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अब मानव-जंगली जानवर में नहीं होगा संघर्ष, वन विभाग ने की ‘ झटका ‘ देने की तैयारी

ये बाड़ें सौर ऊर्जा से संचालित होंगी और झटके का स्तर बहुत कम होगा. इससे जानवर केवल आश्चर्यचकित होंगे. इस योजना की शुरुआत टाइगर रिजर्व पार्क से शुरू होने ने जा रही है.

लखनऊ : वन विभाग के अधिकारियों ने जैसा प्लान बनाया है वह वास्तव में सफल रहा तो उत्तर प्रदेश में हिंसक पशु (जंगली जानवर) और मनुष्यों के बीच संघर्ष की घटनाए लगभग खत्म हो जाएंगी. इस योजना की शुरुआत टाइगर रिजर्व पार्क से शुरू होने ने जा रही है. बाघ अभयारण्यों के आसपास बफर जोन में मानव-पशु संघर्ष को कम करने के उद्देश्य से, वन विभाग बफर जोन की बाहरी सीमा पर सौर बाड़ लगाने की योजना बना रहा है. दुधवा टाइगर रिजर्व (डीटीआर) बफर जोन में बाड़ लगाने से परीक्षण शुरू होगा.

प्रभावति क्षेत्र में पहले लगेंगी बाड़

वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा “स्थानीय लोगों की मदद से उन स्थानों की पहचान की जा रही है जहां मानव-पशु संघर्ष की कई घटनाएं सामने आई हैं. इन स्थानों पर पहले बाड़ लगाई जाएगी और आने वाले महीनों में प्रयास की समीक्षा की जाएगी. ” उचित ऊंचाई की सौर बाड़ पार करने की कोशिश कर रहे जानवरों को ‘बहुत हल्का झटका’ देगी. इस बाड़ का उद्देश्य जंगली जानवरों और मनुष्यों को एक दूसरे से अलग रखना है. सबसे पहले उन जगहों पर बाड़ लगाई जाएगी, जहां हाल के दिनों में जंगली जानवरों द्वारा इंसानों और मवेशियों पर हमला करने के मामले सामने आए हैं.

सौर ऊर्जा से संचालित होंगी बाड़ें

पीलीभीत में डीटीआर के बाद, सौर बाड़ लगाने की योजना कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य (केडब्ल्यूएस) बहराइच में होगी. अधिकारी बताते हैं कि “ये बाड़ें सौर ऊर्जा से संचालित होंगी और झटके का स्तर बहुत कम होगा. इससे जानवर केवल आश्चर्यचकित होंगे. राज्य सरकार ने उन परिवारों को वित्तीय सहायता- मुआवजा देने का प्रावधान किया है जिनमें जंगली जानवर के हमले से किसी की मृत्यु हो जाती है.

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यूपी में बाघों का आंकड़ा 200 के करीब

सरकार का मानना है कि जीवन की कोई कीमत नहीं है, इसलिए, उसका लक्ष्य सबसे पहले जीवन बचाने के लिए संघर्ष को कम करना है.जंगल जंगली जानवरों के लिए हैं, इसलिए, अगर मनुष्य को वन क्षेत्र में जंगली जानवरों के साथ रहना है, तो संघर्षों से बचना होगा. यूपी में अमानगढ़ टाइगर रिजर्व, दुधवा टाइगर रिजर्व, पीलीभीत टाइगर रिजर्व, रानीपुर टाइगर रिजर्व हैं। 2014 की बाघ जनगणना में, यूपी में 117 बाघ थे, 2018 में गिनती 173 थी और 2022 में गिनती 200 का आंकड़ा पार करने की उम्मीद है.

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