि यह मेरे लिए भावुक पल जरूर है, लेकिन, अभी टेनिस खेलता रहूंगा. एक खिलाड़ी के रूप में जीत के साथ विदाई चाहता था और अंतत: मिल भी गई.

यादगार मैच का ऐसे किया जिक्र

रोहन बोपन्ना ने 21 वर्ष के लंबे सफर में अहम मुकाबलों को लेकर कहा कि वर्ष 2010 में भारत और ब्राजील के बीच डेविस कप मुकाबला था. हमारी टीम में लिएंडर पेस, महेश भूपति और सोमदेव बर्मन जैसे दिग्गज खिलाड़ी थे. मुझे अंतिम रिवर्स सिंगल्स मैच खेलने के लिए उस समय के धुरंधर खिलाड़ी रिकार्डो मेलो के विरुद्ध उतारा गया. रोहन बोपन्ना ने कहा कि वह बेहद दबाव में थे. लेकिन, उन्होंने यह मुकाबला 6-3, 7-6(2), 6-3 से जीत लिया. इस मैच की बदौलत ही भारत ने ब्राजील पर 3-2 से रोमांचक जीत प्राप्त की. यह उनके करियर में सबसे यादगार टूर्नामेंट है.

भारत में टेनिस की ज्यादा प्रतियोगिताएं कराने की जरूरत

रोहन बोपन्ना ने देश में बड़े खिलाड़ियों की कमी को लेकर कहा कि सबसे बड़ा कारण प्रतियोगिताओं की कमी है. इटली, फ्रांस, अमेरिका जैसे देशों में बहुत प्रतियोगिताएं होती हैं. लेकिन हमारे देश में ऐसा नहीं है. पेशेवर और बड़े टूर्नामेंट तो एक या दो ही होते हैं. यहां के खिलाडि़यों की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं है कि वे विदेश जाकर खेलें. ऐसे में अधिक से अधिक प्रतियोगिताएं कराने की जरूरत है, जिससे युवा प्रतिभाएं सामने आ सकें. इसके साथ ही टूर्नामेंट की संख्या भी बढ़ाने की जरूरत है. विदेशी कोच की तैनाती भी की जा सकती है. टेनिस की दशा सुधारने के लिए क्रिकेट और अन्य खेलों से सीखने की आवश्यकता है. तभी अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगे.

यूपी टेनिस संघ से जुड़ने के लिए तैयार

रोहन बोपन्ना इस समय कर्नाटक टेनिस संघ के उपाध्यक्ष हैं. उन्होंने कहा कि अगर भारतीय टेनिस संघ को उनकी जरूरत होगी तो उससे भी जुड़ने को तैयार हैं. वहीं बेंगलुरु में उनकी अकादमी है, जहां टेनिस खेलने से लेकर बच्चों की पढ़ाई की भी सुविधा उपलब्ध कराई जाती हैं. यहां से अच्छे खिलाड़ी निकलने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि अगर यूपी टेनिस संघ को भी उनकी जरूरत होगी तो वह जुड़ने के लिए तैयार हैं.

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