Scholarship Scam: प्रदेश में 150 करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले मामले में आने वाले दिनों में बड़ा खुलासा होने की उम्मीद है. इसमें जिम्मेदार पदों पर बैठे कई लोगों और मेडिकल संस्थानों के संचालकों पर गाज गिर सकती है. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी पाए जाने के बाद अब ये केस एसआईटी के हवाले कर दिया गया है. एसआईटी की तीन सदस्यीय टीम मामले की गहन पड़ताल के बाद अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.
प्रवर्तन निदेशालय की जांच में 150 करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले की बात सामने आई है. ईडी ने जब शिकायत के आधार पर मामले की जांच की थी, तो शुरुआत में उसे भी अंदाजा नहीं था कि केस इतना बड़ा हो सकता है. ईडी ने जांच रिपोर्ट प्रदेश सरकार को भेजी थी. इसके बाद राजधानी लखनऊ के हजरतगंज थाने में पुलिस ने मामले में बीते सप्ताह एफआईआर दर्ज कराई है.
मामले को लेकर आरोपितों के विरुद्ध प्रिवेंशन आफ मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है. ईडी को लखनऊ समेत छह शहरों में की गई छापेमारी के दौरान घोटाले की रकम से बेनामी संपत्तियां खरीदे जाने की जानकारी भी सामने आई थी. हजरतगंज पुलिस ने ईडी से जुटाई गई जानकारियों के आधार पर 18 नामजद समेत अन्य आरोपितों के विरुद्ध एफआइआर दर्ज की है. इसमें कई संस्थानों व फिनो बैंक के अफसरों व कर्मचारियों को आरोपी बनाया गया है.
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बताया जा रहा है कि लखनऊ स्थित एसएस इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, हाजिया कालेज ऑफ फार्मेसी, हाजिया इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी-सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफफ फार्मेसी, लखनऊ इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड एजूकेशन, फर्रुखाबाद स्थित डॉ.ओम प्रकाश गुप्ता इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलाजी, हरदोई स्थित डॉ.भीमराव अंबेडकर फाउंडेशन एंड जीविका कालेज ऑफ फार्मेसी, आरपी इंटर कालेज, ज्ञानवती इंटर कालेज व जगदीश प्रसाद वर्मा उच्चतर माध्यमिक विद्यालय व अन्य ठिकानों पर छापेमारी के दौरान बड़े पैमाने पर गड़बड़ी के सबूत मिले थे. ईडी ने 36.51 लाख रुपये नकदए प्री एक्टिवेटेड 1200 सिम कार्ड और कई दस्तावेज भी बरामद किए थे.
मामले की गंभीरता को देखते हुए इस केस की बड़े स्तर पर जांच होना बेहद जरूरी है. इसलिए अब एसआईटी गठित करते हुए इसके सदस्यों को जांच सौंपी गई है. बताया जा रहा है कि ज्वाइंट सीपी स्वयं इसकी मॉनिटरिंग करेंगे और हर सप्ताह जांच की प्रगति को लेकर समीक्षा की जाएगी.
मामले में अब शैक्षणिक संस्थानों के संचालकों व फिनो पेमेंट बैंक के कर्मियों की जांच के साथ ही प्री एक्टिवेटेड 1200 सिम की भी पड़ताल को आगे बढ़ाया जाएगा. इन सिम के जरिए छात्रों के फर्जी खाते खोलकर छात्रवृत्ति की रकम हड़पी गई थी. जांच की जाएगी कि प्रीएक्टीवेटेड सिम शैक्षणिक संस्थानों के संचालकों व बैंक एजेंटों तक किसके माध्यम से पहुंचाए गए थे.
इसके साथ ही ईडी अपनी पूरी विस्तृत जांच रिपोर्ट जल्द एसआईटी को सौंपेगी, जिससे उसे जांच में मदद मिल सके. एसआईटी सभी तथ्यों के आधार पर जांच को आगे बढ़ाएगी. वहीं टीम अपने स्तर पर भी साक्ष्य जुटाएगी, जिससे घोटाले की तह तक पहुंचा जा सके. ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर कानून-व्यवस्था उपेंद्र अग्रवाल ने बताया कि मामले को लेकर तीन सदस्यीय एसआईटी गठित की गई है. तीनों सदस्य इंस्पेक्टर रैंक के हैं. टीम के सदस्य गहराई से पड़ताल करते हुए जांच करेंगे, इसके बाद रिपोर्ट सौंपी जाएगी.