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स्टार्ट-अप से हजारों युवाओं को मिलेगा रोजगार, ट्रेनिंग देने के लिए यूपी में 169 निजी संस्था चिह्नित की गईं

स्टार्टअप प्रशिक्षण नीति 2023 के तहत 169 निजी संस्थाओं को चिन्हित भी कर लिया गया है.अगस्त में एमओयू के बाद सितंबर के अंत तक प्रशिक्षण कार्यक्रम सेंटरों पर शुरू हो जाएंगे.

लखनऊ. युवाओं का रुझान अब नौकरी पर निर्भर रहने की जगह अपना रोजगार शुरू करने की ओर बढ़ रहा है. युवाओं के रुझान को देखते हुए सरकार स्टार्टअप प्रशिक्षण दिलाने जा रही है. स्टार्टअप प्रशिक्षण नीति 2023 के तहत 169 निजी संस्थाओं को चिन्हित भी कर लिया गया है.अगस्त में एमओयू के बाद सितंबर के अंत तक प्रशिक्षण कार्यक्रम सेंटरों पर शुरू हो जाएंगे. इसे देश भर के निजी संस्थानों से उत्तर प्रदेश में निवेश के साथ ही स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम शुरू कर यूपी में स्किल्ड मैनपावर तैयार करने की अपील कर चुके सीएम योगी के प्रयासों का असर के रूप में देखा जा रहा है.

उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन में सहभागिता बढ़ाने के प्रयास

देश के 169 छोटे निजी संस्थान जल्द ही स्टार्ट-अप प्रशिक्षण नीति, 2023 के अंतर्गत प्रदेश के युवाओं के स्किल को निखारकर उन्हें स्टार्ट-अप के प्रति तैयार करेंगे.राज्य कार्यकारिणी समिति से अनुमोदन मिलने के बाद ये निजी संस्थाएं इसी वर्ष सितंबर से प्रदेश में अपने केंद्रों के माध्यम से युवाओं को प्रशिक्षण देना शुरू कर देंगी.उल्लेखनीय है कि योगी सरकार निजी क्षेत्र में कार्यरत अधिक से अधिक संस्थाओं की उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन में सहभागिता बढ़ाने के लिए प्रयासरत है.स्टार्टअप के प्रति युवाओं के रुझान को देखते हुए सरकार ने स्टार्ट-अप प्रशिक्षण नीति, 2023 को स्वीकृत किया है. सब प्रशिक्षण के माध्यम से युवाओं को स्टार्टअप से जोड़ने की पहल की जा रही है.

स्टार्ट-अप ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए 233 संस्थाओं ने किया आवेदन

स्टार्ट-अप प्रशिक्षण नीति, 2023 के अंतर्गत ऐसी समस्त निजी क्षेत्र की संस्थाओं को अवसर प्रदान किया गया है, जो कौशल प्रशिक्षण से इतर कार्य भी कर रही हैं.इसके तहत जनवरी 2023 में एक विशेष आरएफई को प्रकाशित किया गया था जिसके प्रतिउत्तर में कुल 233 संस्थाओं ने स्टार्ट-अप प्रशिक्षण प्रदाता के रुप में रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन किया था.प्रथम चरण में प्राप्त समस्त 233 आवेदनों के परीक्षण के बाद पाया गया है कि 169 आवेदक संस्थाएं स्टार्ट-अप प्रशिक्षण नीति, आरएफई-2023 के प्राविधानों के अंतर्गत आबद्ध/सूचीबद्ध किए जाने योग्य हैं.इसके अतिरिक्त 12 आवेदक संस्थाओं के आवेदन में कुछ कमियां पायी गई हैं, जिनके निराकरण के लिए उन्हे एक अवसर प्रदान किया गया है. 52 आवदेक संस्थाओं के आवेदनों को मानकों की पूर्ति नहीं किए जाने के कारण निरस्तीकरण की श्रेणी में अंकित किया गया है.वहीं शेष 169 संस्थाओं के आवेदनों को आगामी राज्य कार्यकारिणी समिति में अनुमोदन प्रदान किए जाने के लिए प्रस्तुत किया जा रहा है, जिसके बाद इन संस्थाओं से एमओयू हस्ताक्षरित किया जाएगा.संस्थाओं को अगस्त, 2023 में प्रशिक्षण संबंधी लक्ष्य आवंटित किए जाएंगे तथा उनके द्वारा सितंबर, 2023 के अंत तक युवाओं को पंजीकृत कर उन्हें प्रशिक्षण प्रदान किया जाना प्रारंभ किया जाएगा.

औद्योगिक मांग के अनुरूप होगी प्रशिक्षण की गुणवत्ता

उत्तर प्रदेश कौशल विकास के मिशन निदेशक आन्द्रा वामसी ने बताया कि स्टार्ट-अप प्रशिक्षण नीति, आरएफई-2023 के अंतर्गत आबद्ध होने वाली संस्थाओं द्वारा प्रदान किए जाने वाले प्रशिक्षण की गुणवत्ता औद्योगिक मांग के अनुरूप होगी, जिसका लाभ यह होगा कि प्रशिक्षित युवाओं को अधिकाधिक सेवायोजन के अवसर मिलेंगे.उन्होने बताया कि स्टार्ट-अप प्रशिक्षण नीति के अंतर्गत संचालित किए जाने वाले समस्त प्रशिक्षण कार्यक्रम एनसीवीईटी से अनुमोदित हैं.आरएफई-2023 के द्वितीय चरण के अंतर्गत प्राप्त हुए आवेदनों के परीक्षण का कार्य गतिमान है तथा उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन द्वारा 01 अगस्त, 2023 तक समस्त योग्य आवेदक संस्थाओं की सूची को प्रकाशित किए जाने का लक्ष्य है.

प्रत्येक सेंटर में 250 छात्रों को मिलेगा प्रशिक्षण

उन्होंने बताया कि कौशल विकास मिशन के तहत हम फ्लेक्सी कॉर्पोरेट पार्टनर्स के तौर पर बड़ी निजी संस्थाओं को जोड़कर अपने आईटीआई या अन्य केंद्रों पर प्रशिक्षण कार्यक्रम कराते हैं.लेकिन यूंकि ये स्टार्ट-अप को लेकर प्रशिक्षण कार्यक्रम है, इसलिए यहां छोटे निजी संस्थानों को आमंत्रित किया गया था.जो व्यवस्था बनाई गई है, उसके तहत यह स्टार्ट-अप ट्रेनिंग पार्टनर कौशल विकास केंद्र या आईटीआई नहीं, बल्कि अपने खुद के सेंटर खोलकर युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान करेंगे.एमओयू होने के बाद इस प्रक्रिया के 20 अगस्त से शुरू होने की संभावना है.हर संस्थान के माध्यम से कम से कम 250 छात्रों को प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा.इंडस्ट्री की डिमांड के अनुरूप यहां कोर्स संचालित किए जाएंगे, जिनकी अवधि 3 से 6 माह या इससे अधिक हो सकते हैं.

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