Lucknow: उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग के चेयरमैन शाहनवाज आलम ने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव पर हमला बोला है. उन्होंने अखिलेश को मुस्लिम विरोधी बताया है. साथ ही कहा है कि सपा के मुस्लिम विधायक सदन में अपना अलग दल बना लें.
शाहनवाज आलम ने सोमवार को कहा कि कांग्रेस हर उस व्यक्ति के साथ खड़ी है, जिसके साथ अन्याय हो रहा है. हम पीड़ित का जाति-धर्म या पार्टी नहीं देखते. इसी सिद्धांत के तहत कांग्रेस आज़म खान से भी सहानुभूति रखती है.
शाहनवाज़ आलम ने शिवपाल यादव के बयान से सहमति जताते हुये कहा कि आज़म खान को छुड़ाने के लिए मुलायम सिंह ने संसद में आवाज़ नहीं उठाई. ना ही सपा ने कोई आंदोलन चलाया. नोएडा विकास प्राधिकरण घोटाले में राम गोपाल यादव को जेल जाने सी बचाने के एवज में अखिलेश और मुलायम सिंह यादव ने भाजपा से डील के तहत आज़म खान को जेल भिजवाया है.
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सपा आज़म के लिए आवाज़ इसलिये नहीं उठाती है क्योंकि ऐसा करने पर भ्रष्टाचार में डूबे पूरे परिवार को जेल जाना पड़ सकता है. इसी दबाव के चलते अखिलेश यादव ने देश भर में हो रहे मुस्लिम विरोधी हिंसा के खिलाफ़ विपक्षी पार्टियों के जारी संयुक्त बयान पर भी हस्ताक्षर करने से मना कर दिया था.
कांग्रेस चेयरमैन ने सपा के 32 मुस्लिम विधायकों को सदन में अलग दल बना लेने का सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि मुस्लिमों के 90 फीसदी वोट पाने के बावजूद अखिलेश मुस्लिम विरोधी हिंसा पर चुप है. यहां तक कि अपने मुस्लिम विधायकों आज़म खान, शहजिल इस्लाम और नाहिद हसन तक के उत्पीड़न का विरोध नहीं कर पा रहे हैं तो फिर मुस्लिम विधायकों का सपा में बने रहने का क्या औचित्य है.
न्होंने कहा कि सपा के कुल 111 विधायक हैं और विधान सभा में सपा में विभाजन के लिए एक तिहाई यानी 37 विधायक चाहिये. जबकि अकेले मुस्लिम विधायकों की संख्या ही 32 है. ऐसे में सपा के अन्य 5 विधायकों के साथ वो आज़म खान के नेतृत्व में अपनी अलग पार्टी बना सकते हैं. इससे मुस्लिम समुदाय के ऊपर होने वाले जुल्म के खिलाफ़ सदन में एक संगठित आवाज़ उठ सकती है.
शाहनवाज आलम ने कहा कि वैसे भी मुसलमानों ने अब सपा से किनारा करने का मन बना लिया है, ऐसे में इन मुस्लिम विधायकों का समाज को नाराज़ करके सपा में बने रहने का कोई औचित्य नहीं है. मुस्लिम उलेमाओं को भी चाहिए कि वो इस दिशा में सपा के मुस्लिम विधायकों पर दबाव बनायें.