UP AQI Today: यूपी के कई शहरों में जहरीली हवा का प्रकोप, बदायूं-पीलीभीत और शाहजहांपुर सबसे ज्यादा प्रदूषित
डॉक्टरों क मुताबिक अगर आपको वायु प्रदूषण से बचाव करना है, तो बदले हुए मौसम में मास्क का उपयोग करना बेहतर विकल्प है. इससे थोड़ी राहत मिल सकती है. इसके अलावा पर्याप्त पानी पीना चाहिए.वहीं जब प्रदूषण चरम पर हो तो बेवजह बाहर घूमने से बचना चाहिए. प्रदूषण से सबसे ज्यादा फेफड़ें प्रभावित हो रहे हैं.
UP Air Quality Index: उत्तर प्रदेश के कई शहरों में प्रदूषण में इजाफा होने के कारण लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. एनसीआर सहित अन्य जिलों में प्रदूषा के कारण सुबह लगातार धुंध की स्थिति बनी हुई है. बरेली मंडल के बदायूं, पीलीभीत, और शाहजहांपुर की आबोहवा बेहद खराब स्थिति में है. यह तीनों जिले शनिवार सुबह दुनिया के 100 प्रदूषित शहरों में शामिल हो चुके हैं.शुक्रवार रात बरेली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 209 था.हालांकि, शनिवार सुबह 146 तक आ गया है. बरेली के साथ ही बदायूं, पीलीभीत, और शाहजहांपुर की आबोहवा बेहद खराब स्थिति में पहुंच गई है.यहां के सांस के मरीजों का सांस लेना मुश्किल है. बरेली शहर के सिविल लाइंस का AQI बेहद खराब है.यहां का AQI 182, राजेंद्र नगर का AQI 95, और सुभाष नगर का AQI 162 है.यह तीनों ही AQI बेहद खराब हैं.दुनिया के 100 प्रदूषित शहरों में यूपी का गाजियाबाद 6वें स्थान पर है.यहां का AQI शनिवार सुबह 338 था.11 वें स्थान पर हापुड़ है.हापुड़ का AQI 316, 21वें स्थान पर नोएडा का AQI 300, 22वें स्थान पर मेरठ का 300, 25वें स्थान पर बुलंदशहर का 286, 45वें स्थान पर प्रयागराज का 246, 48वें स्थान पर फैजाबाद का 199, 78वें स्थान पर फैजाबाद का 241, 51 वें स्थान पर गोरखपुर का 233,58 वें स्थान पर अलीगढ़ का 217, 59वें स्थान फैजाबाद का 213, 64वें स्थान पर मुजफ्फरनगर का 201, 79, 80, और 82 वें स्थान पर बदायूं, पीलीभीत, और शाहजहांपुर का 178,85 वें स्थान पर कैराना का 173 AQI है. मौसम विभाग के अधिकारियों ने बताया कि मौसम में बदलाव के कारण बरेली, और वेस्ट यूपी की आबोहवा खराब हो रही है.
उत्तर प्रदेश के अधिकांश शहरों में बढ़ते प्रदूषण के मद्देनजर डॉक्टरों क मुताबिक अगर आपको वायु प्रदूषण से बचाव करना है, तो बदले हुए मौसम में मास्क का उपयोग करना बेहतर विकल्प है. इससे थोड़ी राहत मिल सकती है. इसके अलावा पर्याप्त पानी पीना चाहिए.वहीं जब प्रदूषण चरम पर हो तो बेवजह बाहर घूमने से बचना चाहिए. प्रदूषण से सबसे ज्यादा फेफड़ें प्रभावित हो रहे हैं, इसलिए सतर्कता बेहद जरूरी है. इन सब उपायों के बाद ही वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियों पर काबू पाया जा सकता है. इसके अलावा अगर घर के अंदर वायु प्रदूषण को रोकना है, तो आपको किचन के अंदर चिमनी और वाशरूम में एग्जास्ट फैन का इस्तमाल करना होगा, जिससे घर में पर्याप्त मात्रा में वेंटिलेशन होता रहे.
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जानें कितना होना चाहिए ऑक्सीजन लेवल
हर इंसान के लिए ऑक्सीजन जरूरी है. इसकी कमी से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगता है. सांस लेने वाली हवा का ऑक्सीजन स्तर 19.5 प्रतिशत ऑक्सीजन होना चाहिए.इसके नीचे ऑक्सीजन जाने से नुकसान होता है.
