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यूपी में गड्ढा मुक्त सड़क बनाने के लिए विभाग ने एक बार फिर शुरू किया अभियान, प्रोजेक्ट और बजट दोनों तैयार

लोक निर्माण विभाग ने बारिश और अन्य कारणों से क्षतिग्रस्त हुई सड़कों को गड्ढामुक्त करने के अभियान शुरू करने के साथ ही विशेष मरम्मत वाली सड़कों का काम भी शुरू किए जाने की तैयारी कर ली है.

Lucknow: उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग ने बारिश और अन्य कारणों से क्षतिग्रस्त हुई सड़कों को गड्ढामुक्त करने के अभियान शुरू करने के साथ ही विशेष मरम्मत वाली सड़कों का काम भी शुरू किए जाने की तैयारी कर ली है. जिलों से विशेष मरम्मत की जाने वाली सड़कों का ब्यौरा मुख्यालय आ गया है. जल्द ही इसके लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू की जाएगी.

विभागीय मंत्री जितिन प्रसाद द्वारा समीक्षा बैठक के दौरान सड़कों की मरम्मत का काम युद्धस्तर पर करने के निर्देश दिए जाने के बाद विभागीय अफसरों ने कार्यवाही शुरू कर दी है. सामान्य से कम बारिश होने के बाद भी प्रदेश में लोक निर्माण विभाग की करीब 50 हजार किमी सड़कें क्षतिग्रस्त हो गई हैं. अभी इस आंकड़े में थोड़ा बहुत बदलाव हो सकता है. विभाग ने सड़कों को गड्ढामुक्त करने का काम शुरू कर दिया है.

गड्ढामुक्ति के लिए 50 हजार किमी. सड़कें चिन्हित, 236 करोड़ रुपये जारी

सड़कों को गड्ढामुक्त करने के लिए दो विभागाध्यक्ष एके जैन ने किश्तों में 236 करोड़ रुपये जिलों को जारी कर दिए हैं. पीडब्ल्यूडी के विभागाध्यक्ष एके जैन के मुताबिक विभाग की 2.88 लाख किमी. लंबी सड़कों में से करीब 50 हजार किमी सड़कें बारिश से क्षतिग्रस्त हुई हैं. इन क्षतिग्रस्त सड़कों को गड्ढामुक्त अभियान में शामिल किया गया है. इंजीनियरों को गड्ढामुक्ति का काम तेजी से करने का आदेश दिया गया है, काम की शुरूआत हो गई है.

एक किमी. लंबी सड़क पर एक लाख रुपये होंगे खर्च

उन्होंने बताया है कि दो लेन की सड़क एक किमी. तक गड्ढामुक्त करने पर करीब एक लाख रुपये और एक लेन की सड़क को एक किमी तक गड्ढामुक्त करने में करीब 50 हजार रुपये खर्च होंगे. गड्ढामुक्ति के लिए टेंडर निकाले जा रहे हैं. जल्द से जल्द प्रदेश की सभी सड़कों को गड्ढामुक्त कर दिया जाएगा. उन्होंने बताया है कि प्रदेश में विशेष मरम्मत के योग्य सड़कों का ब्यौरा भी जिलों से मंगा लिया गया है. विशेष मरम्मत का काम भी जल्द शुरू किया जाएगा.

हापुड़ लाठीचार्ज और वकीलों की हड़ताल का हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान

हापुड़ में वकीलों पर पुलिस लाठीचार्ज को लेकर बार काउंसिल के आह्वान पर वकीलों की प्रदेशव्यापी हड़ताल के मुद्दे पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया. सोमवार साढ़े चार बजे शाम को बैठी अदालत ने अधिवक्ताओं के खिलाफ अभी तक दर्ज एफआईआर के तहत उत्पीड़नात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी. साथ ही सभी वकीलों से काम पर वापस लौटने का अनुरोध किया.

कोर्ट ने कहा कि बार एसोसिएशन की मांग राज्य सरकार ने मान ली है और पूर्व जिला जज हरिनाथ पांडेय की अध्यक्षता में एसआईटी गठित की है. कोर्ट ने बार एसोसिएशन के दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग यह कहते हुए अस्वीकार कर दी कि जब तक जांच रिपोर्ट नहीं आ जाती, किसी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाएगी. किंतु रिपोर्ट में जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी. अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने स्वतः कायम जनहित याचिका की सुनवाई कर रही इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर तथा न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी की खंडपीठ को बताया कि एक हफ्ते में प्रारंभिक जांच रिपोर्ट आ जाएगी.

हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक कुमार सिंह व महासचिव नितिन शर्मा ने कहा कि बार काउंसिल की मांग पर विचार किया जाए. हाईकोर्ट के रिटायर जज सहित बार काउंसिल के प्रतिनिधि को भी जांच कमेटी में रखा जाए. क्योंकि पुलिस की कमेटी से निष्पक्ष जांच की उम्मीद नहीं है. बार काउंसिल की तरफ से अधिवक्ता ने भी पक्ष रखा. बार एसोसिएशन अध्यक्ष का कहना था कि बार काउंसिल हमारी मातृ संस्था है. हम उसके प्रस्ताव का पालन कर रहे हैं. कहा, चार जिलों में वकीलों पर एफआईआर दर्ज की गई है.

कोर्ट का कहना था कि हमारा उद्देश्य निष्पक्ष जांच कराना है. किसी को भी परेशान न किया जाय. बिना जांच किसी पर कार्रवाई उचित नहीं है. कोर्ट ने बार काउंसिल द्वारा हड़ताल शब्द का इस्तेमाल करने पर आपत्ति की. कहा, यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है. कोर्ट ने यह भी कहा कि बेंच बार का हिस्सा है. वह सभी का हित देख रही है. हड़ताल से वादकारियों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है. समाधान निकाला जाए. वकील जांच में सहयोग करें.

पूर्व उपाध्यक्ष अश्वनी कुमार ओझा ने कहा कि 2004 में हाईकोर्ट में पुलिस बर्बरता को लेकर याचिका लंबित है. अगर उस पर कार्रवाई की गई होती तो यह घटना ही नहीं होती. पुलिस ने हड़ताली हाईकोर्ट वकीलों के खिलाफ बर्बरतापूर्ण कार्रवाई करते हुए दर्जनों वाहनों को आग के हवाले कर दिया था. सैकड़ों वाहनों में तोड़फोड़ की थी. पूर्व संयुक्त सचिव संतोष कुमार तिवारी, आद्या प्रसाद ने भी पक्ष रखा.

कोर्ट ने वकीलों से बार बार काम पर वापस लौटने का अनुरोध किया और साफ कहा कि मंगलवार से अदालतें समय पर बैठेगी. वकील आएं या न आएं, काम निबटाएगी. एसआईटी में अपर महाधिवक्ता ने अविनाश सक्सेना व आरबी सिंह को शामिल करने पर विचार करने का आश्वासन दिया. तमाम बार संगठनों का कल पांच सितंबर को हड़ताल पर रहने का प्रस्ताव पारित किया गया है. हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की कार्यकारिणी की इसी मुद्दे पर बैठक जारी है.

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