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UP By Election: यूपी उपचुनाव बसपा सुप्रीमो मायावती के लिए बड़ा झटका, एक-एक वोट को तरसे BSP उम्मीदवार

UP By Election: यूपी उपचुनाव में मायावती कहीं भी धरातल पर नजर नहीं आईं. वह केवल सोशल मीडिया के जरिए अपनी बात कहती रहीं और इसका खामियाजा उनके प्रत्याशियों को उठाना पड़ रहा है. यहां देखें नौ विधानसभा पर बसपा का प्रदर्शन...

UP By Election: उत्तर प्रदेश में उपचुनाव का रिजल्ट आने के बाद जो तस्वीर सामने आई है, उसमें मुकाबला सत्तारुढ़ भाजपा और प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के बीच रहा. मतगणना के दौरान भी यही स्थिति देखने को मिली. भाजपा और उसके सहयोगी दल रालोद ने सात और समाजवादी पार्टी ने दो सीटों पर जीत दर्ज की. वहीं पहली बार उपचुनाव मैदान में उतरने वाली बहुजन समाज पार्टी लड़ाई से पूरी तरह बाहर रही. सभी सीटों पर उसके प्रत्याशी अपनी जमानत बचाने तक को तरस गए, इसे पार्टी सुप्रीमो मायावती के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है.

भाजपा और सपा के बीच उपचुनाव से पहले शुरू हो गई सियासी जंग

यूपी उपचुनाव की शुरुआत से पहले ही भाजपा और सपा की ओर से एक दूसरे पर जमकर कटाक्ष करने की प्रक्रिया शुरू हो गयी. यूपी विधान सभा की नौ सीटों पर हो रहे चुनाव को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव अपनी प्रतिष्ठा से जोड़कर देख रहे थे. वहीं राजनीतिक सलाहकार यूपी उपचुनाव को योगी की ‘नाक’ बनाम सपा की ‘साख’ की लड़ाई मान रहे थे. लेकिन इसके इतर मायावती कहीं भी धरातल पर नजर नहीं आईं. जिसका खामियाजा उनके प्रत्याशियों को उठाना पड़ा. नतीजा चुनाव दर चुनाव यूपी में बसपा की नींव दरकती जा रही है. मायावती को उम्मीद थी कि भाजपा सरकार से नाराजगी और सपा के गुंडाराज के खिलाफ जनता उसके प्रत्याशियों पर विश्वास जताएगी. लेकिन ये सोच महज भ्रम ही साबित हुई.

नौ विधानसभा सीटों पर बसपा उम्मीदवारों का प्रदर्शन

सीसामऊ विधानसभा से वीरेंद्र कुमार को महज 1410 वोट मिले हैं.
कटेहरी विधानसभा से अमित वर्मा को 39393 वोट मिले हैं.
फूलपुर विधानसभा से जितेंद्र कुमार सिंह को 20342 वोट मिले हैं.
मझवां विधानसभा से दीपक तिवारी को 34997 वोट मिले हैं.
मीरापुर विधानसभा से बसपा प्रत्याशी शाहनजर को 3248 वोट मिले हैं.
कुंदरकी विधानसभा में बसपा प्रत्याशी रफतउल्ला को महज 955 वोट मिले हैं.
करहल विधानसभा से अविनाश कुमार शाक्य को मात्र 8409 मत मिले हैं.
खैर विधानसभा से पहल सिंह को 13365 मत मिले हैं.
गाजियाबाद विधानसभा से बसपा प्रत्याशी परमानंद गर्ग को 10736 वोट मिले हैं. (हालांकि अभी चुनाव आयोग की तरफ से अधिकारिक डाटा जारी नहीं किया गया है, इसलिए आकड़ा ऊपर नीचे हो सकता है)

दलित मतदाताओं का विश्वास जीतने में बसपा नाकाम

यूपी उपचुनाव के इन आंकड़ों से साफ है कि कभी प्रदेश में राज करने वाली बसपा न केवल सियासी दौड़ में पीछे रह गई, बल्कि वह अपने पारंपरिक वोटरों को भी संभालने में असफल रही है. बसपा के उपचुनाव में उतरने की वजह उसके पारंपरिक मतदाताओं का वोट दूसरे दलों में शिफ्ट होने से रोकना भी था. लेकिन, पार्टी अपनी रणनीति में सफल नहीं हुई. दलित मतदाताओं ने इस बार अपना भरोसा बसपा उम्मीदवारों पर नहीं जताया.

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2019 के बाद लगातार गिर रहा बसपा का ग्राफ

बसपा के सियासी ग्राफ पर नजर डालें तो 2019 लोकसभा चुनाव में सपा के साथ गठबंधन करके पार्टी 10 सीटें जीतने में सफल हुई थी. इस चुनाव में सपा को झटका लगा था, इसलिए इसके बाद सपा ने बसपा से दूरी बना ली और बसपा का प्रदर्शन चुनाव दर चुनाव खराब होता चला गया. वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी महज एक सीट पर सिमट गई, इसके बाद विधानसभा 2024 में पार्टी ने एक बार फिर सभी 80 सीटों पर अपना प्रत्याशी उतारीं, लेकिन, वह अपना खाता तक नहीं खोल सकी. वहीं उपचुनाव में भी पार्टी उम्मीदवार एक एक वोट के लिए तरस गए.

कमजोर रणनीति और जनता से दूरी बन रही हार की वजह

बसपा की कमजोर रणनीति से पारंपरिक वोटर उससे छिटकते जा रहे हैं. बसपा के परंपरागत वोटरों ने उससे दूरी बना ली है. जाटव बिरादरी को छोड़ ​दें, तो अन्य दलित वोटर पहले ही पार्टी से किनारा कर चुके हैं. ऐसे में युवा मतदाताओं के बीच भी बसपा को लेकर कोई उत्साह नहीं है. सियासी विश्लेषकों के अनुसार, बसपा लगातार खराब प्रदर्शन के बावजूद अपनी रणनीति में फेरबदल नहीं कर रही है.

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