15.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

UP News : दो दिवसीय जमघट ने लखनऊ के पतंग बाजार में ला दी हलचल, बढ़ा दिया उत्साह

दीवाली से एक महीने पहले से ही उलझने वाले जमघट की तैयारी शुरू कर देते हैं, सबसे अच्छा मांझा, साड्डी (धागे), पतंगें और पतंगों की मरम्मत के लिए आवश्यक सर्वोत्तम टेप इकट्ठा करते हैं.

लखनऊ : लखनऊ में इस बार जमघट दो दिन (सोमवार और मंगलवार) मनाया गया और इससे सुस्त पड़े पतंग बाजार में फिर से जान आ गई. पिछले तीन वर्षों से महामारी ने जमघट पर पतंगबाज़ी पर अपना प्रभाव डाला क्योंकि कोई बड़ी प्रतियोगिता आयोजित नहीं की गई थी. लेकिन इस साल कुड़िया घाट, गुलालाघाट और चौक स्टेडियम में कई प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं. चन्ना काइट सेंटर के 65 वर्षीय ओम प्रकाश अग्रवाल ने कहा, ”इस बार बिक्री में तेजी आई है, इस साल बिक्री में लगभग 20% की बढ़ोतरी देखी गई है. इस बार जो ग्राहक 100 पतंगें खरीदते थे, वे 130 से 140 पतंगों का ऑर्डर दे रहे हैं.’ चौपटियां में गुड्डु पतंग केंद्र के 46 वर्षीय गुरुदत्त ने कहा, “पतंग बनाना एक अत्यधिक कौशल वाला काम है, लेकिन पतंग बनाने वालों को बदले में शायद ही कुछ मिलता है. वे एक अकुशल मजदूर से भी कम कमाते हैं. सरकार को पतंग बनाने के व्यवसाय की मदद के लिए एक पैकेज लाना चाहिए.नवयुग पीजी कॉलेज के इतिहास विभाग की प्रमुख शोभा मिश्रा ने कहा, “ जमघट हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों द्वारा शहर भर में मनाया जाने वाला एक अनूठा त्योहार है. जमघट पर पतंग उड़ाने की परंपरा नवाब आसफुद्दौला ने अपने कार्यकाल के दौरान हिंदुओं और मुसलमानों के बीच घनिष्ठ संबंध बनाए रखने के लिए शुरू की थी. नवाबों को पता था कि उन्हें अवध की बहुसंख्यक हिंदू आबादी के साथ संबंध स्थापित करना है इसलिए उन्होंने जमघट की परंपरा शुरू की जिसमें हिंदू और मुस्लिम समान उत्साह के साथ भाग लेते थे. दोनों समुदायों के बीच यह सौहार्द तब से जारी है.

Also Read: UP Police : डायल 112 में यूपी पुलिस कितनी देर में आएगी, रियल टाइम मैसेज मिलेगा
लालाघाट, कुड़िया घाट और चौक स्टेडियम में हुईं 30 प्रतियोगिताएं

अमरनाथ कौल ने कहा, “ इस बार पतंगबाजी वापस आ गई है और लखनऊ के विभिन्न पतंग क्लबों द्वारा गुलालाघाट, कुड़िया घाट और चौक स्टेडियम में लगभग 30 प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया था. इस वर्ष, पेशेवर पतंग-उलझाने वालों द्वारा उपयोग की जाने वाली बॉन तवा पतंगों की कीमत ₹100 से ₹150 के बीच है जबकि अन्य पतंगों की कीमत ₹10 से ₹70 के बीच है. मांझा चरखी का रेट 2,000 से 3,000 रुपये के बीच है, जबकि सद्दी का रेट 300 से 400 रुपये है.’

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें