लखनऊ : अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में रामलला विराजमान के विजयी होने के बाद अब मथुरा में श्रीकृष्ण विराजमान ने अदालत का दरवाजा खटखटाया है. रंजना अग्निहोत्री और छह अन्य भक्तों ने मथुरा की अदालत में सिविल मुकदमा दायर कर कृष्ण विराजमान की जन्मभूमि को मुक्त करने की गुहार लगायी है.
याचिका में 13.37 एकड़ की कृष्ण जन्मभूमि का स्वामित्व मांगा है. साथ ही शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग की गयी है. बताया गया है कि मुगल काल में कब्जा कर शाही ईदगाह बना दी गयी थी. यह मुकदमा भगवान श्रीकृष्ण विराजमान, कटरा केशव देव खेवट, मौजा मथुरा बाजार शहर की ओर से अंतरंग सखी के रूप में रंजना अग्निहोत्री और छह अन्य भक्तों ने दाखिल किया है.
याचिका में कहा गया है कि श्रीकृष्ण से संबंधित जन्मभूमि पर मुसलमानों की मदद से शाही ईदगाह ट्रस्ट ने कब्जा कर लिया है. भगवान के स्थान पर एक ढांचे का निर्माण कर दिया गया है, जिसके नीचे भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण का जन्मस्थान स्थित है. साथ ही यह दावा भी किया गया है कि मंदिर परिसर का प्रशासन संभालने वाले श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान ने संपत्ति के लिए शाही ईदगाह ट्रस्ट से एक अवैध समझौता भी कर लिया है. आरोप लगाया गया है कि धोखे से 1968 में संबंधित संपत्ति के एक बड़े हिस्से को हथियाने का समझौता कर लिया.
मालूम हो कि मथुरा के स्थानीय अदालत में एक और मामला दाखिल किया गया था, जिसे समझौते के आधार पर 20 जुलाई, 1973 को फैसला देते हुए बंद कर दिया गया था. याचिका में उस फैसले को भी रद्द करने की मांग की गयी है. साथ ही मांग की गयी है कि विवादित स्थल को श्रीकृष्ण विराजमान के निहित घोषित किया जाये. याचिका में कहा गया है कि जमीन का वास्तविक मालिक श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट 1958 से सक्रिय नहीं है. श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान ने अधिकारों पर जबदस्ती कब्जा कर लिया है.
मामले में सबसे बड़ी समस्या ‘प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक-1991’ है. इस एक्ट के जरिये राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मुकदमेबाजी को लेकर मालकिना हक मामले में मुकदमे में छूट दी गयी थी. मथुरा-काशी समेत अन्य धार्मिक स्थलों के विवादों पर मुकदमा रोक दिया गया था. प्रयागराज में अखाड़ा परिषद की बैठक में साधु-संतों ने मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि और काशी विश्वनाथ मंदिर को लेकर चर्चा की थी. इसके बाद लामबंदी शुरू हो रही है.