लखनऊ: बारिश में भीगते हुए यातायात व्यवस्था संभाल रहे ट्रैफिककर्मी, 1300 कर्मियों के लिए सिर्फ 125 रेनकोट
यूपी के लखनऊ में बारिश के कारण ट्रैफिककर्मियों को रेनकोट, छाता, पानी की बोतलें और कैनोपी नहीं मिल रही है. इस साल सिर्फ 125 रेनकोट ट्रैफिककर्मियों को मुहैया हुए हैं, जो अधिकांश अफसरों और दफ्तर में काम करने वाले कर्मचारियों को दिए गए हैं.
Lucknow: यूपी की राजधानी में बीते तीन दिनों से हो रही बारिश में ज्यादातर चौराहों पर तैनात ट्रैफिककर्मी भीगते हुए ट्रैफिक संभाल रहे हैं. लखनऊ में ट्रैफिक संचालन के लिए अफसरों और कर्मचारियों को मिलाकर करीब 1300 ट्रैफिककर्मी हैं. इस साल इनमें किसी को छाता तक नहीं मिला है. यही हाल रेनकोट का है. इतने ट्रैफिककर्मियों के मुकाबले इस साल शासन की ओर से महज 125 रेन कोट दिए गए हैं. इनमें ज्यादातर रेनकोट अफसरों के करीबियों या दफ्तर में काम करने वाले कर्मचारियों को ही बांट दिए गए.
दरअसल, प्रदेश में ट्रैफिककर्मियों को हर साल मौसम की जरूरत के हिसाब से रेनकोट, छाता, पानी की बोतलें और कैनोपी जैसे जरूरी सामान मुहैया करवाए जाते हैं. इन्हें पेरिशेबल आइटम कहते हैं और इनकी मियाद एक साल मानी जाती है. अमूमन जेम पोर्टल के जरिए इनकी खरीद होती रही है.
जानकारी के मुताबिक, बारिश के दौरान ड्यूटी कर रहे ट्रैफिककर्मियों के लिए साल 2021 में महज 67 रेन कोट भेजे गए थे. इसके बाद साल 2022 में तो इनकी सप्लाई ही नहीं हुई. जानकारी के मुताबिक, ट्रैफिककर्मियों के लिए विभाग ने इस साल शासन को 700 रेन कोट की डिमांड भेजी थी. इसके मुकाबले ट्रैफिककर्मियों के लिए इस साल पांच अप्रैल को महज 125 रेनकोट मुहैया करवाए गए हैं.
इस बार कैनोपी-छातों की सप्लाई नहीं हुई
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बारिश से बचाव की खातिर इस साल ट्रैफिककर्मियों को एक भी कैनोपी नहीं मुहैया करवाया गया है. जानकारी के मुताबिक, इससे पहले साल 2022 और साल 2021 में शासन और निजी कंपनियों की ओर से 100-100 कैनोपी की सप्लाई हुई थी.
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बारिश में चौराहों पर ड्यूटी कर रहे ट्रैफिककर्मियों को छोटे छाते भी दिए जाते हैं. साल 2021 में शासन की ओर से 100 छाते दिए गए थे. इसी तरह साल 2022 में निजी कंपनियों और शासन की ओर से कुल 100 छाते भेजे गए. इसके उलट इस बार निजी कंपनियों ने भी ट्रैफिककर्मियों को छोटे छाते देने से हाथ खींच लिए.
पानी की बोतलें भी 3 साल से नहीं मिली
चिलचिलाती धूप और उमस भरी गर्मी में ड्यूटी के दौरान प्यास बुझाने के लिए ट्रैफिककर्मियों को पानी की बोतलें भी दी जाती हैं. विभागीय अनदेखी के कारण पिछले तीन साल से पानी की बोतलों की सप्लाई नहीं हुई है. जानकारी के मुताबिक, इस साल विभाग ने 300 बोतलों की डिमांड भेजी थी, लेकिन ट्रैफिककर्मियों के लिए एक भी बोतल नहीं भेजी गई.
दफ्तर में काम करने वालों को मिले रेनकोट
इस साल कम रेनकोट की सप्लाई के बावजूद चौराहों पर ड्यूटी करने वाले ट्रैफिककर्मियों को तरजीह नहीं मिली. चौराहों पर तैनात ट्रैफिककर्मियों के बजाय कई रेनकोट दफ्तरों में काम करने वाले कर्मचारियों को बांट दिए गए. इस साल डीसीपी ट्रैफिक कार्यालय में कार्यरत 12 कर्मचारियों को रेनकोट मुहैया करवाए गए. इसी तरह एसीपी ट्रैफिक कार्यालय और डालीगंज में ई-चालान शाखा के कर्मचारियों को भी रेनकोट दिए गए.