Scholarship Scam: उत्तर प्रदेश में 100 करोड़ से अधिक छात्रवृत्ति घोटाले में कई स्कूलों पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का शिकंजा कसने वाला है. इन स्कूलों की संख्या 161 बताई जा रही है, जिन्हें नोटिस जारी करने के लिए इडी ने पूरी तैयारी कर ली है. इसके बाद इस फर्जीवाड़े में और बड़ा खुलासा होने की उम्मीद की जा रही है.
ईडी ने जब शिकायत के आधार पर मामले की जांच की थी, तो शुरुआत में उसे भी अंदाजा नहीं था कि केस इतना बड़ा हो सकता है. ईडी ने जांच रिपोर्ट प्रदेश सरकार को भेजी. इसके बाद राजधानी लखनऊ के हजरतगंज थाने में पुलिस ने अप्रैल माह में एफआईआर दर्ज कराई.
जानकारी के मुताबिक प्रवर्तन निदेशालय ने उत्तर प्रदेश के 161 कॉलेजों को चिह्नित किया है, जो हाइजिया ग्रुप की तरह अल्पसंख्यकों, एससी-एसटी और गरीबों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति की रकम को हड़प रहे थे. हालांकि इन कॉलेजों के नाम प्रवर्तन निदेशालय ने सार्वजनिक नहीं किए हैं. कहा जा रहा है कि इनमें कई बड़े शैक्षणिक संस्थान शामिल हैं, जो कई कॉलेजों का संचालन करते हैं. ऐसे में बड़ा खेल का खुलासा होने की उम्मीद है. प्रवर्तन निदेशालय जल्द ही इन कॉलेजों के संचालकों को नोटिस जारी करने जा रहा है.
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जानकारी में सामने आया है कि छात्रवृत्ति घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय की ओर से गिरफ्तार किए गए अंतरराष्ट्रीय पैरा क्रिकेटर विक्रम नाग ने हाइजिया के अलावा कई अन्य कॉलेजों के नामों का खुलासा किया है, जिनको वह छात्रवृत्ति हड़पने के लिए दिव्यांग छात्र-छात्राओं के दस्तावेज मुहैया कराता था. जांच पड़ताल में कुल 161 कॉलेजों के छात्रवृत्ति हड़पने के साक्ष्य मिले हैं. एक गैरसरकारी संगठन का नाम भी सामने आया है, जिसे एक दिव्यांग संचालित करता है.
इस एनजीओ के जरिये भी दिव्यांग विद्यार्थियों को एकत्र कर हाइजिया समेत अन्य कॉलेजों में भेजा जाता था. बताया जा रजा है कि ईडी के अफसर एनजीओ के संचालक को नोटिस देकर तलब करने जा रहे हैं. घोटाले में जल्द ही अनुपूरक आरोप पत्र भी दाखिल करने की तैयारी है. इसमें विक्रम नाग समेत कई कॉलेज संचालकों के भ्रष्टाचार को उजागर किया जाएगा. वहीं दूसरी ओर हाइजिया ग्रुप के संचालक और छात्रवृत्ति घोटाले के मास्टरमाइंड लकी जाफरी पर प्रवर्तन निदेशालय दोबारा शिकंजा कसने जा रही है. प्रवर्तन निदेशालय ने लकी की गिरफ्तारी पर अंतरिम राहत को समाप्त करने का अदालत से अनुरोध किया है.
इस प्रकरण में ईडी को लखनऊ समेत छह शहरों में की गई छापेमारी के दौरान घोटाले की रकम से बेनामी संपत्तियां खरीदे जाने की जानकारी भी सामने आई थी. हजरतगंज पुलिस ने ईडी से जुटाई गई जानकारियों के आधार पर 18 नामजद समेत अन्य आरोपितों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज की है. इसमें कई संस्थानों व फिनो बैंक के अफसरों व कर्मचारियों को आरोपी बनाया गया है.
बताया जा रहा है कि लखनऊ स्थित एसएस इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, हाजिया कालेज ऑफ फार्मेसी, हाजिया इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी-सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफफ फार्मेसी, लखनऊ इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड एजूकेशन, फर्रुखाबाद स्थित डॉ.ओम प्रकाश गुप्ता इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलाजी, हरदोई स्थित डॉ.भीमराव अंबेडकर फाउंडेशन एंड जीविका कालेज ऑफ फार्मेसी, आरपी इंटर कालेज, ज्ञानवती इंटर कालेज व जगदीश प्रसाद वर्मा उच्चतर माध्यमिक विद्यालय व अन्य ठिकानों पर छापेमारी के दौरान बड़े पैमाने पर गड़बड़ी के सबूत मिले थे. ईडी ने लाखों रुपए के प्री एक्टिवेटेड सिम कार्ड और कई दस्तावेज भी बरामद किए थे.
मामले की गंभीरता को देखते हुए इस केस की बड़े स्तर पर जांच के लिए एसआईटी गठित की गई. एसआइटी इस प्रकरण में कई लोगों को अब तक जेल भेज चुकी है. एसआईटी की जांच में सामने आया है कि 10 कालेजों ने मिलकर 100 करोड़ रुपए की छात्रवृति घोटाला किया. वहीं अन्य माध्यमों से भी खंगाला जा रहा है. जिसकी भी घोटाले में भूमिका है, उसको जांच में शामिल किया जा रहा है.
मामले में लखनऊ के हाइजिया ग्रुप के संचालक और कर्मचारी रवि प्रकाश गुप्ता को पहले ही गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है. वहीं बीते महीने बीते महीने हरदोई स्थित जगदीश प्रसाद वर्मा इंटर कालेज के प्रबंधक विवेक कुमार, नोडल अफसर यशवंत कनौजिया और आरपी इंटर कालेज के प्रबंधक के भाई अभिवन कनौजिया को जेल भेजा गया. जांच पड़ताल में जैसे जैसे संदिग्धों की भूमिका स्पष्ट होते जा रही है, साक्ष्य के आधार पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है.
दरअसल दिव्यांग कोटे की छात्रवृत्ति हड़पने के लिए कालेज प्रबंधन ने दलालों के जरिए मुख्य चिकित्साधिकारी के फर्जी हस्ताक्षर बनवाकर उनके दिव्यांग प्रमाणपत्र बनवाए गए थे. तफ्तीश में यह भी जानकारी हुई है कि प्रबंधन ने 30 फीसद सामान्य कोटे की और 34 फीसद दिव्यांग छात्रों का कालेज में दाखिला दिखाकर छात्रवृत्ति हड़पी थी.
इसके बाद 30 मार्च को राजधानी लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली के एसएसआई दयाशंकर द्विवेदी ने 10 संस्थानों के चेयरमैन, प्रिंसिपल और कर्मचारियों समेत 18 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था. इसके बाद मामले की जांच के लिए जेसीपी कानून एवं व्यवस्था के नेतृत्व में तीन सदस्यी एसआईटी का गठन किया गया.