UP News: सपा ने दुद्धी विधानसभा उपचुनाव में विजय सिंह गोंड़ को घोषित किया प्रत्याशी, जानें इनके बारे में
सोनभद्र के दुद्धी विधानसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने विजय सिंह गोंड़ को अपना प्रत्याशी उतारा है. विजय सिंह गोंड़ की आदिवासी नेता के रूप में पहचान है, मुलायम सिंह यादव की सरकार में राज्यमंत्री भी रह चुके हैं. दुद्धी विधानसभा सीट से 7 बार विधायक रह चुके हैं.
सोनभद्र (Sonbhadra) के दुद्धी विधानसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने आदिवासी नेता के रूप में पहचान रखने वाले विजय सिंह गोंड़ (Vijay Singh Gaur) को अपना प्रत्याशी घोषित किया है. वे मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) की सरकार में राज्यमंत्री भी रह चुके हैं. विजय सिंह गोंड़ ने 1980 में चुनावी सफर शुरू किया था. विजय सिंह गोंड़ विधानसभा सीट दुद्धी से 7 बार विधायक रह चुके हैं. समाजवादी पार्टी कार्यालय में हुई बैठक में दुद्धी विधानसभा उपचुनाव में प्रत्याशी की घोषणा की गई. इस दौरान सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने लोकसभा 2024 के चुनाव को लेकर प्रत्याशियों के नाम के सुझाव मांगे है. और वोटर लिस्ट पर विशेष ध्यान देने की बात कही है. बता दें कि प्रदेश की दुद्धी विधानसभा सीट भाजपा के लिए हमेशा से चुनौतीपूर्ण रही है. विधानसभा चुनावों में हर जगह जीत का परचम लहराने वाली भाजपा दुद्धी सीट जीतने में नाकाम रही थी. वर्ष 2022 में भाजपा को यह अवसर भी मिला तो अब विधायक रामदुलार गोंड को दुष्कर्म के अपराध में 25 वर्ष की सजा ने पार्टी को गहरा झटका दिया है. इससे पहले वर्ष 2017 में भाजपा और अपना दल-एस गठबंधन से निर्वाचित हुए हरिराम चेरो को भी कोर्ट ने तीन साल कैद की सजा सुनाई थी. उन्हें आर्म्स एक्ट का दोषी पाया गया था. हालांकि तब तक हरिराम का कार्यकाल पूरा हो चुका था और वह बसपा में शामिल हो चुके थे.
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यह है राजनीतिक कैरियर
सोनभद्र की राजनीति में कई नेताओं के गुरु स्व. राम प्यारे पनिका के शिष्य रहे दुद्धी से सपा प्रत्याशी विजय सिंह गोंड़ आदिवासी नेता के रूप में पहचाने जाते हैं. उन्होंने वर्ष 1980 से अपना चुनावी सफर शुरू किया और उत्तर प्रदेश की सबसे अंतिम विधानसभा सीट दुद्धी से लगातार सात बार विधायक रहे. पूर्व की मुलायम सिंह यादव की सरकार में वे परिवार कल्याण राज्यमंत्री भी रहे. बता दें कि अपने पूरे राजनीतिक जीवन में महज एक बार वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में अपना दल व भाजपा गठबंधन के प्रत्याशी हरिराम चेरो से हार मिली थी. वर्ष 1980 के चुनाव में पढ़ाई छोडकर पहली बार चुनावी मैदान में किस्मत आजमाने कांग्रेस के सिंबल पर चुनाव में उतरे विजय सिंह गोंड़ ने भाजपा के तत्कालीन विधायक ईश्वर प्रसाद को करीब 3200 वोट से हराकर अपनी पारी का आगाज किया था. इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. हर चुनाव में उन्हें जीत हासिल हुई जो लगातार (सात बार) 2007 तक कायम रहा. इस दौरान उन्होंने लंबा संघर्ष कर आदिवासियों के लिए अलग से आरक्षण की मांग करते हुए 17 जातियों को अनुसूचित जाति से हटवाकर अनुसूचित जनजाति में शामिल कराने में कामयाब हुए, लेकिन इसी कारण वह वर्ष 2007 का विधानसभा चुनाव भी नही लड़ पाए, क्योंकि गोड़ बिरादरी अनुसूचित जनजाति में शामिल हो गई और दुद्धी विधानसभा की सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी.
विजय गोड़ 1984 में भी कांग्रेस के चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़े और जीत हासिल किए. इसके बाद उन्होंने वर्ष 1989 में निर्दल प्रत्याशी के रूप में किस्मत आजमाया. इसके बाद वर्ष 1991 में वे समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए और सपा से ही विधानसभा चुनाव लड़ा. इस चुनाव में भी उन्हें जीत हासिल हुई. फिर 1993, 1996 व 2002 में भी सपा से चुनाव लड़े और जीत हासिल की. वर्ष 2007 में वे गोंड़ बिरादरी के अनुसूचित जनजाति में शामिल होने से वे चुनाव नहीं लड़ सके. इसी तरह 2012 में भी अनुसूचित जाति की ही सीट होने के कारण मौका नहीं मिला. वर्ष 2017 में दुद्धी व ओबरा विधानसभा सीट अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित हो गई. तब विजय सिंह बसपा में शामिल हो चुके थे. उन्होंने बसपा के टिकट पर दुद्धी से चुनाव लड़ा लेकिन 1085 मतों से हार गए. अब एक बार फिर सपा ने दुद्धी विधानसभा सीट से विजय सिंह गोंड़ को पार्टी का प्रत्याशी घोषित किया है.