लखनऊ: यूपी में समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर सवाल उठाए हैं. उन्होंने एक जनसभा में कहा कि यदि प्राण प्रतिष्ठा करने से पत्थर सजीव हो जाता है तो प्राण प्रतिष्ठा करने से मुर्दा चल फिर नहीं सकता है. यहां पर पाखंड है ढोंग है आडंबर है. वैसे भी जो खुद भगवान है, जो सबका कल्याण करता है हम इंसान की क्या हैसियत कि हम उसकी प्राण प्रतिष्ठा करें.
स्वामी प्रसाद मौर्य मंगलवार को गाजीपुर के लंका मैदान में कर्पूरी ठाकुर सेना की ओर से आयोजि कार्यक्रम में मौजूद थे. उन्होंने कहा कि अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा जनता को बुनियादी सवालों से भटकाने के लिए किया गया है. उन्होंने कहा कि देश और संविधान पर गहरा संकट है. वह विरोधियों की आवाज दबाने के लिए सीबीआई और ईडी का इस्तेमाल कर रही है.
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उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार पूंजीपतियों की है. उन्हें गरीबों-छोटे दुकानदारों की चिंता नहीं है. देश में बेरोजगारी पर चर्चा न हो इसलिए ड्रामे किए जा रहे हैं भगवान राम की पूजा तो हजारों साल से हो रही है. ऐसे में उनके अंदर प्राण प्रतिष्ठा की क्या जरूरत है. वास्तव में यह धार्मिक आयोजन होता तो चारों शंकराचार्य इसमें शामिल होते. राष्ट्रपति निमंत्रण के बावजूद नहीं आई. यह सिर्फ बीजेपी आरएसएस का कार्यक्रम था.
इससे पहले नवंबर 2023 में भी स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि अनुच्छेद ‘ज’ में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि ढोंग, ढकोसले पाखंड आडंबर से लोगों को बाहर निकालकर वैज्ञानिक सोच के साथ खड़ा किया जाए. हमने दो चीजें इसमें रखी, एक तो वैज्ञानिक विकसित करने की बात की, दूसरी महिलाओं को सम्मान दिलाने की बात की. जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं, वह स्वामी प्रसाद मौर्य का विरोध नहीं कर रहे हैं, वह महिलाओं के सम्मान का विरोध कर रहे हैं.
दिवाली के दिन एक्स पर अपनी पत्नी को तिलक लगाते हुए एक पोस्ट शेयर की थी. इसमें उन्होंने मां लक्ष्मी के आस्तित्व को लेकर सवाल उठाए थे और लोगों को पत्नी की पूजा करने की सलाह दी थी. उन्होंने लिखा था कि पूरे विश्व के प्रत्येक धर्म, जाति, नस्ल, रंग व देश में पैदा होने वाले बच्चे के दो हाथ, दो पैर, दो कान, दो आंख, दो छिद्रों वाली नाक के साथ एक सिर, पेट व पीठ ही होती है, चार हाथ, आठ हाथ, दस हाथ, बीस हाथ व हजार हाथ वाला बच्चा आज तक पैदा ही नहीं हुआ तो चार हाथ वाली लक्ष्मी कैसे पैदा हो सकती हैं? यदि आप लक्ष्मी देवी की पूजा करना ही चाहते हैं तो अपने घरवाली की पूजा व सम्मान करें, जो सही मायने में देवी है. क्योंकि आपके घर परिवार का पालन-पोषण, सुख-समृद्धि, खान-पान व देखभाल की जिम्मेदारी बहुत ही निष्ठा के साथ निभाती है. इस बयान के बाद उन्हें सोशल मीडिया पर जमकर ट्रोल किया गया था.
एक बयान में उन्होंने कहा था कि ब्राह्मणवाद की जड़ें बहुत गहरी हैं और सारी विषमता का कारण भी ब्राह्मणवाद ही है. हिंदू नाम का कोई धर्म है ही नहीं, हिंदू धर्म केवल धोखा है. स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि ‘सही मायने में जो ब्राह्मण धर्म है, उसी ब्राह्मण धर्म को हिंदू धर्म कह करके इस देश के दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों को अपने धर्म के मकड़जाल में फंसाने की एक साजिश है. अगर हिंदू धर्म होता तो आदिवासियों का भी सम्मान होता है, दलितों का भी सम्मान होता, पिछड़ों का भी सम्मान होता, लेकिन क्या विडंबना है कि अपनी आजादी का 76वां साल बीतने के बाद भी इस देश की प्रथम नागरिक संविधान प्रमुख राष्ट्रपति को मंदिर जाने से रोका जाता है.
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