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तीसरा मोर्चा NDA और I.N.D.I.A. से रहेगा दूर, अपनी राह अलग बनाने का फैसला

तीसरा मोर्चा बड़े दलों से पर्याप्त दूरी बनाकर रखेगा. न तो वह एनडीए (NDA)में शामिल होगा और न ही आईएनडीआईए (I.N.D.I.A.) से जुड़ेगा. तीसरा मोर्चा में छोटे दलों को एक साथ रखने की कवायद की जाएगी.

By Amit Yadav | September 4, 2023 1:28 PM
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लखनऊ: तीसरा मोर्चा जल्द ही सामने आ जाएगा. मोर्चा के विस्तार के लिये पांच सदस्यीय समन्वय समिति बनेगी. यह मोर्चा बड़े दलों से पर्याप्त दूरी बनाकर रखेगा. न तो वह एनडीए (NDA)में शामिल होगा और न ही आईएनडीआईए (I.N.D.I.A.) से जुड़ेगा. तीसरा मोर्चा में छोटे दलों को एक साथ रखने की कवायद की जाएगी. रविवार को रवींद्रालय में आयोजित तीसरा मोर्चा विमर्श में नेताओं ने यह तय किया है. राष्ट्रीय पिछड़ा वकर्ग अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अल्पसंख्यक महासंघ, वोटर्स पार्टी इंटरनेशनल ने तीसरा मोर्चा विमर्श का आयोजन किया था.

पूर्व सांसद डीपी यादव ने इस मौके पर कहा कि संविधान को खत्म करने की साजिश को रोकने के लिये तीसरा मोर्चा जरूरी है. डॉ. भीमराव अंबेडकर ने हर समाज को हक देने की बात संविधान में की थी. लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है.

विश्वात्मा ने कहा कि एनडीए (NDA) फासीवादी है और आईएनडीआईए (I.N.D.I.A.) जातिवादी. उन्होंने समाजवादी पार्टी पर जमकर हमला बोला और कहा कि समाजवादी पार्टी अगर समाजवादी है तो 8500 रुपये की बात पर पल्थी मारे क्यों बैठी है. मुलायम सिंह, लोहिया जी कहते थे कि पाकिस्तान, बांग्लादेश, भारत का महासंघ बनेगा. सपा इसके खिलाफ क्यों है? विश्वात्मा ने कहा कि सपा फोटो तो महापुरुषों लगाती है लेकिन उनके संदेश पर नहीं चलती है. लेकिन हम भेड़ नहीं है. हम भेड़ नहीं बनेंगे. जो भेड़ हैं वो उनके पीछे चलें. उनके पीछे चलकर कुएं में हम नहीं गिरेंगे. जो इंसान हैं वह सपा के भेड़चाल रास्ते पर नहीं जाएंगे.

बीजेपी को भी विश्वात्मा ने निशाने पर रखा और कहा कि बीजेपी एक चुनाव और जीत जाएगी तो अंबेडकर बाबा के संविधान को खूंटी पर टांगकर आरती उतारना पड़ेगा और अगरबत्ती जलाना होगा. दुनिया का कोई माई का लाल बाबा साहब के संविधान को बचा नहीं सकता है. वन नेशन वन इलेक्शन पर उन्होंने कहा कि यह संविधान तो नहीं रोकेगा. लेकिन शासन करने वाले की नियत से बहुत कुछ तय होता है कि संविधान का अर्थ क्या निकालोगे.

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उन्होंने कहा कि बीजेपी रावण है, उसका सिर काटते रहोगे, नया सिर निकलता रहेगा. क्योंकि उसकी नाभि में अमृत है, यदि बीजेपी रावण है तो उस अमृत का नाम क्या है इसे सोचना है. आज बीजेपी को जो लोग कहते हैं कि वह मुसलमानों के खिलाफ ध्रुवीकरण कर रही है. लेकिन बीजेपी के साथ यूपी में लोधी, कुर्मी, सैनी, कुशवाहा, मौर्या, पाल, कश्यप हैं.

उन्होंने कहा कि हम लोग बीजेपी के काम से दु:खी हैं. वह देश में एक तरह से जितने भ्रष्ट और घोटालेबाज हैं, उनको संरक्षण देने वाली पार्टी बन गयी है. संविधान को, संविधान की संस्थाओं सीबीआई, इलेक्शन कमीशन का ऐसे इस्तेमाल किया जा रहा है, जैसे पार्टी का विभाग हो. एजेंसियों को पार्टी की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है. यदि एजेंसिया पार्टी के कार्यकर्ता की तरह कार्य करेंगी तो भारत में अराजकता आ जाएगी.

विश्वात्मा ने कहा कि हम सोच रहे थे कि विपक्ष इकट्ठा होकर रास्ता निकालेगा. लेकिन आईएनडीआईए (I.N.D.I.A.) ने कोई ऐसी बात नहीं की. वह बता रहे हैं कि मोदी से खतरा है एक हो जाओ. जैसे बीजेपी कहती है मुसलमान से खतरा है हिंदुओं एक हो जाओ. लेकिन कोई यह नहीं पूछता है कि देश में बेरोजगारी है, उसका समाधान कैसे होगा?

उन्होंने कहा कि 2005 से 2011 तक गोयल कमेटी ने एक रिपोर्ट दिया कि देश में प्राकृतिक संसाधानों, मशीनों की इनकम लोगों के घरों तक पहुंचा दिया जाए. इससे घरों तक पैसा पहुंच जाएगा. औसत आमदनी के हिसाब से 8500 रुपये एक वोटर के घर पहुंचे तो सभी का भला हो जाएगा. इस गोयल सिफारिश पर आईएनडीआईए (I.N.D.I.A.) चुप्पी साधे है. गठबंधन गोयल कमेटी का जिक्र करना नहीं चाहती है. जबकि यह कमेटी कांग्रेस ने ही बनायी है. विश्वात्मा ने कहा कि I.N.D.I.A. गठबंधन भी ब्राह्मणवादी, पूंजीवादी, जातिवादी और सांप्रदायिक है. इसलिये हमने तीसरे मोर्चा का गठन किया गया है.

घोसी उपचुनाव को लेकर विश्वात्मा ने कहा कि यूपी में जो लोग भी बीजेपी के सामने खड़े हैं उनमें दम नहीं है कि वह एक भी चुनाव उसे हरा दें. बीजेपी पहलवान है और विपक्ष गुड्डा-गुड़िया. ये विपक्ष बीजेपी का मुकाबला कर नहीं सकता. बीजेपी फिर जीतेगी. विपक्ष में बीजेपी का मुकाबला करने वाला कोई लीडर नहीं है.

तीसरा मोर्चा का एजेंडा

  • गोयल कमेटी की सिफारिशें लागू करके देश के उन सभी लोगों को 8500 रुपया दिया जाए, जिनके पास रोजगार नहीं है और जो इनकम टैक्स नहीं देते हैं.

  • जनसंख्या के अनुपात में एससी, एसटी, ओबीसी, गरीबों को सत्ता, संपत्ति, शिक्षा में भागीदारी देना, जरूरी हो तो कानून बनाएं, जरूरी हो तो संविधान संशोधन हो.

  • भारत, पाकिस्तान, बंग्लादेश का जो महासंघ बनाने की लोहिया और दीनदयाल उपाध्यक्ष मांग करते थे, वह महासंघ बने बनाएंगे.

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