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UP News: स्वामी प्रसाद मौर्य का एक और विवादित बयान, बोले-हिंदू नाम का कोई धर्म नहीं

सपा नेता ने कहा कि 'सही मायने में जो ब्राह्मण धर्म है, उसी ब्राह्मण धर्म को हिंदू धर्म कह करके इस देश के दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों को अपने धर्म के मकड़जाल में फंसाने की एक साजिश है.

लखनऊ: सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने फिर से विवादित बयान दिया है. उन्होंने एक सभा के दौरान ब्राह्मण और हिंदू धर्म को लेकर बयान दिया है. उनके इस बयान का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है. उन्होंने कहा कि ‘ब्राह्मणवाद की जड़ें बहुत गहरी हैं और सारी विषमता का कारण भी ब्राह्मणवाद ही है. हिंदू नाम का कोई धर्म है ही नहीं, हिंदू धर्म केवल धोखा है.’ वह अर्जक संघ के संस्थापक महामना रामस्वरूप वर्मा की जंयती के मौके पर लखनऊ में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे.

स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि ‘सही मायने में जो ब्राह्मण धर्म है, उसी ब्राह्मण धर्म को हिंदू धर्म कह करके इस देश के दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों को अपने धर्म के मकड़जाल में फंसाने की एक साजिश है. अगर हिंदू धर्म होता तो आदिवासियों का भी सम्मान होता है, दलितों का भी सम्मान होता, पिछड़ों का भी सम्मान होता, लेकिन क्या विडंबना है कि अपनी आजादी का 76वां साल बीतने के बाद भी इस देश की प्रथम नागरिक संविधान प्रमुख राष्ट्रपति को मंदिर जाने से रोका जाता है.

स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि ‘सही मायने में जो ब्राह्मण धर्म है, उसी ब्राह्मण धर्म को हिंदू धर्म कह करके इस देश के दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों को अपने धर्म के मकड़जाल में फंसाने की एक साजिश है. अगर हिंदू धर्म होता तो आदिवासियों का भी सम्मान होता है, दलितों का भी सम्मान होता, पिछड़ों का भी सम्मान होता, लेकिन क्या विडंबना है कि अपनी आजादी का 76वां साल बीतने के बाद भी इस देश की प्रथम नागरिक संविधान प्रमुख राष्ट्रपति को मंदिर जाने से रोका जाता है.

देश की प्रथम नागरिक राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को मंदिर में अपमान का घूंट पीना पड़ा था. वहीं उन्हीं के अधीन मंत्रिमंडल एक मंत्री गर्भगृह में जाकर दर्शन करता है, क्योंकि वह ऊंची जाति का है. द्रौपदी मुर्मू को इसलिये रोक दिया जाता है क्योंकि वह आदिवासी समाज की हैं. यदि आदिवास समाज हिंदू होता तो उनके साथ यह व्यवहार क्यों होता.

मौर्य ने कहा कि हम भले ही पागल होकर हिंदू के नाम पर मरें, लेकिन ब्राह्मण व्यवस्था के चालाक लोग आज भी हमें आदिवासी मानते हैं. पहले पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ब्रह्मा मंदिर गए थे तो उन्हें तथाकथित पंडे ने सीढ़ी पर रोक दिया गया, क्योंकि वह दलित थे. इसलिये दलित आदिवासी समाज के लोगों धोखे में मत रहना. तुम उनके लिये खून बहा दो, तुम उनके लिये सिर कटा दो, तुम उनके लिये सर्वस्व न्यौछावर कर दो, लेकिन वह तुम्हें सम्मान नहीं देंगे. क्योंकि वह तुम्हें नीच मानते हैं और आपको अपमानित करना अपना धर्म मानते हैं.

स्वामी ने कहा कि यही उत्तर प्रदेश है, जब अखिलेश यादव मुख्यमंत्री पद से हटे, तो मुख्यमंत्री आवास पांच कालिदास मार्ग सत्ता में बैठे लोग, कुछ लोग उसे पहले गौमूत्र से धुले और गंगाजल से धुले. यदि ब्राह्मण मुख्यमंत्री होता तो क्या उसे गौमूत्र से धोया जाता. अखिलेश यादव पिछड़े समाज में पैदा हुए हैं. आदिवासी दलित या पिछड़े ये कौन हैं जिसको पहले सूद्र कहकर जानवर से बदतर जीवन जीने के लिये मजबूर किया करते थे, इसलिये धोखे में मत रहना. जिसको आप हिंदू धर्म कहकर दीवाने और पागल होकर अपना सबकुछ लुटा देते हों, हिंदू मुस्लिम के नाम पर दंगा करा देते हो, खून बहा देते हो, यह तुम्हारी नादानी है, सावधान रहना जिसको आप धर्म मानते हो वो इनका धंधा है. आपके लिये धर्म हो सकता है लेकिन इनके लिये धंधा है आपके लिये धोखा है इसलिये इनसे सावधान रहना.

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