UP Election 2022: अखिलेश यादव की ‘वर्चुअल रैली’ में जुटे हजारों समर्थक, लखनऊ DM ने दिए जांच के आदेश
एक तरफ जहां देश में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ लखनऊ स्थित सपा मुख्याललय पर हजारों कार्यकर्ताओं की भीड़ जुटी. इस भीड़ को देखते हुए डीएम अभिषेक प्रकाश ने जांच के आदेश दिए है.
UP Election 2022: देश में एक तरफ जहां कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. वहीं उत्तर-प्रदेश में विधानसभी चुनाव को लेकर सरग्रमी तेज हो गई है. हर रोज कई विधायक अपनी-अपनी पार्टियां बदल रहे हैं. आज स्वामी प्रसाद मौर्य समेत भारतीय जनता पार्टी के बागी नेता समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए. जिसके बाद सपा ने वर्चुअल रैली की. इस रैली में वर्चुअल जैसा कुछ भी नहीं था. इस कार्यक्रम में हजारों की संख्या में कार्यकर्ता पहुंचे थे.
वर्चुअल रैली’ के दृश्य को देखकर ऐसा लग रहा था, मानो देश में कोरोना महामारी जैसी कोई बीमारी नहीं है. कार्यक्रम में शामिल होने के लिए कार्यकर्ताओं और समर्थकों में गजब का जोश देखा गया. सभी सुबह से ही कार्यालय पर जुटना शुरू हो गए. इस रैली में कोरोना गाइडलाइंस की जमकर धज्जियां उड़ाई गई. मंच पर स्वामी प्रसाद मौर्य अखिलेश यादव और बीजेपी छोड़कर आए विधायक भी दिखाई दिए.
Uttar Pradesh | Samajwadi Party's rally being held without permission. Police team sent to SP office, necessary action to be taken in this regard: Lucknow DM Abhishek Prakash
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) January 14, 2022
मामले को लेकर लखनऊ के जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने कहा कि समाजवादी पार्टी की वर्चुअल रैली बिना पूर्व अनुमति के हुई. डीएम प्रकाश ने कहा, “सूचना मिलने पर पुलिस टीम और मजिस्ट्रेट को एसपी कार्यालय भेजा गया. उनकी रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी.”
लखनऊ के पुलिस आयुक्त डीके ठाकुर ने कहा कि चुनाव आयोग के आदेशों का उल्लंघन कर जहां भी लोग बड़ी संख्या में इकट्ठा हो रहे हैं, वहां शहर की पुलिस तैनात की जा रही है. उन्होंने कहा, “हमें सोशल मीडिया पर एसपी कार्यालय के बाहर भीड़ जमा होने की सूचना मिली और भीड़ को हटाने के लिए पुलिस कर्मियों को भेजा गया था.”
आपको बता दें कि भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) ने 8 जनवरी को देश के कुछ हिस्सों में कोविड -19 मामलों में वृद्धि को देखते हुए विशाल रैलियों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी. जबकि चुनाव आयोग के आदेश ‘आभासी’ रैलियों पर लागू नहीं होते थे, आयोग ने स्पष्ट रूप से कहा था कि किसी भी पार्टी को उसके कोविड -19 दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करते देखा गयाी तो चुनाव प्रचार वहीं रोक दिया जाएगा.
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