UP News, Lucknow News: यूपी एसटीएफ को शुक्रवार को बड़ी कामयाबी हासिल हुई. एसटीएफ ने कई सरकारी विभागों में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है. एसटीएफ ने गिरोह के मास्टरमाइंड पिता-पुत्र को राजधानी लखनऊ के ठाकुरगंज इलाके से गिरफ्तार किया है. टीम ने दोनों आरोपियों के पास से कई अहम दस्तावेज, मुहर, फर्जी नियुक्ति पत्र, नकदी व कार बरामद की है. फिलहाल एसटीएफ टीम उनसे पूछताछ करने में जुटी हुई है.
पुलिस अधीक्षक एसटीएफ विशाल विक्रम सिंह के मुताबिक, टीम ने शुक्रवार तड़के करीब 5.30 बजे ठाकुरगंज इलाके से राजेश गुप्ता व उसके बेटे अभिषेक गुप्ता को गिरफ्तार किया. दोनों मूलरूप से काकोरी के दुर्गागंज के रहने वाले हैं. वर्तमान में दुबग्गा के कन्हैया माधवपुरी कालोनी में मकान बनवाकर रह रहे थे.
एसटीएफ के एसपी विशाल विक्रम के मुताबिक, मथुरा के रहने वाले त्रिभुवन सिंह ने रिफाइनरी थाने में पिछले साल मुकदमा दर्ज कराया था, जिसमें आरोप था कि उनके बेटे व बेटी को सीआरपीएफ में मुख्य आरक्षी के पद पर नौकरी दिलाने के नाम पर राजेश गुप्ता व अभिषेक गुप्ता ने 25 लाख रुपये ठग लिये. रुपये लेने के बाद दोनों ने माप-तौल, लिखित परीक्षा, स्वास्थ्य परीक्षण कराने के लिए कूटरचित दस्तावेज देकर डीआईजी सीआरपीएफ अजमेर राजस्थान भेजा. वहां पता चला कि कोई भर्ती ही नहीं है.
पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर मामले की छानबीन शुरू की, लेकिन आरोपियों का कोई सुराग नहीं लगा. इसके बाद मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए एसटीएफ को लगाया गया. एसटीएफ टीम ने शुक्रवार को दोनों को ठाकुरगंज इलाके से दबोच लिया.
एसटीएफ एसपी विशाल विक्रम के मुताबिक, आरोपी राजेश गुप्ता 1989 में जीपीओ लखनऊ के कैंटीन में बतौर सेल्समैन नियुक्त हुआ. 2002 में उसे बर्खास्त कर दिया गया. 17 महीने बाद फिर से बहाल हुआ. 2005 में फिर निलंबित कर दिया गया. एक साल बाद बहाली तो मिली, लेकिन उसका प्राइमरी स्केल पर वेतन कर दिया गया था. इसके बाद उसने कई सरकारी विभागों में स्थाई व संविदा पर नियुक्ति कराने के लिए जाल बिछाने लगा. कुछ लोगाें को अपने पहुंच व अधिकारियों से मिन्नतें कर संविदा पर नौकरी दिलवाई, लेकिन कुछ दिनों बाद उनको निकाल दिया गया. इसके बाद उसने अपना नेटवर्क फैलाना शुरू कर दिया. जीपीओ में नियुक्ति का फायदा उठाकर अन्य जिलों के लोगों से भी संपर्क बढ़ाने लगा.
एसटीएफ एसपी विशाल विक्रम सिंह के मुताबिक, इन दोनों ने सैकड़ों लोगों से ठगी की है, जिसकी जानकारी जुटाई जा रही है. वहीं कुछ लोगों ने शिकायत की है, जिनसे आरोपियों ने ठगी की है. आरोपियों ने 2016 से 2019 के बीच में कानपुर के शुभम चौहान से 3.50 लाख, सिद्धार्थनगर के सिब्बू पांडेय से 4 लाख, इटावा के सुशील यादव से 2.70 लाख, रमाशंकर शुक्ला से 50 हजार और मथुरा के त्रिभुवन सिंह से 25 लाख रुपये वसूला. इन सभी ने शिकायत की है. वहीं त्रिभुवन सिंह ने मथुरा में मुकदमा दर्ज कराया है.
एसपी एसटीएफ के मुताबिक, जालसाज पिता-पुत्र ने ठगी का बड़ा नेटवर्क तैयार किया था. इन दोनों ने ऐसे विभागों के नाम पर ठगी की, जहां जालसाजी की कोई उम्मीद भी नहीं कर सकता है. इसमें राष्ट्रपति भवन में नौकरी, ब्रिटिश व अमेरिकन एंबेसी प्रमुख रूप से शामिल है. इसके अलावा भारतीय खाद्य निगम एफसीआई, रेलवे, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, मेट्रो, विद्युत विभाग, शिक्षा विभाग, 108 एंबुलेंस, सीएचसी, सीआरपीएफ में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी की है. एसटीएफ इन विभागों में इन दोनों के नेटवर्क को भी खंगालने में जुटी है.
एसपी एसटीएफ के मुताबिक, आरोपियों के पास से 12 मोबाइल, एक लैपटॉप, एक प्रिंटर, एक इंटरनेट डाेंगल, एक पैनकार्ड, दो आधार कार्ड, 6 चेकबुक, 3 पास बुक, 12 चेक, 23 सादा आईडी कार्ड, 9 नाम पता लिखा आईडी कार्ड, 8 स्टाम्प पेपर, 91 बायोडाटा शैक्षिक दस्तावेज के साथ, 5 कूटरचित नियुक्ति पत्र, एक ड्यूटी पास, एक पहचान पत्र जीपीओ, दो मुहर, 397 दस्तावेजों की प्रतियां, 1 मुहर पैड, 123 फोटो, 4 कूटरचित ऑफर लेटर, 2 चार पहिया वाहन, 18600 रुपये नकदी बरामद हुई है.
Posted By: Achyut Kumar