यूपी के महोबा में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने भाजपा सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि ओमप्रकाश राजभर बड़बोले नेता हैं. उनके चलते घोसी की जनता ने बीजेपी को करारा जबाव देकर ओपी राजभर का मुंह बंद कर दिया है. भाजपा सरकारी संस्थाओं को बेचकर उद्योगपतियों को फायदा पहुंचा रही है और देश लगातार पीछे जा रहा है.
मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव प्रचार में जाने से पहले सपा के राष्ट्रीय महासचिव शहर के कस्बा कबरई में नगर पंचायत अध्यक्ष राजकिशोरी के आवास पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि जी-20 समिट से देश को कोई फायदा नहीं होना है. यूपी में भी इसी तरीके से कई समिट किए गए, जिसका फायदा उत्तर प्रदेश को नहीं हुआ. जी-20 भी वही ढांक के तीन पात हैं, इसका भी कोई फायदा नहीं होना है.
घोसी विधानसभा में सपा की जीत को लेकर उन्होंने कहा कि जीत समाजवादी पार्टी की भी है और इंडिया गठबंधन की भी है. घोसी की जनता ने सबक सिखाने के लिए अपनी ताकत का अहसास करा दिया है. सत्ता के दुरुपयोग के बाद भी लंबे अंतराल से सपा और इंडिया की जीत हुई है. इंडिया और भारत नाम के विवाद पर उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान में पढ़े-लिखे लोग देश का नाम बदलने की मांग कर रहे हैं. इंडिया, भारत दोनों हमारे देश के नाम हैं. जो इंडिया नाम हटाने की मांग कर रहे हैं, उन्हें भारत से ही प्रेम नहीं है.
सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर घोसी विधानसभा उप चुनाव में एनडीए में भाजपा प्रत्याशी के करारी शिकस्त का सामना करने के बाद भी मंत्री बनाए जाने को लेकर आश्वस्त नजर आ रहे हैं. उनका एक बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें राजभर दमदारी से यह कह रहे हैं, लोग दिल थाम कर बैठें, चुनाव हारने के बाद भी दारा और मैं मंत्री जरूर बनेंगे.
दरअसल घोसी उप चुनाव परिणाम के बाद राजभर और दारा सिंह चौहान को मंत्री बनाए जाने को लेकर फिर चर्चाएं तेज हैं. इस संबंध में पूछे जाने पर ओमप्रकाश राजभर सवाल पूछने वाले मीडिया कर्मी से कह रहे हैं कि जो लोग ऐसा सोच रहे हैं कि अब हम दोनों मंत्री नहीं बनेंगे तो उनसे कहिए कि हम लोग एनडीए के हिस्सा हैं और एनडीए के मालिक प्रधानमंत्री, अमित शाह और जेपी नड्डा हैं, कोई और मालिक नहीं है.
वीडियो में राजभर यह कहते हुए दिख रहे हैं कि जो लोग हमें और दारा सिंह को मंत्री बनाए जाने को लेकर परेशान हैं, कहीं उन लोगों का कलेजा न फट जाए और हार्ट अटैक न हो जाए. उन लोगों को धैर्य से दिल थामकर बैठना चाहिए. उन्होंने कहना है कि हम लोग 100 प्रतिशत मंत्री बनेंगे.
घोसी उप चुनाव में दारा सिंह को राजभर समेत अन्य पिछड़ी जातियों का कम वोट मिलने के आरोपों को खारिज करते हुए सुभासपा अध्यक्ष ने कहा कि यह कहना गलत है. एक निजी सर्वे एजेंसी के सर्वे की रिपोर्ट के हवाले से राजभर कहते हैं कि उनकी बिरादरी का 83 से 90 प्रतिशत वोट दारा सिंह को मिले हैं. चौहान को सबसे कम वोट ब्राम्हण और क्षत्रियों का मिला है.
घोसी विधानसभा उपुचनाव में मिली जीत के बाद समाजवादी पार्टी के उत्साहित सपा नेताओं ने कई जगह होर्डिंग लगवाए हैं. वैसे तो इस जीत का श्रेय सपा के कई बड़े नेताओं को दिया जा रहा है, लेकिन सपा के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल यादव का नाम सबसे आगे है. शिवपाल ही वो शख्स हैं जिन्होंने घोसी को जिताने के लिए पूरी तरह से जी-जान लगा दी थी. शिवपाल ने ही सपा के कार्यकर्ताओं को एकजुट करने का काम किया है. घोसी उपचुनाव में मिली जीत के बाद सपा कार्यकर्ताओं ने शिवपाल के समर्थन में होर्डिंग तक लगा डालीं.
लखनऊ स्थित समाजवादी पार्टी के बाहर शिवपाल यादव के समर्थन में लगे होर्डिंग में लिखा है, टाइगर अभी जिंदा है. होर्डिंग में सपा कार्यकर्ता ने अपने साथ-साथ अखिलेश यादव और शिवपाल यादव की फोटो भी छपवाई है. अखिलेश की फोटो के आगे लिखा है भतीजे को हराने से पहले चाचा को हराना होगा और यह मुमकिन नहीं नामुमकिन है. बता दें कि समाजवादी पार्टी के बाहर लगे इस होर्डिंग को युवा नेता अब्दुल अजीम ने लगवाया है. अब्दुल अजीम ने शिवपाल यादव को टाइगर बताते हुए बड़े-बड़े शब्दों में टाइगर अभी जिंदा है लिखवाया है.
