Sri Krishna Janmabhoomi Case: शाही मस्जिद ईदगाह समिति हाईकोर्ट में दायर कर सकेगी याचिका, सुप्रीम कोर्ट ने दिया फैसला
श्रीकृष्ण जन्मभूमि (Sri Krishna Janmabhoomi Case) शाही मस्जिद विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर अपना फैसला दे दिया है. कोर्ट ने समिति को हाईकोर्ट में याचिका दायर करने की अनुमति दी है.
लखनऊ: शाही मस्जिद ईदगाह समिति इलाहाबाद हाईकोर्ट में आदेश वापसी की याचिका दायर कर सकेगी. सुप्रीम कोर्ट ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि (Sri Krishna Janmabhoomi Case) शाही मस्जिद विवाद मामले में समिति को याचिका दायर करने की अनुमति दे दीे है. समिति ने हाईकोर्ट उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें इस विवाद से जुड़े 15 मुकदमों को एक साथ जोड़कर सुनवाई करने का फैसला लिया गया था.
11 जनवरी को दिया था आदेश
हाईकोर्ट में हिंदू पक्ष का कहना था कि दीवानी न्यायाधीश वरिष्ठ संभाग मथुरा में 25 सितंबर 2020 को दायर मूल मुकदमे और 13.37 एकड़ जमीन से संबंधित मुकदमों को मर्ज कर दिया जाए. इसी पर हाईकोर्ट ने 11 जनवरी को आदेश दिया था कि हिंदू पक्ष के आवेदन पर 15 मुकदमों को समाहित कर दिया जाए. बताया जा रहा है कि मसाजिद समिति के वकील ने कोर्ट से कहा कि 11 जनवरी के आदेश को वापस लेने का प्रार्थना पत्र इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबित है. इसलिए आवेदन को एक ही तिथि पर सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया जाए. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी करने के मना कर दिया है.
श्रीकृष्ण जन्मभूमि शाही मस्जिद विवाद क्या है
श्रीकृष्ण जन्मभूमि शाही मस्जिद विवाद 13.37 एकड़ जमीन के मालिकाना हक को लेकर है. इस जमीन के 11 एकड़ में श्रीकृष्ण मंदिर बना है. 2.37 एकड़ जमीन शाही ईदगाह मस्जिद के पास है. हिंदू पक्ष का दावा करता है कि ये श्रीकृष्ण जन्मभूमि है. बताया जाता है कि 1670 में औरंगजेब ने मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान को तोड़ने का आदेश दिया था. इसी के बाद यहां मस्जिद बनाई गई. लगभग 100 साल तक यहां हिंदू प्रवेश नहीं कर पाए. 1770 में मराठों ने मुगलों को हराया और यहां मंदिर बनवा दिया. 1815 में अंग्रेजों से ये जमीन काशी के राजा ने खरीदी.
1958 में बनकर तैयार हुआ मंदिर
इसके बााद 1944 में ये जमीन उद्योगपति जुगल किशोर बिड़ला ने खरीद ली. आजादी के बाद 1951 में श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट बना और उसे ये जमीन दे दी गई. 1953 में यहां मंदिर निर्माण शुरू हुआ और 1958 में बनकर तैयार हुआ. बताया जाता है कि एक नई संस्थान श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान बना. इसी संस्था ने 1968 में मुस्लिम पक्ष से जमीन पर मंदिर मस्जिद दोनों रहने का समझौता कर लिया. वहीं श्री कृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट इस समझौते को नहीं मानता है. 2022 में सिविल जज ने इस जमीन के सर्वे का आदेश दिया था. मुस्लिम पक्ष इस मामले में प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट का दावा करता है.