” भाजपा के दावों और प्रचार ” का काउंटर करने के लिए कार्यकर्ताओं को ‘ महंगाई- जाति गणना’ से लैस करेगी सपा

लगभग एक महीने के अंतराल के बाद, समाजवादी पार्टी (सपा) ने पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए अपनी प्रशिक्षण कार्यशाला 'कार्यकर्ता प्रशिक्षण शिविर ' फिर से शुरू किया है. अगले सप्ताह यह फिरोजाबाद जिला में होने जा रहा हैं

By अनुज शर्मा | August 18, 2023 2:44 PM

लखनऊ. लगभग एक महीने के अंतराल के बाद, समाजवादी पार्टी (सपा) ने पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए अपनी प्रशिक्षण कार्यशाला ‘ कार्यकर्ता प्रशिक्षण शिविर ‘ फिर से शुरू किया है. इस कार्यक्रम का उद्देश्य सपा कार्यकर्ताओं को ” भाजपा के दावों और प्रचार ” के लिए काउंटरों से लैस करना और मुद्रास्फीति जैसे मुद्दों को उजागर करना है. अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश के 80 लोकसभा क्षेत्रों में जमीनी स्तर पर यह संदेश घर- घर पहुंचाना है कि बेरोजगारी बढ़ गई है. ‘ साइकिल सवार’ इस पंच लाइन के साथ गांव- गांव- घर- घर दस्तक देंगे. प्रशिक्षण कार्यशाला 6 जून को लखीमपुर खीरी जिले में शुरू हुई थी, लेकिन पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के इंडिया ब्लॉक के विपक्षी नेताओं की बैठकों में व्यस्त होने के कारण इसे रोक दिया गया था. प्रशिक्षण कार्यक्रम बुधवार को बांदा जिले में फिर से शुरू किया गया और अगले सप्ताह फिरोजाबाद में जारी रहेगा. अभी यह फतेहपुर में चल रहा है.

2014 के लोकसभा चुनाव में सपा को सिर्फ पांच सीटें मिली

सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजपाल कश्यप का कहना है कि अगर हमारी पार्टी के कार्यकर्ताओं को कुछ संकेत दिए जाते हैं, तो हमें लगता है कि इससे उन्हें जमीनी स्तर पर भाजपा के दावों का मुकाबला करने में मदद मिलेगी. कार्यशाला को जमीन पर सपा के कैडर को और मजबूत करने के लिए डिजाइन किया गया है. हम अगले साल अपनी पूरी ताकत से चुनाव लड़ेंगे और भाजपा को हराएंगे. 2014 के लोकसभा चुनाव में सपा को सिर्फ पांच सीटें मिली थीं. यह 2019 के चुनावों में बढ़त बनाने में विफल रही, और मायावती के नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन करने के बावजूद राज्य में फिर से पांच सीटें जीत लीं. 2022 के विधानसभा चुनावों में सपा उत्तर प्रदेश में भाजपा को सत्ता से हटाने में विफल रही और इंद्रधनुषी गठबंधन बनाने के बावजूद 403 सीटों में से केवल 111 सीटें जीत सकी.

चुनाव से पहले लोगों के साथ संवाद की रणनीति तैयार

हालांकि, सपा नेता आशावादी हैं कि अगले साल के लोकसभा चुनाव में स्थिति बदल जाएगी, जिसमें प्रशिक्षण कार्यक्रम एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. पार्टी का कहना है कि प्रशिक्षण कार्यशाला के पीछे का विचार कार्यकर्ताओं को “सिखाना” है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले लोगों के साथ कैसे संवाद किया जाए. पार्टी के एक नेता ने कहा “भाजपा झूठ को सच में बदल सकती है. हम उन्हें सिखा रहे हैं कि आने वाले साल में किसी भी चुनौती के लिए तैयार रहें,” .

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बूथ और सेक्टर प्रभारियों को किया जा रहा प्रशिक्षित

इन कार्यक्रमों (कार्यकर्ता प्रशिक्षण शिविर) में अखिलेश यादव के साथ-साथ राज्य इकाई के अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल, पार्टी महासचिव शिवपाल यादव और लालजी वर्मा, राम अचल राभर और अरविंद सिंह गोप जैसे अन्य प्रमुख नेता बोलने वाले हैं. जून में लखीमपुर खीरी जिले में कार्यक्रम का हिस्सा रहे एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि पार्टी 2012-17 के बीच अपने कार्यकाल में किए गए कार्यों को बढ़ावा देगी. बहुत से लोग हमारी सरकार के दौरान किए गए कार्यों के लाभों के बारे में नहीं जानते हैं. इन कार्यक्रमों के दौरान हमारे वक्ता हमारे बूथ और सेक्टर प्रभारियों को वो तरीके बताएंगे जिससे हम अपनी सरकार की उपलब्धियों को बता सकें.

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धार्मिक मुद्दों से दूर रहने की नसीहत

सपा ने पार्टी कार्यकर्ताओं को “धार्मिक मुद्दों से दूर रहने” के लिए कहा गया है जो मतदाताओं का ध्रुवीकरण कर सकते हैं. कार्यक्रम का आयोजन करने वाली समाजवादी पार्टी की टीम का हिस्सा रहे एक अन्य नेता ने कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं को सोशल मीडिया का प्रभावी ढंग से उपयोग करने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है. हमारे बहुत सारे कार्यकर्ता और नेता सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं. वे कभी-कभी ऐसी चीजें पोस्ट कर देते हैं जो पार्टी लाइन के खिलाफ जा सकती हैं. कार्यकर्ताओं और नेताओं से कहा गया है कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल संयमित होकर करें. वे ज्यादातर सोशल मीडिया का इस्तेमाल बीजेपी पर निशाना साधने और एसपी के काम के बारे में बात करने के लिए करेंगे,”

सपा का यह कदम गैर-यादव ओबीसी और मुसलमानों के लिए

सपा आगामी चुनाव में मुद्रास्फीति, बेरोजगारी और जाति जनगणना को मुद्दा बनाना चाहती है. सपा के एक पदाधिकारी कहते हैं ” जिन मुद्दों को वह मतदाताओं तक ले जाना चाहेगी, उनमें पार्टी ने कहा कि वह बड़े पैमाने पर मुद्रास्फीति और बेरोजगारी पर ध्यान देगी, जबकि जाति जनगणना की मांग करेगी “. सपा का यह कदम गैर-यादव ओबीसी और मुसलमानों के लिए जगह बनाने के लिए एसपी द्वारा अपनी राज्य कार्यकारी समिति में बदलाव के दो दिन बाद आया है. इसने पार्टी के सभी आठ फ्रंटल संगठनों में भी नियुक्तियां की हैं.

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