लखनऊ. उत्तर प्रदेश की राजधानी के कैसरबाग इलाके में स्थित एससी-एसटी कोर्ट परिसर में बुधवार को दिनदहाड़े गैंगस्टर संजीव माहेश्वरी उर्फ संजीव जीवा की हत्या कर दी गयी. उत्तर प्रदेश के शामली जिले के रहने वाले संजीव महेश्वरी उर्फ संजीव जीवा का अंत भी बिल्कुल माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की तरह हुआ. अतीक ब्रदर्स की हत्या भी पुलिस अभिरक्षा में उस समय हुई थी जब उनको प्रयागराज के अस्पताल में मेडिकल के लिए लाया गया था. हत्यारे मीडियाकर्मी बनकर आए थे. वारदात के बाद पुलिस ने उनको गिरफ्तार कर लिया था. जीवा की हत्या के मामले में भी कुछ ऐसा ही है. पेशी के दौरान पुलिस की सुरक्षा उसके साथ थी. कोर्ट में हत्यारा वकील के वेश में आया था. जीवा की हत्या के बाद वह भी पुलिस की गिरफ्त में आ गया.
गैंगस्टर संजीव माहेश्वरी उर्फ संजीव जीवा 90 के दशक में अपराध की दुनिया में कदम रखा था.इससे पहले वह कंपाउंडरी करता था. जिस दवाखाने में कंपाउडर की नौकरी करता था उसी दवाखाना संचालक का अपहरण कर पहली चुनौती पुलिस को दी थी. इसके बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा. कोलकता के कारोबारी के बेटे की फिरौती में 2 करोड़ मांगे थे.गैंगस्टर से नेता बने बाहुबली मुख्तार अंसारी का शूटर और राइट हैंड कहा जाने वाला जीवा पर 22 से ज्यादा मामले दर्ज हैं. पूरे देश की पुलिस की नजर में तब आया जब गेस्ट हाउस कांड में पूर्व मुख्यमंत्री मायावती को बचाने वाले बीजेपी विधायक ब्रह्म दत्त द्विवेदी की 10 मई 1997 को हत्या कर दी थी. इस मामले में जीवा उम्रकैद की सजा काट रहा था. कुछ समय पहले मुजफ्फरनगर में 4 करोड़ रुपये की कीमत की प्रॉपर्टी को जिला प्रशासन ने कुर्क कर लिया था.
गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी के करीबी सहयोगी संजीव माहेश्वरी जीवा का हाथ कृष्णानंद राय की हत्या में भी था. उसे कुछ समय पहले ही लखनऊ की जेल में शिफ्ट किया गया था. हिस्ट्रीशीटर संजीव जीवा को अपनी हत्या की आशंका थी. जेल में बंद मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद उसने यह आशंका भी प्रकट कर दी थी कि कोई उसकी जान लेना चाहता है. जीवा की पत्नी पायल ने करीब दो साल पहले 2021 को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) को पत्र लिखा था. इसमें पति संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की पुलिस कस्टडी – कोर्ट में पेशी के दौरान हत्या हो सकती है. इसके आशंका के आधार पर ही पायल ने पति की सुरक्षा सुनिश्चित करने का अनुरोध सीजेआई से किया था.