यूपी में श्रमिकों की आर्थिक-सामाजिक सुरक्षा के लिए आयोग के गठन का प्रस्ताव मंजूर
उत्तर प्रदेश सरकार ने श्रमिकों की आर्थिक एवं सामाजिक सुरक्षा मजबूत करने के उद्देश्य से 'उत्तर प्रदेश कामगार और श्रमिक (सेवायोजन एवं रोजगार) आयोग' के गठन का प्रस्ताव मंगलवार को मंजूर कर लिया. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में यह महत्वपूर्ण फैसला किया गया.
लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार ने श्रमिकों की आर्थिक एवं सामाजिक सुरक्षा मजबूत करने के उद्देश्य से ‘उत्तर प्रदेश कामगार और श्रमिक (सेवायोजन एवं रोजगार) आयोग’ के गठन का प्रस्ताव मंगलवार को मंजूर कर लिया. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में यह महत्वपूर्ण फैसला किया गया.
बैठक के बाद राज्य सरकार के प्रवक्ता एवं मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि इस फैसले से प्रदेश के अंदर ही श्रमिकों एवं कामगारों का कौशल विकास कर रोजगार के सुलभ अवसर उपलब्ध होंगे, वहीं प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी गति मिलेगी. कामगारों एवं श्रमिकों के सामाजिक एवं आर्थिक सुरक्षा के साथ उनके सर्वांगीण विकास में इस आयोग की महत्वपूर्ण भूमिका होगी.
सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश कामगार और श्रमिक (सेवायोजन एवं रोजगार) आयोग का मकसद निजी और गैरसरकारी क्षेत्र में स्थानीय स्तर पर कामगारों को उनके हुनर के अनुसार अधिकाधिक रोजगार मुहैया कराना और रोजगार के अवसर बढ़ाना है. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन की वजह से तमाम गतिविधियां ठप हो गयीं. इसका सबसे अधिक असर कामगारों पर पड़ा. सर्वाधिक आबादी होने के नाते इनमें सर्वाधिक संख्या उत्तर प्रदेश के श्रमिकों की थी. यह प्रदेश के लिए सबसे बड़ी चुनौती भी थी.
मुख्यमंत्री आदित्यनाथ की पहल पर इस वर्ग के तात्कालिक हित के लिए कई कदम (1000 रुपये का भरण-पोषण भत्ता, राशन किट, मनरेगा के तहत अधिकाधिक श्रम दिवसों का सृजन और दक्षता के अनुसार औद्योगिक इकाइयों में समायोजन आदि) उठाये गये. सिंह ने बताया कि श्रम एवं सेवायोजन आयोग गठित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा है कि प्रभारी मंत्री और विधायक को जिला अधिकारी आयोग से संबंधित हर गतिविधि की रिपोर्ट देंगे. प्रभारी मंत्री व विधायक हर महीने इसकी समीक्षा भी करेंगे.
उन्होंने बताया कि उच्चस्तरीय प्रशासकीय संस्था के अध्यक्ष मुख्यमंत्री या उनके द्वारा नामित कोई कैबिनेट मंत्री होगा. श्रम एवं सेवा योजन विभाग के मंत्री संयोजक, मंत्री औद्योगिक विकास एवं मंत्री सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम और निर्यात प्रोत्साहन ब्यूरो उपाध्यक्ष होंगे. अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त सदस्य सचिव होंगे. इसके अलावा कृषि, ग्राम्य विकास मंत्री, कृषि उत्पादन आयुक्त, अपर मुख्य सचिव प्रमुख सचिव श्रम एवं सेवायोजन, मुख्यमंत्री के ओर से नामित औद्योगिक एवं श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधि, उनकी ओर से ही नामित उद्योगों के विकास एवं श्रमिकों के हित में रुचि रखने वाले पांच जनप्रतिनिधि आदि इसके सदस्य होंगे.
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प्रवक्ता ने बताया कि यह आयोग श्रमिकों और उद्योगों के बीच कड़ी का काम करेगा. इस क्रम में वह मांग के अनुसार संबंधित इकाइयों को दक्ष श्रमिक मुहैया कराएगा. साथ ही उद्योग की मांग के अनुसार दक्षता बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोग चलायेगा. अन्य राज्यों और देशों से श्रमिकों की जो मांग होगी उसमें भी आयोग मध्यस्थ की भूमिका निभायेगा.
उन्होंने बताया कि सेवायोजन विभाग की मदद से आयोग प्रदेश के सभी श्रमिकों की दक्षता का डाटा एकत्र करेगा ताकि किसी औद्योगिक इकाई को उसकी मांग के अनुसार ऐसे श्रमिकों को समायोजित किया जा सके. सिंह ने बताया कि आयोग की निगरानी के लिए औद्योगिक विकास आयुक्त की अध्यक्षता में एक बोर्ड या कार्यपरिषद भी गठित होगी. इसमें एपीसी सह-अध्यक्ष, प्रमुख सचिव अपर मुख्य सचिव आईआईडीसी, कृषि विभाग, पंचायती राज, लोक निर्माण, सिंचाई, नगर विकास, ग्राम्य विकास, एमएसएमई, उद्योग एवं खाद्य प्रसंस्करण, कौशल विकास सदस्य और समाज कल्याण श्रम एवं सेवायोजन सदस्य सचिव होंगे.
उन्होंने बताया कि आयोग और राज्य स्तरीय बोर्ड की मंशा के अनुसार काम हो रहा है, उसकी निगरानी के लिए सभी जिलों में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समिति भी होगी. उन्होंने बताया कि आयोग की बैठक हर माह होगी. इसी क्रम में बोर्ड की बैठक हर 15 दिन में और जिला स्तरीय समिति की बैठक हफ्ते में एक बार होगी.