लखनऊ. उत्तर प्रदेश के गांव और शहर के गरीब बच्चे भी हाइटेक तरीके से पढ़ाई करेंगे. सरकार ने बजट में ग्राम पंचायत और वार्ड स्तर पर डिजिटल लाइब्रेरी खोलने जा रही है. वित्तमंत्री सुरेश खन्ना ने बुधवार को बजट में डिजिटल लाइब्रेरी की स्थापना के लिये 300 करोड़ की नई योजना की घोषणा की है. सरकार की मंशा उन बच्चों को हाइटेक करना है जो मोबाइल या लैपटॉप आदि संसाधन ले नहीं सकते हैं. गरीब अपनी दूसरी बेटी को भी प्राइवेट स्कूलों में अच्छी शिक्षा दिला सकें इस पर पांच करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे. स्ववित्त पोषित विद्यालयों में निर्धारित आय सीमा से कम आमदनी वाले पेरेंट्स की दूसरी बच्ची की फीस प्रतिपूर्ति के लिये पांच करोड़ की योजना प्रस्तावित है.
सीबीएसई और मिशनरी स्कूलों की तरह माध्यमिक शिक्षा परिषद के स्कूल भी नजर आयें इसके लिये सरकार ने उनको आमदनी बढ़ाने की थोड़ी आजादी दी है. माध्यमिक शिक्षा परिषद से मान्यता प्राप्त अशासकीय सहायता प्राप्त एवं स्ववित्त पोषित विद्यालय अपनी बिल्डिंग को बेहतर कर सकें इसके लिये वह अपनी प्रापर्टी का कामर्शियल यूज कर सकेंगे. गर्वनमेंट इंटर कॉलेज (जीआइसी) के विकास के लिसे प्रोजेक्ट अलंकार योजना के तहत 500 करोड़ खर्च किये जायेंगे.
उत्तर प्रदेश में माध्यमिक शिक्षा की बात की जाये तो 27892 माध्यमिक विद्यालय हैं. इसमें 2357 राजकीय विद्यालय हैं. 4512 विद्यालय सरकार की सहायता प्राप्त से संचालित हो रहे हैं. 21,023 स्कूल वित्तविहीन हैं.इसके अलावा संस्कृत शिक्षा के लिये 1240 विद्यालय संचालित हैं. कुल दो राजकीय, 971 सहायता प्राप्त और 267 वित्तविहीन हैं.
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संस्कृत विद्यालयों की अपनी प्रॉपटी हो इसके लिये अलग से 100 करोड़ के बजट का प्रावधान किया गया है. संस्कृत की बढ़ाई करने को बढ़ावा देने के लिये माध्यमिक विद्यालयों में संस्कृत पढ़ने वाले छात्रों को छात्रवृत्ति दी जायेगी. इस पर 10 करोड़ रुपये खर्च होंगे. पीएम (प्रधानमंत्री स्कूल फॉर राइजिंग इण्डिया) योजना भी यूपी में लांच कर दी गयी है. केन्द्र सरकार की सहायता से 500 करोड़ खर्च होंगे. समग्र शिक्षा अभियान के तहत मिड डे मील आदि विभिन्न कार्यक्रमों के संचालन के लिये 1003 करोड़ खर्च किये जायेंगे.