UP Cabinet Expansion: नवरात्रि में ओपी राजभर-दारा सिंह चौहान को मिलेगी अच्छी खबर! मंत्रिमंडल विस्तार की तैयारी

दारा सिंह चौहान मतदाताओं के सामने अपनी विश्वसनीयता साबित नहीं कर सके. इसके बावजूद उन्होंने प्रयास नहीं छोड़े और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकातों में अपने पक्ष में निर्णय कराने में सफल रहे.कहा जा रहा कि उन्हें दिल्ली से योगी मंत्रिमंडल विस्तार में हार के बावजूद जगह दिए जाने की बात पक्की हो गई है.

By Sanjay Singh | October 10, 2023 7:17 AM
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UP Cabinet Expansion: उत्तर प्रदेश की राजनीति में जल्द बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है. योगी मंत्रिमंडल के विस्तार की एक बार फिर अटकलें काफी तेज हो गई हैं. कहा जा रहा है कि इस बार नवरात्रि में योगी सरकार का कैबिनेट विस्तार तय है. इसके लिए पूरी तैयारी हो गई है और भाजपा के शीष नेतृत्व ने भी इस पर अपनी मुहर लगा दी है. पितृपक्ष के बाद नवरात्रि के शुभ दिनों में कैबिनेट विस्तार किया जाएगा. हालांकि ये विस्तार बहुत छोटा होगा. योगी मंत्रिमंडल के विस्तार की खबरें पहली भी कई बार सुर्खियों में रही हैं, इसके लिए संभावित तारीखें तक कई बार तय कर दी गई हैं, लेकिन ये सिर्फ अटकलें साबित हुई. हालांकि इस बार लोकसभा चुनाव 204 के मद्देनजर मंत्रिमंडल विस्तार तय माना जा रहा है. कहा जा रहा है कि नवरात्रि में योगी मंत्रिमंडल में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर को मंत्री बनाया जाएगा. उनके साथ कुछ समय पहले सपा छोड़कर भाजपा में शामिल हुए दारा सिंह चौहान को भी मंत्री बनाए जाने की अटकलें हैं.


हार के बाद दिल्ली की परिक्रमा लगाते रहे दारा सिंह चौहान

दारा सिंह चौहान मऊ जनपद के घोसी उपचुनाव में अपनी ही सीट पर सपा प्रत्याशी सुधाकर सिंह से हार चुके हैं. ये हार उनके लिए बड़ा राजनीतिक झटका कही जा रही थी, क्योंकि कहा जा रहा है कि पूरी तरह से भाजपाई विधायक होने के बाद वह मंत्रिमंडल में शामिल होंगे. इसी वजह से उन्होंने अमित शाह से मुलाकात के बाद विधायक रहते घोसी विधानसभा सीट से इस्तीफा दिया था. हालांकि उपचुनाव के नतीजों से उन्हें करारा झटका लगा.

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भाजपा के ऐढ़ी चोटी का जोर लगाने के बावजूद दारा सिंह चौहान मतदाताओं के सामने अपनी विश्वसनीयता साबित नहीं कर सके. इसके बावजूद उन्होंने प्रयास नहीं छोड़े और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकातों में अपने पक्ष में निर्णय कराने में सफल रहे. कहा जा रहा कि उन्हें दिल्ली से योगी मंत्रिमंडल विस्तार में हार के बावजूद जगह दिए जाने की बात पक्की हो गई है. इसके लिए विधान परिषद का सहारा लिया जा सकता है. डॉ. दिनेश शर्मा को राज्यसभा भेजे जाने के बाद उनके इस्तीफे से रिक्त विधान परिषद सीट पर दारा सिंह चौहान को उम्मीदवार बनाया जा सकता है.

कुछ मंत्रियों को बाहर करने की तैयारी

इस बीच सियासी गलियारों में यह भी चर्चा है कि योगी मंत्रिमंडल से कुछ लोगों को बाहर किया जा सकता है. कहा जा रहा है कि कुछ मंत्रियों की कार्यशैली से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ संतुष्ट नहीं हैं. ऐसे में नए चेहरों को सरकार में मौका दिया जा सकता है, जिससे उनके अच्छे कार्यों की बदौलत सरकार और पार्टी दोनों को फायदा मिले. मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा के बीच पार्टी के कई नेता दिल्ली में शीर्ष नेतृत्व से मिलकर अपने पक्ष में समीकरण बनाने में लगे हैं. हालांकि इस बात की संभावनाएं कम ही हैं कि मंत्रिमंडल में कई लोगों को मौका मिल सकता है. फिर भी नेता अपनी ओर से कोशिश करने में जुटे हुए हैं. कहा जा रहा है कि नवरात्रि में होने वाले मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने अपनी हरी झंडी दे दी है.

