UP Election News: चाचा शिवपाल और भतीजे अखिलेश यादव का बहुप्रतीक्षित मिलन बृहस्पतिवार को हो गया. उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव से पहले इस मिलन के बहुत गहरे निहितार्थ निकाले जा रहे हैं. वैसे तो शिवपाल-अखिलेश की मुलाकात तीज-त्योहारों और शादी समारोह में हो रही थी लेकिन राजनीतिक मुलाकात का प्रदेश की जनता को लंबे से समय से इंतजार था. यही नहीं चुनाव से पहले हुई इस मुलाकात का सत्ता में बैठी भाजपा सहित अन्य पार्टियां भी नजर रखे हुई थीं.
लगभग छह साल पहले अक्टूबर 2016 में जब यूपी में अन्य पार्टियां विधान सभा चुनाव की तैयारियों में जुटी थीं, तब अखिलेश और शिवपाल के बीच तलवारें खिंची हुई थी. समाजवादी पार्टी पर कब्जे को लेकर चाचा-भतीजे में खींचतान चल रही थी. विक्रमादित्य मार्ग पर दोनों के समर्थक एक-दूसरे खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे.
एक समय तो ऐसा आया था कि मुख्यमंत्री रहे अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल यादव के साथ अंबिका चौधरी, नारद राय, शादाब फातिमा, ओमप्रकाश सिंह और गायत्री प्रजापति को मंत्रिमंडल से निकाल दिया था. इसके जवाब में शिवपाल सिंह यादव ने सपा के तत्कालीन मुखिया मुलायम सिंह यादव से पार्टी महासचिव राम गोपाल यादव और प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव को छह साल के लिए पार्टी से निकालने का आदेश जारी करा दिया था.
इस कदम से चाचा-भतीजे के बीच कटुता और अधिक बढ़ गई थी. विक्रमादित्य मार्ग स्थित समाजवादी पार्टी के प्रदेश कार्यालय में कार्यकर्ताओं से भरे परिसर में मंच पर अखिलेश-शिवपाल के बीच जो खींचतान हुई थी, उसका दृश्य आज भी लोगों की आंखों के सामने घूम जाता है. समाजवादी पार्टी के 25 साल पूरे होने के जश्न से कुछ महीने पहले हुए इस घटनाक्रम से पार्टी कार्यकर्ता असमंजस में थे.
पार्टी कार्यालय में अखिलेश ने लगभग रुंधे हुए गले से मुख्यमंत्री पद छोड़ने का ऐलान कर दिया था. वह चाहते थे कि 2017 विधान सभा चुनाव के टिकट बांटने का अधिकार उन्हें मिले. लेकिन प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते शिवपाल अपनी सूची जारी कर रहे थे. इसी की भड़ास पार्टी कार्यालय परिसर में मंच पर चाचा-भतीजा ने निकाली थी. हालांकि पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव का भाषण शिवपाल के पक्ष में था. उन्होंने पार्टी के नौजवान नेताओं पर रास्ता भटकने का आरोप लगाया था.