दागी आईपीएस: यूपी में तैनात भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों में लगा भ्रष्टाचार का घुन
यूपी में पांच अधिकारी कार्रवाई की जद में, एक को किया जा चुका है बर्खास्त
Lucknow News: आईपीएस (भारतीय पुलिस सेवा) अधिकारियों को भ्रष्टाचार का घुन लग गया है. विभिन्न आरोपों में घिरे इन आईपीएस की कार्यप्रणाली ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार के स्वच्छ और ईमानदार सरकार के दावे पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है. वर्तमान में यूपी कैडर के पांच आईपीएस कार्रवाई की जद में हैं. इनमें से एक मणिलाल पाटीदार लंबे समय से फरार हैं. उन्हें बर्खास्त किया जा चुका है. वहीं चार अन्य पर विभागीय कार्रवाई की संस्तुति की जा चुकी है.
यूपी सरकार स्वच्छ और ईमानदार छवि को पलीता लगाने वाले एक आईपीएस हैं मणिलाल पाटीदार. महोबाद में तैनाती के दौरान इन पर स्टोन क्रशर कारोबारी इंद्रकांत त्रिपाठी को परेशान करने और आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप है. मणिलाल पाटीदार ने कारोबारी से छह लाख रुपये रंगादारी मांगी थी और न देने पर जेल भेजने की धमकी दी थी.
मणिलाल पाटीदार ने कारोबारी से छह लाख रुपये रंगादारी मांगी थी और न देने पर जेल भेजने की धमकी दी थी. आरोप है कि मानसिक रूप से प्रताड़ित कारोबारी ने 08 सितंबर 2020 को गोली मारकर खुदकुशी कर ली थी.
लंबे समय से फरार पाटीदार पर सरकार ने एक लाख रुपये का इनाम भी घोषित था. विभागीय जांच में आरोपों की पुष्टि के बाद सरकार ने उन्हें बर्खास्त कर दिया था. कारोबारी इंद्रकांत त्रिपाठी की आत्महत्या मामले में आईपीएस मणिलाल सहित छह लोगों पर एफआईआर दर्ज हुई थी.
इसके अलावा आईपीएस डॉ. अजयपाल शर्मा भी भ्रष्टाचार के आरोप में कार्रवाई की जद में हैं. आईपीएस वैभव कृष्णा ने आईपीएस हिमांशु कुमार और अजयपाल शर्मा पर जिलों में ट्रांसफर पोस्टिंग के लिए लाखों रुपये के लेन देन और भ्रष्टाचार की रिपोर्ट शासन को भेजी थी.
एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर दोनों आईपीएस हिमांशु कुमार और अजय पाल शर्मा के खिलाफ 20 सितंबर 2020 को एफआईआर कराई गई. इस मामले में मेरठ के विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम कोर्ट ने अजय पाल शर्मा के वायस सैंपल लेने की मंजूरी दी थी.
कानपुर के चर्चित बिकरू कांड में आईपीएस अनंत देव सहित 13 अन्य राजपत्रित पुलिसकर्मी न्यायिक आयोग की जांच में दोषी पाए गए थे. चर्चित बिकरू कांड में गैंगस्टर विकास दुबे ने गुर्गों के साथ मिलकर दबिश देने गई पुलिस टीम को घेरकर गोलियां बरसाईं थीं. इस हमले में सीओ सहित आठ पुलिस कर्मियों की मौत हो गई थी. जवाबी कार्रवाई में लगभग एक सप्ताह बाद 10 जुलाई को सचेंडी में विकास दुबे को एनकाउंटर में मार गिराया गया था.
प्रयागराज के पूर्व एसएसपी अभिषेक दीक्षित पर थानों में पोस्टिंग में भ्रष्टाचार के आरोप हैं. तमिलनाडु कैडर के 2006 बैच के आईपीएस अभिषेक डेपुटेशन पर यूपी आए थे. प्रयागराज में तैनाती के दौरान उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे. इस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 08 सितंबर 2020 को उन्हें सस्पेंड कर दिया था. अभिषेक दीक्षित की संपत्ति की जांच भी विजिलेंस कर रही है. कानपुर में तैनात रही आईपीएस अपर्णा गुप्ता भी लैब टेक्नीशियन संजीव यादव अपहरण मामले में घिरी हुई हैं.