गौरतलब है कि 2022 में भी घोसी सीट समाजवादी पार्टी के कब्जे में आई थी. उस दौरान दारा सिंह ने यहां से सपा की टिकट से चुनाव जीता था. दारा सिंह ने इस्तीफा देकर भाजपा ज्वाइन कर ली तो यह सीट खाली हुई. घोसी में फिर उपचुनाव का ऐलान हुआ तो सपा ने सुधाकर सिंह को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया. सपा के लिए अब ये सीट जीतना किसी चुनौती से कम नहीं थी.
इस सीट को जिताने की जिम्मेदारी सपा मुखिया ने चाचा शिवपाल यादव को सौंपी तो शिवपाल ने भी घोसी सीट को जिताने में पूरी ताकत झोंक दी. शिवपाल यादव ने उपचुनाव से पहले 15 दिन तक कैंप किए और जन-जन तक पहुंचकर सपा प्रत्याशी के वोट मांगे थे. आठ सितंबर को जब चुनाव के परिणाम आए तो सबको चौंका दिया. सपा प्रत्यशी सुधाकर सिंह भारी मतों से चुनाव जीत गए.
घोसी उपचुनाव परिणाम आने के बाद लखनऊ में समाजवादी पार्टी के दफ्तर के बाहर एक होर्डिंग लगाई गई, जिसमें सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) प्रमुख ओम प्रकाश राजभर को दगा हुआ कारतूस बताया गया. ऐसा पहली बार हुआ है जब घोसी में विजेता को सवा लाख से अधिक मत हासिल हुए. इस बीच भाजपा की हार और समाजवादी पार्टी की जीत पर दोनों दलों के नेताओं के नपे-तुले बयान आ रहे हैं, वहीं एक पोस्टर ने सबको चौंका दिया है.
दरअसल, समाजवादी युवजन सभा के पूर्व राज्य सचिव आशुतोष सिंह ने सपा दफ्तर के बाहर एक बड़ी सी होर्डिंग लगवाई है. इसमें लिखा गया है- ‘सभी दल सावधान, ओम प्रकाश राजभर दगे हुए कारतूस हैं.’ वहीं, परिणाम घोषित होने पर ही सपा नेता सुनील सिंह साजन ने कहा है कि ओमप्रकाश राजभर भाजपा को ही मुबारक. वह जहां भी रहते हैं वहां नाश ही करते हैं.
घोसी विधानसभा उपचुनाव लड़ना बसपा की राजनीतिक सूझबूझ वाला रहा या नुकसानदायक यह तो समय बताएगा, पर चुनावी परिणामों ने यह साफ कर दिया है कि मुस्लिम के साथ दलित मतदाता ने सपा के साथ जाने में परहेज नहीं किया. बसपा सुप्रीमो मायावती हर मौके पर दलितों के साथ मुस्लिमों को साधती रहती हैं और यह बताने की कोशिश करती हैं कि भाजपा से मुकबला वही कर सकती हैं, मगर घोसी उपचुनाव के परिणाम से बसपा की मुस्लिम-दलित वोट बैंक पर पकड़ कमजोर होती दिखी. घोसी उपचुनाव परिणाम कहीं न कहीं मायावती के लिए भी संदेश गया है.
घोसी विधानसभा सीट पर 4.24 लाख से अधिक मतदाता हैं. इनमें दलित 71 हजार और मुस्लिम 86 हजार हैं. मायावती ने इसी समीकरण को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम उम्मीदवार वसीम इकबाल पर दांव लगाया था. वसीम इस चुनाव में 54248 वोट पाकर तीसरे नंबर पर थे. इससे साफ है कि इस चुनाव में भी बसपा को मुस्लिम और दलित वोट पूरा नहीं मिला. इस चुनाव में सपा ने जीत दर्ज की थी. घोसी उपचुनाव में भी यही वोट निर्णायक साबित हुए.
घोसी विधानसभा उपचुनाव में सपा मुखिया अखिलेश ने बसपा से निकल कर साथ आने वालों को मोर्चे पर लगाया, जिससे दलित वोट बैंक को अपने पाले में लाया जा सके और लोकसभा चुनाव के लिए दिए गए पीडीए फार्मूले को सच साबित किया जा सके. देखा जाए तो अखिलेश का यह फार्मूले पर सफल होते दिखे. इस विधानसभा सीट पर दलित मतों में कोरी, पासी और सोनकर जातियां हैं. परिणाम बता रहे हैं कि कोरी और पासी जातियों ने सपा का साथ दिया.
देश में अगले साल लोकसभा चुनाव होना है. देश में यह चुनाव एनडीए बनाम इंडिया के बीच होने वाला है. बसपा इन दोनों गठबंधनों से अलग है. बसपा चाहती थी कि उनके कॉडर के लोग घोसी विधानसभा चुनाव के मतदान से किनारा कर लें, जिससे यह साबित हो जाए कि वो उनके साथ है. मगर ऐसा न होने से आने भविष्य के चुनावी समीकरण का संकेत भी हो सकता है.