UP Air Pollution: ठंड की दस्तक के साथ ही देश-प्रदेश में वायु प्रदूषण के आंकड़े चिंता की लकीरों को गहराने लगे हैं. बदलते वायु प्रदूषण के आंकड़ों के तहत, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के कई शहरों की वायु गुणवत्ता निम्न स्तर पर आ गई है. किसानों के पराली जलाने को इसका मुख्य कारण बताया जा रहा है.
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विशेषज्ञों के मुताबिक इसका मुख्य कारण है किसानों का पराली जलाना. हर वर्ष खरीफ की फसल की बुआई के समय में किसानों द्वारा धान की कटाई के बाद उसके ठूंठ को आग के हवाले कर दिया जाता है. इससे उठने वाला धुंआ वायु प्रदूषण को बढ़ाता है. इसका सबसे ज्यादा असर उत्तर प्रदेश, पंजाब, दिल्ली और हरियाणा में देखने को मिलता है. हालांकि, प्रदेश सरकारों की ओर से इस संबंध में समय-समय पर कड़ाई बरतने के आदेश भी दिए जाते हैं. मगर मसले का कभी हल होता नहीं दिखता है.
एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI/एक्यूआई) की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश के मेरठ जनपद की वायु गुणवत्ता काफी खराब स्थिति में आ गई है. यहां एक्यूआई 500 के पार का दर्ज किया गया है, जो बेहद चिंता का विषय है. देश में सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में शुमार शहर उत्तर प्रदेश का ग्रेटर नोएडा है. वहीं, दिल्ली की हालत भी काफी नाजुक बताई जा रही है.
वायु गुणवत्ता सूचकांक में प्रदूषण का स्तर 0-50 तक होने पर न्यूनतम प्रभाव रहता है. एक्यूआई शून्य और 50 के बीच का अच्छा माना जाता है. 51-100 से बीच का एक्यूआई आंकड़ा संतोषजनक की श्रेणी में आता है. 101 से 200 के बीच का मध्यम श्रेणी में गिना जाता है. वहीं, 201 से 300 के बीच को खराब कहा जाता है. 301 से 400 के बीच का एक्यूआई आंकड़ा बहुत खराब माना जाता है और 401 से 500 के बीच का एक्यूआई को गंभीर यानी खतरनाक कहा जाता है.