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यूपी विधानसभा शीतकालीन सत्र: विपक्ष यूं ही नहीं कर रहा नई ​नियमावली का विरोध, हंगामे से लेकर हंसने पर लगी रोक

उत्तर प्रदेश विधानसभा की नई नियमावली में सदन में विधायकों का आचरण तय किया गया है. विधायक सदन में किसी दस्तावेज को फाड़ नहीं सकेंगे. भाषण करते समय दीर्घा में किसी अजनबी की ओर संकेत नहीं करेंगे. ना ही उसकी प्रशंसा कर सकेंगे. विधायक अध्यक्ष की ओर पीठ करके न तो खड़े हो सकेंगे और ना ही बैठ सकेंगे.

UP Assembly New Rulebook 2023: उत्तर प्रदेश विधानसभा की नई नियमावली विपक्ष को रास नहीं आ रही है. उसने आरोप लगाया कि इसके जरिए सरकार विपक्ष की आवाज को दबाना चाहती है. उसकी मंशा है कि विपक्ष जनता से जुड़े मुद्दे नहीं उठाए. इसलिए नई नियमावली में कई चीजों को प्रतिबंधित कर दिया गया है. इसलिए यूपी विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के पहले दिन नियमावली को लेकर सपा ने अलग तरह से विरोध दर्ज कराया. पार्टी विधायक सदन में काले कपड़े पहनकर पहुंचे, वहीं उन्होंने नियमावली के मुद्दे पर सरकार को घरने का प्रयास किया. दरअसल विधानमंडल के शीतकालीन सत्र से विधानसभा की कार्यवाही 65 वर्षों बाद बनायी गई नई नियमावली के तहत संचालित होने लगी है. नए नियमों के लागू होने से विधानसभा सदस्यों के सदन में मोबाइल फोन लेकर ले जाने पर प्रतिबंध लागू हो गया है. इसके साथ ही विपक्षी सदस्य विरोध के नाम पर सदन में झंडे, प्रतीक या कोई अन्य प्रदर्श वस्तु को प्रदर्शित नहीं कर सकेंगे.

दस्तावेज फाड़ने से लेकर तेज बोलने-हंसने पर रोक

उत्तर प्रदेश विधानसभा की नई नियमावली के मुताबिक सदस्य सदन में न शस्त्र ला सकेंगे न ही प्रदर्शित कर सकेंगे. इसके साथ ही ऐसे किसी भी साहित्य, प्रश्नावली, पुस्तिका, प्रेस टिप्पणी, पर्चों का वितरण नहीं कर सकेंगे जो सदन से संबंधित नहीं हो. धूम्रपान नहीं कर सकेंगे. लॉबी में इतनी तेज आवाज में ना तो बात करेंगे न ही हंसेंगे, जो सदन में सुनाई दे. इस तरह नई नियमावली में कई सख्त बिंदु शामिल किए गए हैं. इसी तरह नियमावली में सदन में विधायकों के आचरण और व्यवहार तय किए गए हैं. प्रावधान है कि विधायक सदन में किसी दस्तावेज को फाड़ नहीं सकेंगे. भाषण करते समय दीर्घा में किसी अजनबी की ओर संकेत नहीं करेंगे. न ही उसकी प्रशंसा कर सकेंगे. विधायक अध्यक्ष की ओर पीठ करके न तो खड़े हो सकेंगे और न ही बैठ सकेंगे.

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सात दिन के नोटिस पर बुलाया जा सकता है विधानसभा सत्र

इसके साथ ही विधानसभा का सत्र अब सात दिन के नोटिस पर आहूत हो सकेगा. वर्तमान में 15 दिन के नोटिस पर यह व्यवस्था है. शासन की ओर से विधानसभा सचिवालय को सत्र आहूत करने की तिथि से सात दिन पहले सूचना देनी होगी. विधानसभा के प्रमुख सचिव की ओर से प्रत्येक दिन के कार्य की सूची बनाकर उसकी एक प्रति विधायकों को ऑनलाइन या ऑफलाइन उपलब्ध करानी होगी. विधानसभा अध्यक्ष, नेता सदन या सदन की अनुमति से कार्य के क्रम में परिवर्तन कर सकेंगे. विधायकों को ईमेल व मोबाइल संदेश के जरिये भी सत्र आहूत होने की सूचना दी जाएगी.

