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UP News: सुलतानपुर जेल में 2 बंदियों की मौत मामले में डीजी जेल ने मांगी आख्या, जल्द हो सकती है बड़ी कार्रवाई

सुलतानपुर जेल में बंद अमेठी के दो बंदियों की 22 जून को हुई मौत के मामले को पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने प्रमुखता से उठाया तो शासन सख्त हो गया है. सीजेएम रिपोर्ट में आत्महत्या के बजाए हत्या के रूप में सामने आई है. माना जा रहा है जल्द ही बड़ी कार्रवाई हो सकती है.

यूपी के सुलतानपुर जेल में विचाराधीन दो बंदियों की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत के मामले में डीजी जेल ने डीआईजी कारागार अयोध्या रेंज से विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा है. रिपोर्ट मिलने पर दोषी जेलकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. सुलतानपुर जेल में बंद अमेठी के दो बंदियों की 22 जून को हुई मौत के मामले को पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने प्रमुखता से उठाया तो शासन सख्त हो गया है. सीजेएम रिपोर्ट में आत्महत्या के बजाए हत्या के रूप में सामने आई है. माना जा रहा है जल्द ही बड़ी कार्रवाई हो सकती है. अमेठी के जामो थाना अंतर्गत लोरिकपुर गांव निवासी करिया उर्फ विजय पासी और मनोज रैदास की 21 जून को जेल के अंदर संदिग्ध अवस्था में पेड़ शव लटकता मिला था. जेल प्रशासन ने इसे आत्महत्या बताया. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में चोट आदि की पुष्टि हुई, लेकिन इस सबको जेल प्रशासन व जिला प्रशासन ने दबा दिया.

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मजिस्ट्रियल जांच में हुआ खुलासा

दो दिसंबर को तत्कालीन सीजेएम सपना त्रिपाठी द्वारा की गई मजिस्ट्रियल जांच में पाया गया है कि मृत्यु का कारण एंटी मॉर्टम हैंगिंग तो है किंतु पोस्टमॉर्टम से स्पष्ट है कि मृतक गण को किसी नशीले पदार्थ के प्रभाव में उनकी इच्छा के विरुद्ध फांसी पर लटकाया गया. जिसके कारण यह मामला आत्महत्या का नहीं, बल्कि हत्या का है. जिसकी पूर्ण जिम्मेदारी जेल प्रशासन की है. इस रिपोर्ट के आधार पर पूर्व आईपीएस अधिकारी व आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर ने मांग किया था कि यदि इसमें दोषी जेल प्रशासन पर हत्या की एफआईआर नहीं हुई जेल मुख्यालय लखनऊ के सामने विरोध प्रदर्शन करेंगे. इसको गंभीरता से लेते हुए डीजी जेल ने डीआईजी अयोध्या से रिपोर्ट तलब किया है. उन्होंने कहा है आख्या प्राप्त होने पर दोषी पाए गए कर्मियों के विरुद्ध नियमानुसार यथोचित कार्रवाई की जाएगी.

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हत्या के मामले में हुई थी गिरफ्तारी

बता दें कि मनोज रैदास और विजय पासी को उनके 48 वर्षीय पड़ोसी ओम प्रकाश की हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया था, जिनकी 26 मई को उनके घर के बाहर सोते समय हत्या कर दी गई थी. पुलिस ने कहा कि पूछताछ के दौरान दोनों ने कबूल किया कि उन्होंने ही ओम प्रकाश की हत्या की थी. क्योंकि उन्होंने उसे उसका भाई जितेंद्र समझ लिया था, जिसने कुछ दिन पहले एक झगड़े के दौरान उनकी पिटाई कर दी थी. वहीं सुल्तानपुर के तत्कालीन जेल अधीक्षक उमेश सिंह से संपर्क किया गया, जो वाराणसी में तैनात हैं उन्होंने कहा कि दोनों कैदियों के शव लटकते पाए जाने के बाद उन्होंने तुरंत अपने वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित किया था, जिन्होंने घटनास्थल का दौरा भी किया. उन्होंने बताया कि फोरेंसिक टीम और डॉग स्क्वायड को भी मौके पर बुलाया गया और कुछ भी असामान्य नहीं मिला. उन्होंने आगे बताया कि कैदियों के शरीर पर कोई गहरी चोट नहीं पाई गई और यह स्पष्ट था कि मौतें फांसी के कारण हुईं. साथ ही जिला मजिस्ट्रेट की जांच में सब कुछ भी सामान्य पाया गया था.

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