वृंदावन की बैठक में मथुरा को ‘मुक्त’ कराये जाने पर निर्णय करेगी अखाड़ा परिषद, 15 अक्तूबर को बुलायी बैठक
प्रयागराज / मथुरा : संतों की सबसे बड़ी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान विवाद मामले में दायर याचिका में परिषद पक्षकार बने या नहीं, इस पर चर्चा के लिए 15 अक्तूबर को वृंदावन में सभी 13 अखाड़ों की बैठक बुलायी है. वहीं, मथुरा में अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा ने 17वीं सदी की मस्जिद को हटाने के लिए कुछ लोगों द्वारा एक अदालत में याचिका दायर करने की आलोचना की.
प्रयागराज / मथुरा : संतों की सबसे बड़ी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान विवाद मामले में दायर याचिका में परिषद पक्षकार बने या नहीं, इस पर चर्चा के लिए 15 अक्तूबर को वृंदावन में सभी 13 अखाड़ों की बैठक बुलायी है. वहीं, मथुरा में अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा ने 17वीं सदी की मस्जिद को हटाने के लिए कुछ लोगों द्वारा एक अदालत में याचिका दायर करने की आलोचना की.
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने प्रयागराज में बताया कि अखाड़ा परिषद पहले से ही मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान की जमीन के पास से मस्जिद को हटाये जाने की वकालत करती रही है और आगामी 15 अक्तूबर को वृंदावन में होनेवाली अखाड़ा परिषद की बैठक में इस संबंध में निर्णय किया जायेगा.
उन्होंने बताया कि मथुरा में भगवान कृष्ण की जन्मस्थली के लिए दायर याचिका में अखाड़ा परिषद पक्षकार बने, इस पर भी वृंदावन की बैठक में निर्णय किया जायेगा. अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने बताया कि वृंदावन में अखाड़ा परिषद के सभी पदाधिकारी कृष्ण जन्मभूमि का भ्रमण करेंगे और दर्शन पूजन के साथ वास्तविक स्थिति का जायजा लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि अखाड़ा परिषद, श्रीकृष्ण जन्मभूमि और काशी विश्वनाथ मंदिर को पूरी तरह से ‘मुक्त’ कराने की वकालत करती रही है.
उधर, मथुरा में अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेश पाठक ने श्रीकृष्ण जन्मस्थान के पास स्थित शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने के लिये अदालत में याचिका दायर किये जाने की आलोचना करते हुए कहा कि ”कुछ बाहरी लोग” मंदिर-मस्जिद जैसे मुद्दे उठाकर मथुरा की शांति और सद्भाव को बिगाड़ने का प्रयास कर रहे हैं.
महेश पाठक ने कहा, ”20वीं सदी में दोनों पक्षों के बीच समझौता होने के बाद मथुरा में मंदिर-मस्जिद का कोई विवाद नहीं है.” उन्होंने कहा कि दोनों समुदायों के बीच सद्भाव है और अगल-बगल में धार्मिक स्थल का अस्तित्व भावनात्मक एकजुटता का उदाहरण है.