TB Free India: यूपी में इस साल खोजे जाएंगे 6.25 लाख टीबी मरीज, सरकारी और प्राइवेट सेक्टर मिलकर करेंगे काम
टीबी के खिलाफ लड़ाई को प्रभावी तरीके से अंजाम तक पहुंचाने के लिए यूपी में इस बार छह लाख से अधिक मरीजों की तलाश की जाएगी. ये मरीज विभिन्न कारणों से सामने नहीं आए हैं. सरकारी और प्राइवेट दोनों स्तर पर इन मरीजों की तलाश कर नोटिफिकेशन किया जाएगा, जिससे इनका इलाज शुरू किया जा सके.
Lucknow: यूपी में टीबी के जड़ से खात्मे के लिए इस वर्ष 6.25 लाख मरीजों को खोजने और इलाज का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. आम तौर पर अभी भी लोग टीबी की बीमारी होने पर बताने से संकोच करते हैं, वहीं कई लोग बीच में इलाज छोड़ देते हैं. ऐसे में इनसे अन्य लोगों के संक्रमित होने की संभावना अधिक रहती है. इसलिए छूटे हुए टीबी रोगियों की जांच और इलाज के लिए ये लक्ष्य निर्धारित किया गया है.
2022 में 5.22 लाख टीबी मरीजों को तलाशने में मिली थी सफलता
स्वास्थ्य महकमे ने इस वर्ष यूपी में 6,25,017 टीबी मरीजों के नोटिफिकेशन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इसमें 400717 नोटिफिकेशन सरकारी और 224300 प्राइवेट क्षेत्र से तय किए गए हैं. पिछले साल 5.50 लाख नोटिफिकेशन का लक्ष्य था, जिसके मुकाबले 5.22 लाख टीबी मरीजों का नोटिफिकेशन करने में सफलता मिली थी.
लखनऊ में सबसे अधिक टीबी मरीजों को ढूंढने का लक्ष्य
इसके मुताबिक राजधानी लखनऊ को प्रदेश में सबसे अधिक 26230 टीबी मरीजों के नोटिफिकेशन का लक्ष्य दिया गया है. इसमें पब्लिक सेक्टर से 14330 और प्राइवेट सेक्टर से 11900 टीबी मरीजों को इस साल नोटिफाई किया जाना है. इसी तरह कानपुर नगर को 25933, आगरा को 25730, प्रयागराज को 19400, गाजियाबाद को 17738, बरेली को 17332 और वाराणसी को 17250 टीबी मरीजों को इस साल नोटिफाई करने का लक्ष्य तय किया गया है.
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पांच महीने 1.89 लाख टीबी मरीजों का पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन
इस साल जनवरी से अप्रैल तक करीब 1.89 लाख क्षय रोगियों का निक्षय पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन किया जा चुका है. दिसंबर से यूपी में शुरू हुई एकीकृत निक्षय दिवस की पहल के तहत पांच महीने में 4001 टीबी मरीजों की पहचान की गई. इसके तहत हर महीने की 15 तारीख को स्वास्थ्य इकाइयों पर टीबी की स्क्रीनिंग और जांच की जाती है.
यूपी में 3.24 लाख टीबी मरीजों का चल रहा इलाज
यूपी में इस समय करीब 3.24 लाख क्षय रोगियों का इलाज जारी है. इनमें से 2.29 लाख ने गोद लेने के लिए अपनी सहमति दी है, जिनको शत-प्रतिशत निक्षय मित्रों से जोड़ दिया गया है. यह निक्षय मित्र मरीजों के पोषण का पूरा ख्याल रखने के साथ ही भावनात्मक सहयोग भी प्रदान कर रहे हैं. इस समय प्रदेश में कुल 24,367 निक्षय मित्र रजिस्टर्ड हैं. यह संख्या देश में सबसे अधिक है. इसके अलावा निक्षय पोषण योजना के तहत इलाज के दौरान हर माह टीबी मरीजों के खाते में 500 रुपये भी भेजे जा रहे हैं. वर्ष 2022 में करीब 3.94 लाख टीबी मरीजों को इस योजना का लाभ मिला.
देश में हर पांचवां टीबी रोगी यूपी का
नेशनल टीबी टास्क फोर्स के वाइस चेयरमैन डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के मुताबिक वैश्विक स्तर पर टीबी का संक्रमण भारत में सबसे अधिक है. दुनिया के कुल टीबी मरीजों में 26 फीसदी भारत के हैं और उनमें 20 प्रतिशत उत्तर प्रदेश के हैं. इस तरह देश का हर पांचवां टीबी रोगी उत्तर प्रदेश का है. देश के करीब 35 से 40 करोड़ लोगों में टीबी के बैक्टीरिया नॉन एक्टिव अवस्था में हैं, जिसे लेटेंट टीबी भी कहते हैं.
लेटेंट टीबी को लेकर इसलिए सतर्कता जरूरी
दरअसल ट्यूबरक्लोसिस में एक्टिव टीबी और लेटेंट टीबी शामिल है. एक्टिव टीबी में लक्षण सामने आता है जबकि लेटेंट टीबी में लक्षण सामने नहीं आता है. इसलिए इसे छिपा हुआ या लेटेंट टीबी भी कहते हैं. इनमें 26 लाख लोग ऐसे हैं जो रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ते ही टीबी से ग्रसित हो जाते हैं. ऐसे में लेटेंट टीबी संक्रमण की जांच और इलाज को प्रभावी बनाना जरूरी है.