Loading election data...

मथुरा में सोने के गरुड़ पर विराजमान होकर भक्तों को दर्शन देने पहुंचे रंगनाथ, चहुंओर गूंजे भगवान के जयकारे

मथुरा में आयोजित 10 दिवसीय ब्रह्म उत्सव में भगवान रोजाना सोने चांदी के अलग-अलग वाहनों पर विराजित होकर भक्तों को दर्शन देने के लिए नगर भ्रमण पर निकलते हैं. इसके अलावा मंदिर में साल भर करीब 380 से ज्यादा उत्सव मनाया जाते हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 12, 2023 3:03 PM

मथुरा. उत्तर प्रदेश के वृंदावन में स्थित भगवान रंगनाथ के मंदिर में 10 दिवसीय ब्रह्म उत्सव शुरू है.रंगनाथ के दस दिवसीय ब्रह्मोत्सव के तीसरे दिन यानी रविवार को भगवान सोने से बने गरुड़ वाहन पर विराजमान हुए. भगवान सोने से बने हुए गरुड़ पर विराजमान होकर नगर भ्रमण के लिए निकले. इस दौरान श्रद्धालुओं ने उनके दर्शन किए और उनकी भक्ति में डूब गए. इस 10 दिवसीय ब्रह्मोत्सव में भगवान रंगनाथ रोजाना अलग-अलग वाहनों पर विराजमान होकर भक्तों को दर्शन देंगे. मथुरा के वृंदावन क्षेत्र में स्थित दक्षिण भारतीय शैली के श्री रंगनाथ भगवान मंदिर में 10 मार्च से 10 दिवसीय ब्रह्म उत्सव की शुरुआत हो गई.

सोने से बने गरुड़ वाहन पर निकले रंगनाथ

इस उत्सव में भगवान रोजाना सोने चांदी के अलग-अलग वाहनों पर विराजित होकर भक्तों को दर्शन देने के लिए नगर भ्रमण पर निकलते हैं. इसके अलावा मंदिर में साल भर करीब 380 से ज्यादा उत्सव मनाया जाते हैं. लेकिन, यह उत्सव सबसे ज्यादा खास बताया जाता है. इसे मंदिर का वार्षिकोत्सव भी कहा जाता है. वहीं उत्तर भारत में इसे रथ मेला के नाम से जानते हैं. बताया जाता है कि पुष्कर्णी द्वार पर गरुड़ पर विराजमान भगवान की सवारी खड़ी रहती है. इसके पीछे पौराणिक मान्यता है, जिसके अनुसार प्रतिवर्ष दक्षिण भारत में भगवान के अनन्य भक्त दुधा स्वामी जी ब्रह्म उत्सव के अवसर पर दर्शन के लिए जाते थे.

Also Read: सीएम योगी गोरखपुर के गीडा सेक्टर में स्टील प्लांट का करेंगे उद्घाटन, अब अपने शहर में ही मिलेगा लोगों को रोजगार
चहुंओर गूंजे भगवान के जयकारे

एक बार वह गरुड़ पर विराजमान भगवान की सवारी के दर्शन नहीं कर पाए. क्योंकि वह बीमार हो गए थे. वहीं जब भगवान की सवारी शुरू की गई तो भगवान गरुड़ को छोड़कर अचानक से गायब हो गए. ऐसे में जब लोगों को पता चला तो सभी लोग चौक गए और काफी देर तक मंदिर का पर्दा नहीं हटाया गया. फिर पुजारी द्वारा भगवान की प्रार्थना की गई और जब पर्दा हटाया गया तो भगवान गरुड़ पर विराजमान थे. बताया जाता है कि कुछ समय बाद पुजारियों को ज्ञात हुआ कि भगवान रंगनाथ अपने भक्त दुधा स्वामी को दर्शन देने के लिए यहां से गए थे. इस दौरान करीब 1 घंटे तक सवारी को द्वार पर ही खड़ा रखा गया था.

Next Article

Exit mobile version