लखनऊ. विश्व में चर्चित अयोध्या के राम मंदिर में स्थापित की जाने वाली मूर्तियां आकार लेने लगी हैं. तीन मूर्तियों को तीन मूर्तिकार (कारीगर) अलग- अलग स्थानों पर आकार दे रहे हैं. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अधिकारियों ने उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बन रहे राम मंदिर में स्थापित की जाने वाली राम लला की मूर्ति के निर्माण को लेकर यह जानकारी साझा की है.ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि रामलला की मूर्ति का निर्माण कार्य शुरू हो गया है. कर्नाटक के डॉ. गणेश भट्ट, जयपुर के सत्य नारायण पाण्डेय और कर्नाटक के अरुण योगिराज तीन अलग-अलग पत्थरों पर अलग-अलग जगहों पर मूर्तियाँ बना रहे हैं.उम्मीद है कि निर्धारित समय के भीतर मूर्ति तैयार हो जाएंगी.
राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि “कर्नाटक के गणेश भट्ट और उनके शिष्य विपिन भदौरिया ने मूर्ति के लिए कर्नाटक से एक पत्थर का चयन किया है. जयपुर के सत्य नारायण पांडे और उनके बेटे ने मकराना से ‘ए-श्रेणी’ का पत्थर चुना है. वहीं तीसरे मूर्तिकार अरुण योगिराज भी कर्नाटक से हैं, उन्होंने भी मूर्ति के लिए कर्नाटक से एक अलग पत्थर मंगाया है. राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने पहले ही बता चुके हैं कि इस साल के दिसंबर तक प्रथम तल और उसकी सजावट का का काम पूरा हो जाएगा. 14 जनवरी सूर्य उत्तरायण में होंगे. मकर संक्रांति से प्राण प्रतिष्ठा की विधि शुरू होगी. राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद दूसरे और तीसरे तल के निर्माण का भी काम जारी रहेगा. रामलला के मंदिर के गर्भगृह तक पहुंचने के लिए कुल 34 सीढ़ियां होगी और वृद्धजनों के लिए लिफ्ट की भी व्यवस्था होगी.
राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि रामलला की मूर्ति का निर्माण निर्धारित समय के अनुसार पूरा किया जाएगा. मीडिया से बात करते हुए विश्वास से लबरेज होकर वह कहते हैं “ऐसा लगता है कि निर्धारित समय के भीतर मूर्ति का निर्माण हो जाएगा, अन्य मूर्तियों के बारे में अभी कोई विचार नहीं है. सात अन्य मंदिरों के निर्माण के बारे में चर्चा चल रही है जो परकोटा के बाहर बनने वाले हैं. मंगलवार को मंदिर निर्माण समिति की दो दिवसीय बैठक भी संपन्न हुई थी जिसमें पूर्व प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा सहित कई सदस्य मौजूद थे.
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि भगवान रामलला की मूर्ति को मंदिर के गर्भगृह में रखा जाएगा.” गर्भगृह की मूर्ति बाल राम की मूर्ति है, यहां देवता की उनके बाल रूप में पूजा की जाएगी” भगवान राम को दामाद के रूप में, कहीं राजा के रूप में, कहीं खानाबदोश (वनवासी) के रूप में पूजा जाता है, अयोध्या में उन्हें बाल रूप में, रामलला के रूप में पूजा जाएगा. उन्होंने कहा कि सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) की स्थापना, आग और आपातकालीन सेवा के लिए एक भूमिगत पानी का टैंकर और एक बिजली सब-स्टेशन भी बनाया जा रहा है.