UP Chunav 2022: उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर सभी पार्टियां जी-तोड़ मेहनत कर रही हैं. हर बार की तरह इस बार भी बीजेपी अपना एक अलग ही रोड मैप तैयार कर रही है, जिसके जरिए युपी चुनाव में एंट्री लेने की पूरी तैयारी है. बड़ी बात ये है कि पीएम नरेन्द्र मोदी इन दिनों न सिर्फ यूपी की राजनीति पर नजर बनाए हुए हैं, बल्कि दर्जनों विकास परिजनों की सौगात भी दे रहे हैं, जोकि विपक्ष की तैयारी पर भारी पड़ सकती है.
दरअसल, विपक्ष का चिंतित होना इसलिए भी जायज क्योंकि, महज एक महीने में पीएम नरेन्द्र मोदी यूपी में आठ दौरे कर चुके हैं, जबकि अन्य दौरों का शेड्यूल तैयार है. मालूम हो कि यूपी के पिछले विधानसभा चुनाव में वोट सिर्फ मोदी के नाम पर पड़ा था, इसे अंदाजा लगाया जा सकता है कि बीजेपी कहीं अपने पिछले प्रयोग को फिर से दोहराने का मन तो ऩहीं बना चुकी है. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इस बार बीजेपी, काशी मॉडल और सीएम योगी की बुल्डोजर पॉलिसी को ही आगे रखकर जनता से वोट मांगेगी.
दरअसल, यूपी विधानसभा चुनाव 2017 में बीजेपी के लिए गुजरात फॉर्मूला सफल साबित हुआ था, लेकिन अब जब वाराणसी पीएम नरेन्द्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है, तो यूपी की जनता को संदेश देने के लिए बीजेपी ने काशी मॉडल पर तेजी से काम किया है, और बताने की कोशिश की है कि अब यूपी में इस तरह काम होगा. इसके अलावा पीएम मोदी ने यूपी की जनता के हित में, किसानी, सिंचाई, खाद, एक्सप्रेस वे, रक्षा से लेकर अन्य तमाम परियोजनाओं को पूरा भी करके दिखाया है.
पीएम नरेन्द्र मोदी ने यूपी में विकास की रफ्तार को रुकने नहीं दिया है फिर चाहें 13 दिसंबर को काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण की बात हो, या फिर पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के उद्धघाटन की बात हो या फिर, सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना का लोकर्पण, गोरखपुर एम्स, खाद कारखाना, नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट का शिलान्यास, कुशीनगर एयरपोर्ट, या फिर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की बात हो, बीजेपी इन विकास योजनाओं के सहारे प्रदेश की जनता को साफ संदेश देने की कोशिश कर रही है, कि प्रदेश में विकास की रफ्तार इसी तरह जारी रहेगी, और इन्हीं के नाम पर बीजेपी जनता के बीच जाएगी.
राजनीतिक जानकारों की मानें तो बीजेपी के सामने विपक्षी पार्टियों के लिए यूपी विधानसभा चुनाव किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है. दरअसल, बीजेपी की योजनाएं विकास के लिहाज से तो खास हैं ही, लेकिन हर योजना के साथ एक बड़े बोटवैंक को अपने पाले में लाने का भी काम किया गया है.