Muharram 2023: हर तरफ अंधेरा तारी था. आंखों में आंसू, नंगे पांव व स्याह लिबास पहने अज़ादार. इसी बीच अंधेरे में शब-ए-आशूर के अलम को देख कर सोगवारों में कोहराम बरपा हो गया. सिर पीटते अज़ादार इमाम हुसैन और कर्बला के शहीदों की याद में डूबे थे. फिज़ाओ में बस या हुसैन…या हुसैन की सदाओं के साथ सिसकियां ही सुनाई दे रहीं थीं. यह मंज़र उस वक्त तारी हुआ, जब चौक स्थित इमामबाड़ा नाज़िम साहब से देर रात अलम शब-ए-आशूर निकाला गया. मौलाना कल्बे जवाद ने मजलिस को ख़िताब किया हजरत इमाम हुसैन और उनके छह महीने के बेटे अली असगर सहित 70 अन्य को शहीद कर दिया गया. यज़ीदी फौज का ज़ुल्म यही खत्म नहीं हुआ. पैगम्बर मोहम्मद साहब के घराने की महिलाओं के खेमों में उन्होंने आग लगा दी, जिसमें बच्चे भी शहीद हुए. यह सुनते ही महिलाएं, बच्चे और पुरुष सब रोने लगे. इमामबाड़ा नाज़िम साहब से निकल कर शबे आशूर का जुलूस अकबरी गेट होते हुए नक्खास, टूड़ियागंज से मुड़कर गिरधारी सिंह इंटर कॉलेज, मंसूर नगर होते हुए शिया यतीमखाने, टापे वाली गली, मैदान एलएच खां होकर रुस्तम नगर स्थित दरगाह हजरत अब्बास पर पूरा समाप्त होता है.
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Muharram 2023: कर्बला के शहीदों की याद में हाय हुसैन की सदाओं से गूंज उठी फिजां
Muharram 2023: हर तरफ अंधेरा तारी था. आंखों में आंसू, नंगे पांव व स्याह लिबास पहने अज़ादार. इसी बीच अंधेरे में शब-ए-आशूर के अलम को देख कर सोगवारों में कोहराम बरप गया. सिर पीटते अज़ादार इमाम हुसैन और कर्बला के शहीदों की याद में डूबे थे.
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