ओम प्रकाश राजभर दूसरी बार बनेंगे मंत्री

इस संभावित मंत्रिमंडल विस्तार में ओम प्रकाश राजभर को जगह दिए जाने पर वह योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल में भी मंत्री बन जाएंगे. इससे पहले वह योगी सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्री रह चुके थे. हालांकि बाद में उन्होंने एनडीए से किनारा करते हुए समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर लिया था. विधानसभा चुनाव में प्रयोग सफल नहीं होने के बाद से ही ओम प्रकाश राजभर अखिलेश यादव पर हमलावर बने हुए थे. बाद में अमित शाह से मुलाकत के बाद वह दोबारा एनडीए में शामिल हो गए. वह अपने और दारा सिंह चौहान के मंत्री बनाए जाने को लेकर कई बार बयान दे चुके हैं.

बिहार की जाति जनगणना का योगी कैबिनेट में दिखेगा असर

कहा जा रहा कि दारा सिंह चौहान की हार के बावजूद पार्टी नेतृत्व उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल करना चाहता है, जिससे लोकसभा चुनाव के सियासी समीकरण साधे जा सकें. दरअसल भाजपा नेतृत्व राजभर और नोनिया मतदाताओं को साधने की पुरजोर कोशिश कर रहा है. इसलिए हार के बावजूद वह दारा सिंह को मंत्री बनाए जाने के पक्ष में है. खासतौर से बिहार में जाति आधारित गणना के नतीजे सार्वजनिक किए जाने के बाद यह मुद्दा देश और प्रदेश में भी गरमा गया है. ऐसे में पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों के संख्या को देखते हुए भाजपा भी इन्हें साधने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखना चाहती है. हालांकि पार्टी के कुछ लोगों का कहना है हार के बावजूद दारा सिंह चौहान को मंत्री बनाए जाने से कार्यकर्ताओं में अच्छा संदेश नहीं जाएगा. जिस तरह से घोसी की जनता ने दारा सिंह चौहान को करारी शिकस्त दी है, उससे साफ संदेश है कि उनका अपने सियासी फायदे के लिए दल बदल करना जनता को रास नहीं आया. ऐसे में दारा सिंह चौहान के मंत्री बनाए जाने से पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है.

कई सांसदों का कटेगा टिकट, योगी सरकार के मंत्रियों को मिलेगा मौका

इस बीच प्रदेश सरकार के कई मंत्री और विधायक लोकसभा चुनाव की टिकट की दौड़ में बताये जा रहे हैं. राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक लोकसभा चुनाव 2024 में वर्तमान के कई सांसदों का टिकट कटना तय माना जा रहा है. पार्टी के आंतरिक सर्वे में इनकी इनका रिपोर्ट कार्ड अच्छा नहीं माना गया है. इसके अलावा मेनका गांधी और वरुण गांधी को भी टिकट नहीं दिए जाने की चर्चा है. वरुण गांधी जिस तरह से भाजप सरकार के खिलाफ हमलावर बने हुए हैं, उससे तय है कि पार्टी उन्हें इस बार टिकट नहीं देगी. वरुण गांधी के बयानों से भी इस तरह की अटकलों को हवा मिली है. ऐसे में जिन सीटों पर भाजपा सांसदों का रिपोर्ट कार्ड नहीं आया है, वहां पार्टी को नए चेहरों की तलाश है.

इसके लिए कई मंत्री और विधायकों ने भी अपनी दावेदारी पेश की है. माना जा रहा है कि यह लोग मौजूदा सांसदों के सामने चुनौती पेश कर सकते हैं. इनमें लोक निर्माण विभाग के मंत्री जितेंद्र प्रसाद को भाजपा इस बार पीलीभीत से सियासी मैदान में उतर सकती है. इसके अलावा समाज कल्याण विभाग के राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार असीम अरुण के को भी इटावा लोकसभा सीट से उतारे जाने की चर्चा है. इसी तरह पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह को फिरोजाबाद से ​लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाए जाने की अटकलें लगाई जा रही हैं. वहीं मथुरा सीट पर भी एक विधायक को टिकट दिए जाने की चर्चा है. अगर ऐसा होता है कि तो ये पार्टी हाईकमान का बड़ा फैसला होगा. वर्तमान सांसद हेमामालिनी कह चुकी हैं कि वह मथुरा के अलावा कहीं और से चुनाव नहीं लड़ेंगी.

खास बात है जिस तरह से मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जो रणनीति अपनाई है और कई सांसदों को मैदान में उतारा है और कई चर्चित चेहरों के टिकट काटे हैं, उससे तय है कि उत्तर प्रदेश में भी पार्टी इस तरह का फैसला कर सकती है. ऐसे में कई सांसदों की धड़कनें अभी से तेज हैं. कहा जा रहा है कि कुछ नेता टिकट नहीं मिलने पर दूसरे दलों में संभावना तलाश सकते हैं.

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