लखनऊ. राज्य पक्षी सारस क्रेन और ब्लैकबक्स को बचाने के लिए नोएडा एयरपोर्ट के पास एनिमल केयर सेंटर की स्थापना की सरकार ने पूरी तैयारी कर ली है.उत्तर प्रदेश सरकार ने जैव विविधता संरक्षण योजना के तहत वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग को जेवर में ग्रीनफील्ड नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के आसपास के क्षेत्र में एक पशु बचाव और पुनर्वास केंद्र पर काम शुरू करने के लिए कहा है. वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन ने इस क्षेत्र में एक पशु बचाव और पुनर्वास केंद्र के लिए ₹4.5 करोड़ रुपये तथा पशु आर्द्रभूमि के विकास के लिए ₹90 लाख की आवश्यकता बतायी है. केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने नोएडा एयरपोर्ट के कारण पर्यावरण को होने वाले नुकसान और वन्य जीवन में व्यवधान के बारे में अपनी चिंता प्रकट की थी. ये हवाई अड्डा आर्द्रभूमि के पास है जो राज्य पक्षी, सारस क्रेन और ब्लैकबक्स का घर है.
भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) ने 2019-20 में क्षेत्र के अध्ययन के बाद हवाई अड्डे के पास एक पशु बचाव और पुनर्वास केंद्र बनाने का सुझाव दिया था. इस केंद्र को बनाने की जिम्मेदारी यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा),नोएडा प्राधिकरण और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को दी गयी है. ये नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (एनआईएएल) में हिस्सेदारी रखते हैं.यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण एवं नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अरुण वीर सिंह ने मीडिया को बताया कि मंत्रालय ने येइदा और एनआईएएल से पर्यावरण की रक्षा के लिए उपाय करने का अनुरोध किया.हमें सभी प्रक्रियाओं का पालन करते हुए छह महीने के भीतर काम शुरू करना होगा. हमारा काम पांच हेक्टेयर जमीन उपलब्ध कराना है क्योंकि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग के पास हवाई अड्डे के पास पहले से ही पांच हेक्टेयर जमीन है. इसके अलावा, हम इस परियोजना को राज्य सरकार के निर्देशों के अनुसार वित्त पोषित करेंगे.
9 मई, 2023 को उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव डीएस मिश्रा ने इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए लखनऊ में नागरिक उड्डयन विभाग और अन्य अधिकारियों के साथ बैठक की थी. मामले की जानकारी रखने वाले अधिकारियों के मुताबिक, अस्थायी पुनर्वास केंद्र पहले पांच साल तक काम करेगा. हवाई अड्डे के मसौदे पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (ईआईए) के अनुसार, इस क्षेत्र में सारस और मोरों की स्वस्थ आबादी है. इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) की रिपोर्ट में बताया गया है कि सारस क्रेन एक कमजोर प्रजाति है. यह उत्तर प्रदेश का राज्य पक्षी है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों विशेष रूप से इटावा और मैनपुरी के आसपास के क्षेत्रों में, इसके लिए दुनिया के कुछ सबसे बड़े आवास हैं. जेवर के पास सूरजपुर और धनौरी दो समृद्ध आर्द्रभूमि हैं जो दोनों ही असुरक्षित हैं.