Uniform Civil Code: मौलाना सैफुल्लाह रहमानी बोले- मुसलमानों के लिए अस्वीकार्य, AIMPLB रोकने का करेगा प्रयास
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर कहा कि ये केवल मुसलमानों की समस्या नहीं है बल्कि सभी वर्ग इससे प्रभावित होंगे. मुसलमानों को धर्म का पालन करने की जो स्वतंत्रता संवैधानिक रूप से मिली है, वह बरकरार रहे, इसके लिये दुआ करें.
Lucknow: यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) को लेकर लोग दो समूहों में बंट गए हैं. एक पक्ष जहां इसे सही करार दे रहा है, वहीं दूसरे पक्ष की ओर से इस पर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं. अब ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड को देशहित में नहीं बताया है.
AIMPLB के अध्यक्ष ने कहा कि ये सिर्फ मुसलमानों के लिये नहीं बल्कि देश के तमाम धर्म के मानने वालों के लिये नुकसानदेह है. उन्होंने कहा कि एआईएमपीएलबी की पूरी कोशिश होगी कि समान नागरिक संहिता के लागू होने से रोकने के लिये हर स्तर पर लोकतांत्रिक तरीके से प्रयास किया जाए.
मौलाना रहमानी ने कहा कि समान नागरिक संहिता देश हित में भी नहीं है, क्योंकि भारत विभिन्न धर्मों और विभिन्न संस्कृतियों का एक गुलदस्ता है और यही विविधता इसकी सुंदरता है. अगर इस विविधता को समाप्त कर दिया गया और उन पर एक ही कानून लागू किया गया तो यह आशंका है कि राष्ट्रीय एकता प्रभावित होगी.
उन्होंने कहा कि एक मुसलमान जो नमाज, रोजा, हज और जकात के मामलों में शरीयत के नियमों का पालन करने के लिए पाबन्द है. उसी प्रकार हर मुसलमान के लिए सामाजिक मामले निकाह व तलाक, खुला, इद्दत, मीरास, विलायत आदि में भी शरीयत के नियमों का पालन करते रहना अनिवार्य है.
मौलाना रहमानी ने कहा कि सरकार के समक्ष समान नागरिक संहिता की प्रस्तावित रूपरेखा कई मामलों में शरियत के पारिवारिक मामलों से टकराती है. ऐसे में धार्मिक नजरिये से मुसलमानों के लिए यह बिल्कुल अस्वीकार्य है.
मौलाना ने कहा कि पर्सनल लॉ के संबंध में विभिन्न समूहों के दृष्टिकोण पर विचार करना जरूरी है और यही संविधान की भावना है. मौलाना ने कहा कि भारत के विधि आयोग ने कुछ साल पहले समान नागरिक संहिता के लिए एक प्रश्नावली जारी की थी. बोर्ड ने एक विस्तृत उत्तर भी दाखिल किया था. उन्होंने बताया कि बोर्ड के एक प्रतिनिधिमंडल ने आयोग के अध्यक्ष से मुलाकात कर अपने विचार व्यक्त किये थे, जिस पर अध्यक्ष ने बोर्ड की स्थिति की सराहना भी की थी.
उन्होंने कहा कि अब फिर से भारत के विधि आयोग ने 14 जून को अपनी वेबसाइट पर इससे संबंधित प्रश्नावली जारी की है और संगठनों और व्यक्तियों से 14 जुलाई तक अपने विचार दाखिल करने को कहा है.
मौलाना रहमानी ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड विभिन्न व्यक्तियों और विशेषज्ञ अधिवक्ताओं और न्यायविदों के परामर्श से व्यापक प्रारूप तैयार कर रहा है, जिसे विधि आयोग के सुपुर्द किया जाएगा.
मौलाना रहमानी ने मुस्लिम संगठनों, शिक्षक, डॉक्टर, वकील, सामाजिक कार्यकर्ताओं, धार्मिक नेताओं और विशेष रूप से महिलाओं और धार्मिक एवं राष्ट्रीय संगठनों से बोर्ड के निर्देश के बाद अधिक से अधिक संख्या में भारत के विधि आयोग की वेबसाइट पर समान नागरिक संहिता के विरोध में अपनी आपत्ति दर्ज करने की अपील की.