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यूपी में छात्र-छात्राओं को मिलेगा यूनिक आईडी, फर्जीवाड़े पर लगेगा अंकुश, जानें स्टूडेंट को क्या होगा लाभ

प्रदेश में अब हर बच्चे को यूनिक स्टूडेंट आईडी दिया जाएगा. इस यूनिक आईडेंटिफिकेशन नंबर में छात्र-छात्राओं की पूरी कुंडली होगी. छात्र किसी भी स्कूल में या किसी भी शहर में पढ़ाई कर रहा हो उसे इसी नंबर के जरिए आसानी से ट्रेस किया जा सकेगा.

Lucknow : उत्तर प्रदेश में शिक्षा विभाग ने अब हर बच्चे को आधार के तरह ही यूनिक स्टूडेंट आईडी देने की तैयारी कर ली है. आईडी के जरिए बच्चे का डिजिटल अकाउंट खोला जाएगा जिसे ‘अवसर’ (अक्रूड वैरिफाइड स्टूडेंट अचीवमेंट रेकॉर्ड) का नाम दिया गया है. बच्चे की पहली बार एडमिशन लेने के दौरान ही जनरेट की जाने वाली इस आईडी के जरिए प्रदेश के किसी शिक्षण संस्थान से उसकी आखिरी डिग्री तक का रेकॉर्ड ट्रैक किया जा सकेगा.

बेसिक शिक्षा विभाग की इस प्रस्तावित ‘अवसर’ कार्यक्रम को सीएम योगी आदित्यनाथ के सामने प्रजेंटेशन के बाद हरी झंडी मिल गई है. जल्द ही औपचारिक मंजूरी के लिए इसे कैबिनेट के समक्ष रखा जाएगा.

योजना से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि बच्चे का पहली बार दाखिले के वक्त ही स्कूल उसकी आईडी जनरेट करेगा. इससे संबद्ध डिजिटल अकाउंट में उसकी शैक्षिक प्रगति का ब्योरा दर्जा किया जाएगा. प्राइमरी के बाद माध्यमिक और उच्च शिक्षा तक पढ़ाई के हर स्तर पर दाखिले के लिए यूनिक आईडी को अनिवार्य बनाया जाएगा.

मसलन बोर्ड परीक्षा का फार्म भरना हो या विश्वविद्यालय में दाखिले के लिए अनिवार्य तौर पर यूनिक आईडी का विवरण दर्ज करना होगा. छात्र जिस संस्थान में दाखिला लेगा वहां उसके शैक्षिक प्रगति का विवरण, मार्कशीट, सर्टिफिकेट आदि अकाउंट में अपलोड करने की जिम्मेदारी संबंधित संस्थान की होगी. यह सिस्टम निजी और सरकारी सभी संस्थानों में लागू होगा.

योजनाओं के लाभ के लिए भी जरूरी

स्कॉलरशिप व अन्य सरकारी योजनाओं में यूनिक आईडी ही स्टूडेंट की पहचान के तौर पर इस्तेमाल की जाएगी. इस कवायद से प्रवेश में डुप्लिकेसी, मिड डे मील या स्कॉलरशिप से जुड़ी योजनाओं का दुरुपयोग रोका जा सकेगा. स्टूडेंट के सारे दस्तावेज डिजिटली मौजूद होने से नौकरी के दौरान सत्यापन की प्रक्रिया स्वत: ही पूरी हो सकेगी.

इसके जरिए आउट ऑफ स्कूल या ड्रापआउट भी ट्रैक किए जा सकेंगे. वहीं विजय किरन आनंद, (डीजी स्कूली शिक्षा) ने कहा कि ‘अवसर’ के जरिए हम सभी बच्चों को एक यूनिक पहचान से जोड़ेंगे. शिक्षा के हर स्तर पर इसे अनिवार्य बनाया जाएगा. आईडी से न केवल शैक्षिक प्रक्रिया, सत्यापन जैसे काम सहज होंगे, बल्कि, योजनाओं को और पारदर्शी बनाने में भी मदद मिलेगी.

क्या है योजना ?

शिक्षा विभाग द्वारा परिषदीय विद्यालयों और मदरसों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को एक यूनिक आईडी के लिए डाटा फीड किया जाएगा. स्कूल में अब यदि बच्चे कक्षा एक में होता है तो उसी समय उसका एक यूनिक नंबर तय होगा. वही यूनिक आईडी उसकी अंतिम शिक्षा यानी कि हाईस्कूल इंटरमीडिएट स्नातक आदि तक चलता रहेगा. जुलाई माह में यू डायस प्लस पर सारी प्रक्रिया पूरी हो जाएगी और अगस्त तक यूनिक आईडी का नंबर तय हो जाएगा.

अब फर्जीवाड़े नहीं हो पाएंगे

इस यूनिक आईडेंटिफिकेशन नंबर में छात्र-छात्राओं की पूरी कुंडली होगी. छात्र किसी भी स्कूल में या किसी भी शहर में पढ़ाई कर रहा हो उसे इसी नंबर के जरिए आसानी से ट्रेस किया जा सकेगा. अक्सर देखा जाता है कि अभिभावक अपने बच्चों का नाम परिषदीय स्कूलों के साथ-साथ प्राइवेट स्कूलों में भी प्रवेश करा देते हैं. इसमें शिक्षा विभाग के पास छात्रों की सारी गणना नहीं हो पाती. ऐसा करते ही आइडी से मामला पकड़ में आ जाएगा.

इस व्यवस्था के शुरू हो जाने से छात्रों को सिर्फ एक ही स्कूल में दाखिला मिलेगा. इतना ही नहीं कहीं यह छात्र किसी कक्षा में पढ़ते थे तो कहीं उनका नामांकन किसी और क्लास में होता है. प्रवेश के नाम पर अब फर्जीवाड़े नहीं हो पाएंगे. राज्य सरकार का मकसद है कि बीच में स्कूल छोड़ने वाले छात्रों की ट्रैकिंग की जा सके. इसके साथ ही सरकारी योजनाओं के सभी लाभार्थियों का भी सही पता चल सकेगा. साथ ही योजनाओं में होने वाले फर्जीवाड़े को आसानी से रोका जा सकेगा. यूनिक आईडी के जरिए सरकार बच्चों पर पैनी नजर रखेगी.

केंद्र सरकार की है यह पहल

गौरतलब है कि केंद्र सरकार इस साल अगस्त में छात्रों के लिए यूनिक स्टूडेंट आईडी सिस्टम शुरू करने की योजना बना रही है, ताकि फर्जी प्रमाणपत्रों के इस्तेमाल पर अंकुश लग सके. अगस्त से यूनिक स्टूडेंट आईडी को आधार कार्ड से जोड़ा जाएगा. जैसे आधार किसी व्यक्ति को विशिष्ट पहचान देता है, वैसे ही छात्रों को आधार-आधारित यूनिक स्टूडेंट आईडी प्रदान किया जाएगा.

यह डिजिटलीकरण व्यवस्था न केवल पारदर्शिता लाता है बल्कि नौकरी सुरक्षित करने के लिए नकली प्रमाणपत्रों के उपयोग पर भी अंकुश लगाता है. इसके अलावा, यह छात्रों को एक ही राज्य में या शैक्षणिक संस्थान बदलने के दौरान प्रवेश फॉर्म नहीं भरना पड़ेगा. छात्र की जानकारी ऑनलाइन जांची जा सकती है. इसके अलावा यह सिस्टम छात्रों की प्रामाणिकता जानने में मदद करेगा.

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