Lucknow News: उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर जनपद में सरकारी अस्पताल में लापरवाही का बड़ा मामला सामने आया है. यहां डिलीवरी कराने आई प्रसूता को इलाज नहीं मिला, जिसकी वजह से जच्चा बच्चा दोनों की मौत हो गई. मामले के सुर्खियों में आने के बाद अधिकारियों की नींद टूटी और अपनी गर्दन बचाने के लिए एक्शन लिया गया. उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने बताया कि सुलतानपुर के स्वशासी राज्य चिकित्सालय में रात में प्रसूता को इलाज के लिए लाया गया था, जहां उसे समय से उपचार नहीं मिला और जच्चा बच्चा दोनों की मौत हो गई. इस प्रकरण को तत्काल संज्ञान में लिया गया. डिप्टी सीएम ने बताया कि उनके आदेश पर घटना के दौरान ड्यूटी में तैनात दो चिकित्सकों को बर्खास्त और दो नर्सों को निलंबित किया गया है. इसके साथ ही दो अन्य नर्सिंग कर्मियों को निलंबित किए जाने के लिए डायरेक्टर पैरामेडिकल को आदेश दिया गया है. उन्होंने बताया कि इसके अतिरिक्त एसीएमओ सुलतानपुर की अध्यक्षता में कमेटी गठित करते हुए एक सप्ताह में विस्तृत रिपोर्ट तलब की गई है. इस रिपोर्ट के आधार पर दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी. साथ ही प्रकरण की मजिस्ट्रियल जांच के लिए जिलाधिकारी को पत्र भी प्रधानाचार्य की ओर से भेज दिया गया है.
उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर के सरकारी अस्पताल को राजकीय मेडिकल कॉलेज का दर्जा मिल चुका है. लेकिन, यहां इलाज का स्तर नहीं सुधरा है. लापरवाही का आलम ये है कि बुधवार रात यहां महिला हॉस्पिटल में डॉक्टर और स्टॉफ आराम फरमाते रहे और प्रसूता को इलाज नहीं मिला. आखिरकार उसने दम तोड़ दिया. बताया जा रहा है कि गोसाईंगंज थानाक्षेत्र के कटघरा गांव निवासी अंबालिका वर्मा पत्नी सुनील वर्मा गर्भवती थी. गुरुवार रात प्रसव पीड़ा होने पर ग्राम प्रधान मोहम्मद शोएब उसे परिजनों के साथ लेकर रात 11 बजे के आसपास राजकीय मेडिकल कॉलेज पहुंचे और महिला अस्पताल में भर्ती कराया. रात में दर्द अधिक होने पर अंबालिका के परिजन डॉक्टर और स्टॉफ को बुलाने पहुंचे तो सभी चैन की नींद लेते रहे.
Also Read: Gyanvapi ASI Report: एएसआई को 10 दिनों में सौंपनी होगी सर्वे रिपोर्ट, जानें कोर्ट ने मामले में क्या कहा?
परिजनों के मुताबिक काफी गुहार लगाने के बावजूद डॉक्टर व अन्य मेडिकल स्टॉफ ने सुबह डिलेवरी की बात कही और फिर सोने में व्यस्त हो गए. इस बीच देर रात में गर्भवती महिला की हालत काफी बिगड़ गई और सुबह होते-होते उसने दम तोड़ दिया. जच्चा बच्चा की मौत से परिवार के सदस्य सदमे में आ गए और उनका रो-रोकर बुरा हाल है. मृतक महिला की सास ने बताया कि जब वह लोग डॉक्टर के पास गए और मरीज की हालत बिगड़ने की बात कही तो उन्होंने डांटकर भगा दिया. अगर समय रहते इलाज मिलता तो जच्चा बच्चा बस सकती थी. या फिर उनसे दूसरे अस्पताल जाने को बोल दिया होता, कम से कम जान तो बच जाती.
इस संबंध में ग्राम प्रधान मोहम्मद शोएब ने बताया कि अंबालिका वर्मा को बुधवार देर रात अस्पताल में भर्ती कराया गया. एक-दो बार उन्होंने स्वयं डॉक्टर से प्रसूता को देखने को कहा. लेकिन, उन्होंने लापरवाही बरती और जांच लिख दी. फिर जांच कराने के बाद दोबारा डॉक्टर से कहा गया. लेकिन, उन्होंने मरीज को नहीं देखा. काफी दबाव बनाने के बाद उन्होंने देखा और कहा कि एक कास्टर आयल पिला दें. जब कास्टर आयल लेकर आए तो दूसरी डॉक्टर ने मना किया और कहा कि डिलीवरी सुबह होगी. रात ही में महिला के हाथ-पैर सुन्न होने लगे. इस पर डॉक्टर से फिर गुहार लगाई गई. लेकिन कोई नहीं आया और सब सोने में मशगूल रहे. बाद में प्रसूता ने इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया. अगर लापरवाही नहीं बरती गई होती तो महिला की जान बच सकती थी.