Lucknow: राजधानी पुलिस को गुडवर्क की कोशिश में नियमों को ताक में रखना महंगा पड़ा है. लखनऊ की एक विशेष अदालत ने धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार किशोर की पहचान कथित रूप से सार्वजनिक करने के मामले में लखनऊ के पुलिस आयुक्त समेत नौ पुलिसकर्मियों को समन जारी किया है.
पॉक्सो एक्ट के विशेष न्यायाधीश विजेंद्र त्रिपाठी ने मामले में लखनऊ के पुलिस कमिश्नर समेत गाज़ीपुर व गुडंबा थाने के नौ पुलिस कर्मियों को बतौर आरोपी कोर्ट में तलब करते हुए ये समन जारी किया है. मामले की अगली सुनवाई 4 अप्रैल को होगी।
इस मामले में किशोर के पिता ने किशोर न्याय बोर्ड में पुलिस कमिश्नर, गाजीपुर के दरोगा शिवमंगल सिंह, कमलेश राय, धर्मेंद्र, गुड्डू प्रसाद, सिपाही सुनील कुमार, रोहित कुमार और गुडंबा थाने के उपनिरीक्षक महेंद्र कुमार और आशित कुमार यादव के खिलाफ अर्जी देकर कार्रवाई की मांग की थी. इसमें बताया कि उनका नाबालिग बेटा आज़मगढ़ के एक विद्यालय में कक्षा बारह का छात्र है.
वह 6 जनवरी 2021 को अपनी मां को आलमबाग बस अड्डा छोड़ने गया था. मौके पर ही उसके एक परिचित ने फोन कर बताया की उसके पुत्र को पुलिस ने पकड़ लिया है. शिकायतकर्ता के घर पहुंचने पर गाजीपुर थाने में तैनात दारोगा शिवमंगल सिंह अन्य आरोपी पुलिस कर्मियों के साथ उनके नाबालिग बेटे को पकड़े हुए थे.
पिता के मुताबिक बेटे के नाबालिग होने की जानकारी देने के बाद भी पुलिसकर्मियों ने उसके साथ शातिर अपराधियों की तरह व्यवहार किया. राजभवन में तैनात रहे इंस्पेक्टर अभिषेक श्रीवास्तव के पक्ष में मकान खाली करने को लेकर धमकी भी दी. इसके बाद पुलिस वालों की बात नहीं मानने पर बेटे को धोखाधड़ी समेत तमाम अन्य आरोप में गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश कर दिया गया.
कोर्ट ने सुनवाई के बाद शिकायतकर्ता के पुत्र को नाबालिग मानते हुए मामले को सुनवाई के लिए किशोर न्याय बोर्ड भेज दिया. आरोप है कि मामले की जानकारी पुलिस कमिश्नर को दिए जाने के बावजूद पुलिस ने 7 और 8 फरवरी को कमिश्नर के फेसबुक पोस्ट पर नाबालिग की पहचान के साथ उसकी गिरफ्तारी की सूचना को समाचार पत्रों और टीवी चैनलों की जानकारी के लिए प्रसारित कर दिया. पुलिस का यह कदम पूरी तरह से गैरकानूनी और किशोर न्याय अधिनियम के प्रावधानों के खिलाफ था.