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UP: सुल्तानपुर जेल में 2 कैदियों की हुई थी हत्या, प्रशासन ने बताया था आत्महत्या, न्यायिक जांच में हुआ खुलासा

सुल्तानपुर के जिला कारागार में बंद दो कैदियों ने आत्महत्या नहीं की थी. यह सनसनीखेज जानकारी उनकी मौतों की न्यायिक जांच रिपोर्ट में सामने आया है. जांच करने वाले सुल्तानपुर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) ने इस घटना के लिए जेल कर्मचारियों को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया है.

यूपी में सुल्तानपुर के जिला कारागार में बंद दो कैदियों ने आत्महत्या नहीं की थी. यह सनसनीखेज जानकारी उनकी मौतों की न्यायिक जांच रिपोर्ट में सामने आया है. जांच करने वाले सुल्तानपुर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) ने इस घटना के लिए जेल कर्मचारियों को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराते हुए रिपोर्ट में कहा कि यह संभवतः “जबरन फांसी” का मामला है. मनोज रैदास उर्फ मंजू (21) और उसका चचेरा भाई विजय पासी उर्फ करिया (19), दोनों अमेठी जिले के एक हत्या के मामले में विचाराधीन कैदी थे, जेल में बंद होने के कुछ हफ्ते बाद यानि 21 जून को परिसर में एक पेड़ से लटके हुए पाए गए थे. इस मामले में जेल अधिकारियों ने शुरू में दावा किया था कि दलित समुदाय से आने वाले दोनों ने “अवसाद” के कारण आत्महत्या कर ली. लेकिन जांच रिपोर्ट को अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है, जिसमें यह पाया गया था कि मौतें संदिग्ध परिस्थितियों में हुईं थी. साथ ही यह भी तय नहीं हो पाया कि कैदी वास्तव में अवसाद में थे.

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सीसीटीवी कैमरे थे खराब

वहीं जेल अधिकारियों ने जांच अधिकारी को बताया कि आत्महत्या स्थल के पास लगे सीसीटीवी कैमरे काम नहीं कर रहे थे. दावा किया गया था कि विचाराधीन कैदियों की विसरा रिपोर्ट भी जांच अधिकारी को उपलब्ध नहीं कराई गई. जिसमें अधिकारियों ने कहा था कि जांच के दौरान जेल कर्मचारियों, कैदियों, पीड़ितों के परिवार के सदस्यों और एक डॉक्टर सहित लगभग 20 गवाहों के बयान दर्ज किए गए थे. रिपोर्ट में दोनों कैदियों की मौत के अलग-अलग समय और विजय के शरीर पर चोट के निशान पाए गए और उसके नाखून का रंग नीला हो जाने पर भी सवाल उठाए गए हैं, जो दोनों विचाराधीन कैदियों को जहर दिए जाने की संभावना की ओर इशारा करता है.

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जिला मजिस्ट्रेट ने जांच रिपोर्ट मिलने की पुष्टि की

हालांकि सुल्तानपुर की जिला मजिस्ट्रेट कृतिका ज्योत्सना ने जांच रिपोर्ट मिलने की पुष्टि की है, लेकिन उन्होंने इसको सर्वजानिक करने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि मुझे प्रति मिल गई है और उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी. मनोज रैदास और विजय पासी को उनके 48 वर्षीय पड़ोसी ओम प्रकाश की हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया था, जिनकी 26 मई को उनके घर के बाहर सोते समय हत्या कर दी गई थी. पुलिस ने कहा कि पूछताछ के दौरान दोनों ने कबूल किया कि उन्होंने ही ओम प्रकाश की हत्या की थी. क्योंकि उन्होंने उसे उसका भाई जितेंद्र समझ लिया था, जिसने कुछ दिन पहले एक झगड़े के दौरान उनकी पिटाई कर दी थी. वहीं सुल्तानपुर के तत्कालीन जेल अधीक्षक उमेश सिंह से संपर्क किया गया, जो वाराणसी में तैनात हैं उन्होंने कहा कि दोनों कैदियों के शव लटकते पाए जाने के बाद उन्होंने तुरंत अपने वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित किया था, जिन्होंने घटनास्थल का दौरा भी किया. उन्होंने बताया कि फोरेंसिक टीम और डॉग स्क्वायड को भी मौके पर बुलाया गया और कुछ भी असामान्य नहीं मिला. उन्होंने आगे बताया कि कैदियों के शरीर पर कोई गहरी चोट नहीं पाई गई और यह स्पष्ट था कि मौतें फांसी के कारण हुईं. साथ ही जिला मजिस्ट्रेट की जांच में सब कुछ भी सामान्य पाया गया था.

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