घर से निकलने पर जरूर लगाएं मास्क
AQI बढ़ने से बच्चों और बुजुर्गों की सेहत पर काफी असर पड़ रहा है. ऐसे में घरों से निकलने में एहतियात बरतने की जरूरत है. लोगों में स्वास्थ्य संबंधी समस्या हो सकती है. डॉक्टर एन-95 मास्क लगाकर घर से निकलने की सलाह दे रहे हैं. क्योंकि, बरेली में सांस के मरीजों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है.
यह होना चाहिए एक्यूआई
0 से 50 AQI है, तो यह बहुत अच्छी बात है. इससे सेहत पर कम असर होता है. 51-100 AQI भी ठीक है, लेकिन संवेदनशील लोगों को सांस की हल्की दिक्कत हो सकती है. 101 के बाद ठीक नहीं है. 101 से 200 AQI से फेफड़ा, दिल और अस्थमा मरीजों को सांस में दिक्कत होती है. 201-300 AQI काफी खराब है. लंबे समय तक ऐसे वातावरण में रहने पर किसी को भी सांस में दिक्कत होना तय है. 301-400 AQI बहुत खराब है. लंबे समय तक ऐसे वातावरण में रहने पर सांस की बीमारी का खतरा होता है. 401-500 AQI सबसे अधिक खतरनाक है. इंसान की सेहत पर सबसे अधिक खराब होती है.
आपकी सेहत को काफी नुकसानदायक बढ़ता AQI
इंसान की
सेहत के लिए AQI का बढ़ना काफी घातक है. वायु प्रदूषण का सबसे अधिक असर हमारे फेफड़ों पर होता है. दरअसल, प्रदूषित कणों से इंसान के फेफड़ों में जाने वाली नली को नुकसान पहुंचता है. जिसके चलते नली पतली होती चली जाती है और इसका असर फेफड़े और इसके आस-पास की मांसपेशियों पर पड़ता है. वायु प्रदूषण से स्वस्थ व्यक्तियों में भी अस्थमा जैसी बीमारियां घर कर सकती है. इसके अलावा निमोनिया, दमा और लंग कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियां भी वायु प्रदूषण से होती है. वायु प्रदूषण के कारण नेफ्रोपैथी नामक बीमारी भी घर कर सकती है.इसका सीधा संबंध किडनी से होता. इसके अलावा प्रदूषित वायु में पाए जाने वाले कार्बन से किडनी डैमेज का भी खतरा बन जाता है. स्वस्थ व्यक्तियों के लिए सबसे जरूरी ऑर्गन हार्ट होता है,और वायु प्रदूषण फेफड़ों और किडनी के अलावा दिल पर भी वार करता है. वायु प्रदूषण से दिल की गंभीर बीमारियां हो सकती हैं. ऐसे में वायु प्रदूषण में इजाफा के चलते धड़कनों का असंतुलित होना, हार्ट फेल होना और हाइपरटेंशन जैसी जानलेवा बीमारियां हो सकती हैं. इन समस्याओं के लक्षण शरीर पर दिखाई देने लग जाते हैं. प्रदूषित हवा का असर हमारे दिमाग पर भी पड़ता है. डॉक्टरों के मुताबिक उम्रदराज लोगों, और बुजुर्गों के मस्तिष्क पर प्रदूषित के कण हमला करते है. इससे उन्हें बोलने के लिए संघर्ष करना पड़ता है,और आसान गणित के सवालों को सुलझाने में भी कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. दूषित हवा और प्रदूषण गर्भवती महिलाओं को भी अपने निशाने पर लेता है. जहरीली सांस लेने का असर गर्भ पर भी होता है. इससे प्री-मेच्योर डिलीवरी का खतरा बन जाता है. इसके अलावा जन्म के समय बच्चे का वजन कम रह सकता है, जिससे कुपोषण जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती है. इंसान की त्वचा में रूखापन, जलन, रेडनेस और एक्ज़िमा जैसी तकलीफें आपको हो रही हैं, तो समझ जाए कि वायु प्रदूषण आपकी त्वचा पर वार कर रहा है. प्रदूषित हवा में मौजूद कणों की वजह से त्वचा काफी प्रभावित हो सकती है.वायु प्रदूषण, सेकेंड हैंड स्मोक, रेडान, अल्ट्रावायलेट रेडिएशन, एस्बेस्टस के अलावा, कुछ केमिकल समेत अन्य प्रदूषक तत्वों के संपर्क में आने से कैंसर का भी खतरा हो सकता है. यह कैंसर जानलेवा साहित हो सकता है.
रिपोर्ट- मुहम्मद साजिद, बरेली