सरकारी अफसरों का जिक्र करने पर सदन में रोक

इसके साथ ही विधायक उच्च प्राधिकार प्राप्त व्यक्तियों के आचरण पर तब तक आरोप नहीं लगा सकेंगे जब तक कि चर्चा उचित रूप से रखे गए मूल प्रस्ताव पर आधारित नहीं हो. सदस्य अपने भाषण के अधिकार का उपयोग सभा के कार्य में बाधा डालने के लिए नहीं कर सकेंगे. सरकारी अफसरों के नाम को लेकर कोई उल्लेख नहीं करेंगे. वाद-विवाद पर प्रभाव डालने के उद्देश्य से राज्य के नाम का उपयोग नहीं करेंगे. अध्यक्ष या पीठ की अनुमति के बिना लिखित भाषण नहीं पढ़ सकेंगे. किसी भी दीर्घा में बैठे अजनबी के लिए निर्देश नहीं दे सकेंगे.

तारांकित प्रश्न पर दो पूरक सवाल ही पूछे जा सकेंगे

विधानसभा में अब किसी भी तारांकित प्रश्न पर दो पूरक प्रश्न ही पूछे जा सकते हैं. पूरक प्रश्न पूछने में पहली प्राथमिकता मूल प्रश्नकर्ता विधायक को मिलेगी. यदि प्रश्नकर्ता एक से अधिक हैं तो दूसरी प्राथमिकता दूसरे प्रश्नकर्ता को मिलेगी. विधायक को अपने प्रश्न सत्र शुरू होने से तीन दिन पहले लिखित या ऑनलाइन विधानसभा के प्रमुख सचिव के समक्ष देना होगा. सचिव को उन पर 24 घंटे के भीतर अध्यक्ष की अनुमति प्राप्त करनी होगी. अतारांकित प्रश्नों के उत्तर उसी दिन सदन के पटल पर रखे जाएंगे. जनता हित से जुड़े विषयों पर सदन का ध्यान आकर्षित करने के लिए सदस्यों को सदन की कार्यवाही शुरू होने से एक घंटे पहले ऑनलाइन या ऑफलाइन सूचना दो प्रति में विधानसभा के प्रमुख सचिव को देनी होगी. ध्यान आकर्षण से संबंधित सूचना शासन की ओर से अधिकतम 30 दिन में संबंधित सदस्य या विधानसभा सचिवालय में पेश करनी होगी.

विधानसभा के सवालों का जवाब नहीं देने पर जुर्माना राशि में इजाफा

नियमावली में विशेषाधिकार हनन के मामलों में भर्त्सना व जुर्माने का अधिकार विधानसभा अध्यक्ष को है. विधानसभा के प्रश्नों का जवाब नहीं देने या आदेश का उल्लंघन करने पर अधिकारियों, कर्मचारियों या अन्य व्यक्ति की अध्यक्ष भर्त्सना कर सकेंगे या उन पर जुर्माना भी लगा सकेंगे. किसी अधिकारी या कर्मचारी की भर्त्सना करने या उन पर जुर्माना लगाने से उनकी वेतनवृद्धि और पदोन्नति प्रभावित होगी. विशेषाधिकार भंग या अवमानना का आरोप निराधार पाये जाने पर शिकायत करने वाले पक्ष को आरोपित पक्ष को खर्च के रूप में पूर्व में निर्धारित अधिकतम राशि 500 रुपए के स्थान पर 50,000 रुपए देना होगा. विधानसभा में नेशनल ई-विधान लागू होने के कारण नई नियमावली में सदस्यों की वर्चुअल उपस्थिति, सूचनाओं व प्रस्तावों को ऑनलाइन उपलब्ध कराने और टैबलेट पर विधानसभा की कार्यसूची को आनलाइन प्रदर्शित करने के लिए ई-बुक के लिए भी प्रविधान किये गए हैं.

अभी तक 1958 की नियमावली के तहत चलती थी सदन की कार्यवाही

नई नियमावली से पहले तक विधानसभा की कार्यवाही उत्तर प्रदेश विधानसभा की प्रक्रिया तथा कार्य-संचालन नियमावली, 1958 के तहत संचालित होती थी. कहा गया है कि बीते 65 वर्षों के दौरान पुरानी नियमावली के कई बिंदु अप्रासंगिक होने और कई अन्य में बदलाव की जरूरत महसूस होने के कारण नई नियमावली बनाई गई है.

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